*"याद रखो! यह समय आपका फिर वापस आने वाला नहीं है..."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*


*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश: दिनांक 14.फरवरी.2022*

*सतसंग दिनांक: 07.01.2022*
*सतसंग स्थलः देवास, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: Jaigurudevukm*
https://youtube.com/c/Jaigurudevukm

*"याद रखो! यह समय आपका फिर वापस आने वाला नहीं है..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

इस अनमोल मानव जीवन के महत्व को, इसके असली उद्देश्य को, बताने और समझाने वाले, इस समय के पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने मध्यप्रदेश के देवास में दिये गये सतसंग सन्देश में बतलाया कि,

इस कीमती जीवन का अनमोल एक-एक मिनट, एक-एक सेकंड का जो यह समय निकल रहा है, वापस फिर आने वाला नहीं है।
क्योंकि यह परिवर्तनशील संसार है। यहां बदलाव होता रहता है। हमेशा कुछ न कुछ बदलाव होगा। देखो! दिन तारीख महीना बदल जाता है, वह चीज वापिस नहीं आती है।
मनुष्य शरीर छूट जाएगा और दूसरी योनि में जाना पड़ेगा, लेकिन वह शरीर नहीं रहेगा। यही कारण है कि इस धरती पर जितने भी महापुरुष आये, चाहे शक्ति आयी हो, जो भगवान का काम किए हो, उस शरीर में लौट कर के वापस नहीं आए हैं।

अब यह है कि उन्होंने अच्छा काम किया तो अब कोई उनका कपड़ा पहन लिया। कोई ताज या मुकुट लगा लिया, कोई धनुष-बाण, गदा ले लिया। वह बन तो जाते हैं लेकिन वह नहीं रहते हैं।
*भेष बनाने और गदा लेने से कोई हनुमान या राम तो नहीं बन जायेगा? सुदर्शन चक्र ले के कोई खड़ा हो जाए वो कृष्ण तो नहीं हो सकता है?*

*"साँसों की पूंजी गिनकर मिली है..."*
खत्म होते ही आपका ये शरीर जमीन पर गिर पड़ेगा। कोई भी, कुछ भी काम नहीं आएगा।
याद रखो! यह समय आपका फिर वापस आने वाला नहीं है। सांसों की पूंजी गिन कर खर्च करने के लिए मिली हैं। जैसे घड़ी की सुइयां एक जगह पर आकर के हाथ जोड़ देती हैं, जब 12 बजता है कि हम अब आगे नहीं बढ़ेंगे, अब तो एक बजाएंगे।

ऐसे ही यह जीवन का समय जो आपको मिला है, एक दिन हाथ जोड़ देगा कि बस अब नहीं। तब इस शरीर की कोई कीमत नहीं रह जाएगी।
जिस शरीर के लिए खाने कपड़े, घर बनाने का और इंतजाम के लिए आप दिन रात दौड़ते, चलते रहते हो, यह शरीर आपके कोई काम नहीं आएगा। न बच्चा, न परिवार का कोई रिश्तेदार और न पड़ोसी।
पांच तत्वों से बने हुए शरीर को जला दिया जायेगा।जल जल में, अग्नि अग्नि में मिल जाती है। आखरी में मृतक शरीर, स्थूल शरीर इसको लोग मिट्टी में मिला देते हैं।
खिलौने की कोई कीमत होती है?

एक दिन खत्म हो जाता है। ये मानव शरीर, मिट्टी का एक खिलौना है, आपको खेलने के लिए मिला है। तो कहा गया है कि *गैबी खेले माही।*
गैबी किसको कहा गया? उस प्रभु को कहा गया जो इसी में खेलता रहता है, इसमें वो बैठा हुआ है। अपना असली काम कर लो। *इसलिए यह मनुष्य शरीर आपको प्रेमियों मिला है।*

*"सतसंग न मिलने से आप लोग भूल जाते हो..."*
किसको भूल जाते हो?
मौत को और प्रभु को। मौत चौबीस घंटे में एक बार याद आता है? नहीं याद आता।
और वो प्रभु जो सबका सिरजनहार है, अपना ही पिता है। वो इन देवी-देवताओं का भी पिता है। अंड, पिंड, ब्रह्मांड में जीव खचाखच भरे हुए हैं। सबका पिता, सिरजनहार वोही है।
सबसे वह जुड़ा हुआ है पतले तार के द्वारा। तार अगर कट जाए जैसे पतंग का तार कट जाता है फिर उसकी कोई कीमत नहीं रह जाती। फिर तो ऊपर नहीं जा सकता है।

ऐसे ही अगर दया हो जाए उन लोकों में, संतो की तो वहीं से ऊपर भी ले जा सकते हैं। लेकिन तार अगर कट जाए तो ऐसे मनुष्य को मृत्युलोक में आकर गिर जाना पड़ेगा।
जो भी मनुष्य शरीर में आए, सब फंसे हुए हैं। *सुर नर मुनि सब जितने भी इस मनुष्य शरीर में आए, वह सब फंसे हुए हैं।*

*इस देव दुर्लभ शरीर में ऐसा रास्ता है जिससे..."*
निकल कर अपने घर अपने मालिक, अपने पिता के पास पहुंचा जा सकता है।
आप बहुत से लोगों को दरवाजा ही नहीं मालूम है, इस मनुष्य शरीर का कि कहां है? जिससे यह जीवात्मा निकलेगी?
आपको समझने की जरूरत है। इसी देव दुर्लभ मानव शरीर में ऐसा दरवाजा है कि आप इससे निकल करके अपने घर अपने मालिक के पास पहुंच सकते हो।

आप इस मृत्युलोक में, फिर दुख के संसार में नहीं आओगे अगर वह दरवाजा आपको मालूम हो जाए तो। दरवाजा कौन बताता है?
जानकार ही बताते हैं। कहा है कि *सकल पदारथ है जग माही। कर्म हीन नर पावत नाही।।*
जो कर्म नहीं करते हैं, उनको चीज नहीं मिलती है। आप इसका अर्थ ये लगाते हो कि भाग्य उनका अच्छा नहीं है। ऐसा नहीं है। भाग्य देखो! आदमी ही बनाता है। प्रारब्ध में जो चीज होती है, वह लेकर आता है। लेकिन आदमी प्रारब्ध भी बदल लेता है।

देखो! उदाहरण देकर कर समझाता हूं। गरीबी में आदमी पैदा होता है और मेहनत कर्म करता है। धन रुपया पैसा, मान-सम्मान सब कुछ प्राप्त कर लेता है। ऐसे ही आदमी जब कर्म करता है तब।
जैसे आप व्यापार नौकरी खेती के लिए किसी से पूछते हो तो उसमें तरक्की करते हो जाती है। ऐसे ही जब जीवात्मा के कल्याण का कोई तरीका बता देता है।

*आप कर्म करते हैं तो यह जीवात्मा अपने घर अपने मालिक के पास पहुंच जाती है। फिर जन्म मरण से छुटकारा मिल जाता है।*

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