जयगुरुदेव
22.06.2022
प्रेस नोट
सूरत (गुजरात)
*जब ये घर मकान आपके पूर्वजों का नहीं हुआ तो आपका कैसे हो सकता है? असली घर का रास्ता पूरे सन्त ही बताते हैं*
*सोचो! कहां से क्यों आये, मरने के बाद कहां जाएंगे, इसकी करो चिंता*
*सन्त-महात्माओं का काम लोगों को तकलीफों से बचाना, रक्षा करना क्योंकि वे होते हैं त्रिकालदर्शी*
वक्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु जो अभी मनुष्य शरीर में हैं वोही शरीर से जीवात्मा को निकालकर प्रभु सतपुरुष तक पहुँचाते हैं- इस सार्वभौमिक सत्य को मर्यादा में रहते हुए इशारों में समझाने वाले, इस समय सुमिरन ध्यान भजन में जिनके रूप का ध्यान करने से ही आगे आध्यात्मिक तरक्की होगी ऐसे समय के पूरे सर्व समर्थ सर्वत्र विराजमान दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी अन्तर्यामी उज्जैन वाले सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 7 जून 2022 को सूरत (गुजरात) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि
देखो जिस घर को आप अपना घर कहते हो, इसी को पिताजी दादाजी यह घर मेरा, यह घर मेरा कहते-कहते छोड़ के चले गए। कहां गए? जहां उनको जाना था, जैसे उनके कर्म थे। जिनके जैसे कर्म रहते हैं वो वहीं जाता है। कोई स्वर्ग बैकुंठ जाता, कर्म खराब हुए तो कोई नर्कों में चला जाता है। यह दुनिया एक दिन छोड़ करके सबको जाना पड़ता है।
*यह संसार मुसाफिर खाना है, आपका असली घर जाने का रास्ता इसी मनुष्य शरीर के अंदर है*
संसार मुसाफिर खाना की तरह से है। मुसाफिर किसको कहते हैं? जैसे ट्रेन पकड़ना होता है। लोग जाते हैं, प्लेटफार्म पर बैठने की जगह पर बैठ जाते हो। जब ट्रेन रेलगाड़ी आती है, उसमें बैठकर चले जाते हैं। ऐसे ही इस शरीर का समय है। एक दिन उसको खाली करना पड़ता है। जैसे ही शरीर का समय पूरा हो जाएगा शरीर को खाली करना पड़ेगा। शरीर ही तो घर पर रहता है। घर खाली हो जाएगा??? फिर घर में कौन रहेगा? जो आपके आश्रित लोग हैं। सजाते, सँवारते हो, कहते हो मेरा घर, मेरी जमीन, मेरी दुकान, मेरा गाड़ी-घोड़ा। आपका कुछ रह जाएगा? सब दूसरे का हो जाएगा।
*सभी जीवों का असली घर सतलोक है, वहां जाने का रास्ता पूरे सन्त ही बताते हैं*
यह घर आपका नहीं है। आपका घर तो ऐसी जगह है जहां एक बार पहुंचने के बाद कोई इधर वापस आता ही नहीं है, दुःख के संसार में कोई जन्म लेता ही नहीं है। जन्म मरण का संकट, जन्मते और मरते समय की तकलीफ फिर होती ही नहीं है। वो रास्ता कौन बताते हैं? सन्त सतगुरु बताते हैं।
*मनुष्य शरीर को चलाने वाली जीवात्मा शरीर छोड़कर कहां जाएगी, इसकी करो चिंता फिक्र*
मोटी बात समझो जो रास्ता को जानता है, वही बताता है। जब लोग सुनते-समझते हैं तो लोगों की इच्छा पैदा होती है, दुनिया की तरफ से उदासीनता आती है कि भाई जब कुछ भी अपना यहां नहीं है, जब समय पूरा हो जाएगा, एक दिन सब कुछ छोड़ करके जाना है। जिन बच्चों के लिए हम दिन रात दौड़ते, मेहनत करते रहते, झूठ बोलते, चोरी, ठगी सब कुछ कर लेते हैं, यही बच्चे परिवार वाले, जब समय पूरा होगा, यह खड़े रहेंगे, कोई भी साथ नहीं देगा।
जब दिल-दिमाग में यह बात आ जाती है तो आदमी सोचता है कि भाई शरीर छोड़कर के जब हम जाएंगे तो शरीर को चलाने वाली हमारी जीवात्मा कहां जाएगी? इसकी लोग चिंता और फिक्र करते हैं। जो इसकी फिकर नहीं करते हैं, फँस जाते हैं। लौट-लौट चौरासी आया। लौट-लौट करके जन्मों और मरो। ज्यादा ही शरीर से पाप हो गया तो नर्कों में चले जाओ।
*सन्त किस्सा कहानी दृष्टांत देकर समझाते हैं कि तुम यहां के नहीं, परमात्मा के अंश हो, परमात्मा के पास कभी रहते थे*
महात्मा जब भी आते हैं, आवाज लगाते हैं। संत महात्माओं का काम क्या होता है? बचाना रक्षा करना। सन्त पहले क्या करते हैं? बताते समझाते हैं, महापुरुषों का किस्सा कहानी दृष्टांत देकर समझाते हैं कि तुम यहां के नहीं हो। तुम उस परमात्मा के अंश हो। तुम परमात्मा के पास कभी रहते थे लेकिन वहां से यहां भेज दिए गए, यहां भवकूप में पड़े हुए हो। इसलिए इससे स्थाई छुटकारे का उपाय खोजो, समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु को खोजो।
जय गुरु देव
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev