"प्रभु के बनाए हुए इस मानव मंदिर में देवी देवताओं का दर्शन होता है ..." - बाबा उमाकान्त जी महाराज

जयगुरुदेव
सतसंग सन्देश: दिनांक 08.फरवरी.2022

सतसंग दिनांक: 31.12.2021
सतसंग स्थलः आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश
सतसंग चैनल: Jaigurudevukm

"प्रभु के बनाए हुए इस मानव मंदिर में देवी देवताओं का दर्शन होता है ..."
- बाबा उमाकान्त जी महाराज

इस समय के महापुरुष, उज्जैन वाले पूरे संत सतगुरु, बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम पर नव वर्ष कार्यक्रम में दिए सतसंग में बताया कि,
यह मनुष्य शरीर चाहे राजा का हो या सेठ साहूकार का हो या प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का हो या किसी का भी हो, आत्मा निकल जाने के बाद सबके शरीर को लोग मिट्टी ही कहते हैं।

उसे ले जाकर श्मशान घाट में जलाकर राख कर देते हैं, सारी जीवन लीला खत्म हो जाती है। आपको ये जो मनुष्य शरीर मिला है, यह अनमोल है। इसकी कोई कीमत नहीं है।
इसे क्यों बेशकीमती कहा गया? क्योंकि इसको कोई बना नहीं सकता है।

"मूर्तियां सोने की हो या पत्थर की हो, इसमें कोई प्राण नहीं डाल सकता है..."
मिट्टी या सोने का पुतला भले कोई बना दे लेकिन इसमें जान नहीं भर सकता। शरीर में जो तत्व हैं, वो तत्व नहीं आ सकते हैं। इसमें कोई प्राण नहीं डाल सकता है।

कहने को तो लोग प्राण प्रतिष्ठा कर देते हैं। मूर्तियां बना देते हैं, स्थापना कर देते हैं मंदिरों में, मान्यता दे देते हैं लेकिन वह मूर्तियां कोई बोलती है? या डोलती हैं? कुछ कहती-करती हैं? कुछ नहीं।
स्वार्थ में आदमी मूर्तियों के सामने बढ़िया बढ़िया बना कर के रख करके उठा करके खा लेता है। मूर्तियां अगर कहने लग जाए कि यह थाली रख दे, मत ले जाना तो बनाने के बाद आदमी अपने लिए पहले निकाल करके रख लेगा।
आज का स्वार्थी आदमी तब मूर्तियों को भोजन कराने ले जाएगा? नहीं ले जाएगा।

"मूर्तियां अगर बोलने लग जाए कि..."
मूर्तियां अगर कहने लग जाए कि मेरे सामने तुम कोई अपराध करके नहीं आओगे, शराब पीकर, चोरी-व्यभिचार करके, छल-कपट, लूट-खसोट करके नहीं आओगे।
अगर आओगे तो देख लो हमारा चक्र चल जाएगा, यह गदा हमारा तुम्हारे ऊपर पड़ जाएगा। दुर्गा जी अगर बोलने लग जाए कि तुम अगर इस तरह के नालायक आदमी हो, मेरे सामने आओगे तो तलवार से तुम्हारी गर्दन काट दूंगी तो बहुत से लोग अभी मंदिरों में जाना बंद कर देंगे।

"इस मानव मंदिर में देवी देवताओं का दर्शन होता है.."
प्रेमियों! यह प्रभु का बनाया हुआ मानव मंदिर है।आप मंदिर बनाते हो पूजा करने के लिए। उसने तो आपको बना बनाया मंदिर दे दिया।
इसी में भगवान का दर्शन होता है। इसी में देवी देवताओं का दर्शन होता है। इसी में भाव-भक्ति के अनुसार फायदा लाभ मिलता है।
अब यह जरूर है कि जो जीना, खाना, संयम-नियम से रहना, पूजा उपासना करना सीख जाते हैं उनको तो लाभ मिल जाता है और जो नहीं सीख पाते हैं वह दु:ख झेलते रहते हैं।

"अगर मनुष्य शरीर की कीमत न समझे तो..."
शरीर को भी तकलीफ़ होती है और शरीर छूटने के बाद जीवात्मा को भी नर्कों में भारी सजा मिलती है।
देखो! शरीर रहते हुए भी दु:ख मिलता है। अभी ज्यादा खा लो तो पेट फूलने का दर्द, तकलीफ होगी। अभी लड़ाई-झगड़ा, मारपीट कर लो, तुम चार मारोगे तो एक-दो तो वो भी मारेगा।
उस समय नहीं मार पाएगा तो फिर हमला करेगा। जब दोबारा हमला करेगा तैयारी करके तो हाथ पैर तोड़ देगा। क्या मालूम जान ही चली जाए?

तो तकलीफ शरीर से भी झेलते हैं और आत्मा भी फंस जाती है वो बाद में तकलीफ झेलती है।
इसलिए इसकी कीमत लगाओ और जीते जी मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने का जतन करो।


Mere Pyare Guru Datar


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