*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश: दिनांक 13.फरवरी.2022*
*सतसंग दिनांक: 17.02.2021*
*सतसंग स्थलः महासमुंद, छत्तीसगढ*
*सतसंग चैनल: Jaigurudevukm*
https://youtube.com/c/Jaigurudevukm
*"देखो! सबको बराबर पाप लगता है,*
*बुरे कर्मों की सजा मिलती ही मिलती है..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
विश्व विख्यात परम पूज्य परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीव दया की शिक्षा देने वाले पूज्य परम संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद में दिये गये सतसंग सन्देश में उपस्थित विशाल जन समूह से प्रार्थना कि की,
आप सभी लोग हमारी बात मान लीजिए और मांस मत खाइए। अगर नहीं मानोगे तो यह भी चेतावनी देता हूं कि आगे ऐसी नई-नई बीमारियां आ रही हैं जो ज्यादातर मांसाहारियों को ही होंगी।
बहुत पहले मैं बोला करता था इस बात को कि ऐसी नई-नई बीमारियां आएंगी की, जिसकी दवा खोजते-खोजते ही बहुत से लोग मर जाएंगे।
*"कोरोना रोग तो कुदरत का ट्रेलर है, पिक्चर तो आगे चालू होगी..."*
यह तो आप समझो कि एक तरह से ट्रेलर है कुदरत का। ट्रेलर किसको कहते हैं?
सब लोग नहीं जानते होंगे लेकिन इसमें जो सिनेमा देखने जाते हैं उनको मालूम होगा।
सिनेमा में जब आधी पिक्चर खत्म हो जाती है, इंटर वल के समय, जो अगली पिक्चर आने वाली होती है उसका थोड़ा हिस्सा दिखाते हैं कि,
देखो! यह मारकाट हो रहा है, वैसा हो रहा है, ऐसा हो रहा है, इसको देख कर के फिर लोग आवें तो उसको कहते है ट्रेलर।
यह तो अभी कुदरत का ट्रेलर है। पिक्चर तो अभी आगे चालू होगी। कोरोना की दवा तो देखा जाए,अभी सच पूछो तो सही दवा अभी इसकी मिल ही नहीं पाई और करोड़ों की संख्या में लोग मर गए।
सरकारी आंकड़े तो बहुत कम इकट्ठा हो पाते हैं। क्योंकि यहां गांव में कोई घटना घट गई तो यहां कौन पता लगाने आएगा? *ऐसे ही बहुत मरे, पूरे विश्व में बहुत मरे।*
*"क्योंकि मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है..."*
आप प्रेमियों! शाकाहारी हो जाओ। मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है।
वह तो जानवरों को खाने के लिए जानवर ही बनाए गए हैं। मान लो बहुत संख्या में पक्षी मर गए तो कौन उठा पाएगा?
तो उनको खाने के लिए जानवर बनाए गए हैं। जिनके दांत बड़े होते हैं, चाट करके पानी पीते हैं, आंखें गोल होती हैं, वे जानवर मांसाहारी होते हैं।
घोड़ा, गाय, बैल आदि ये मांसाहारी नहीं होते हैं। इनके सामने आप मांस डाल दो तो सूंघ करके छोड़ देते हैं।
आदमी बुद्धि और विवेक से पूर्ण, देव दुर्लभ शरीर प्राप्त किया हुआ है लेकिन कुछ नहीं सूंघता है, सब खाता चला जाता है।
होटलों में जो लोग मांस खाते हैं वे किसी से पूछते हैं कि किस जानवर का लाए हो? बनाए हो?
जब ज्यादा खपत बढ़ती है *तब कुत्ते-बिल्ली का काट कर के, लाकर के, मिर्च मसाला डाल कर के खिला देते हैं।*
*"रोटी यानि अन्न देवता को मांस के टुकड़े के साथ खाते हैं.."*
जिसको अन्न देवता कहते हैं, जिस देवता से प्रार्थना करते हैं कि हमको कमी ना होने पाए, उनको मांस से मिला कर के खाते हैं।
जो मांसाहारी जानवर हैं, उनके सामने कुछ ना भूंजो, मिर्च मसाला न डालो, मांस डाल दो तो ऐसे ही खा जाते हैं। और आदमी के सामने ऐसे ही मांस के टुकड़ों को लाकर रख दो और कह दो कि खाओ? तो नहीं खाता है। *वो रोटी को, अन्न देवता को मांस के टुकड़े के साथ खाता है।*
*"सबको बराबर का पाप लगता है ..."*
यही मिर्च मसाला आप जो मांस में डाल कर के, मछली में डाल करके, अंडा में डाल करके, पकाते हो और खाते हो और यही मसाला आप सब्जियों में डाल कर के बनाओ तो बढ़िया से बढ़िया स्वाद मिलेगा और मन भी प्रसन्न चित रहेगा, शरीर को फायदा भी करेगा और बुरे कर्मों से भी बचे रहोगे।
देखो! जो जानवरों को मारता है, काटता है, उसके मांस को लाता है, पकाता है, खाता है, खिलाता है, लाता है, इन सबको बराबर पाप लगता है।
कर्म उसके बुरे हो जाते है। *बुरे कर्मों की सजा मिलती ही मिलती है।*
*"कर्मों के चक्कर से कोई भी बच नहीं पाया है..."* जब से कर्मों का विधान बना, जितने भी लोग आये इस मनुष्य शरीर में, सबको कर्मों की सजा भोगनी पड़ी है।
मनुष्य के कंधे पर दो दूत बैठे हुए हैं, एक अच्छा और एक बुरा लिखता है। जो आप कर रहे हो, सबका हिसाब होगा यमराज के दरबार में।
आप यह मत सोचो कि हम जो कर रहे हैं? इसको कोई देख नहीं रहा है। जिसको कहते हो कि कोई सुन नहीं रहा है? हमको देख नहीं पा रहा है? जो हम कर रहे हैं कोई देख नहीं रहा है?
वो हिसाब करने वाला, मरने के बाद जो हिसाब करता है, वो आपके सब अच्छे-बुरे कर्मों को निरंतर देख रहा है।
कर्मों की सजा से कोई बच नही पाया, कर्मों की सजा मिल जाएगी। सजा कैसी? जैसे कैंसर हो गया,खुजली हो गयी, यह देखो! इससे दूर रहो, घर के ही लोग ही छूत की बीमारी से दूर हो जाते हैं।
*इसलिए जीव हत्या मत करो। किसी भी पशु-पक्षी का मांस मत खाओ।*
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev