*"चौथे राम सबके सिरजन हार सतपुरुष हैं;* *उस राम से मिलाने वाले भेदी गुरु की खोज करो..."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 22.जनवरी.2022*

*सतसंग दिनांक: 17.01.2022*
*सतसंग स्थलः आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: Jaigurudevukm*

*"चौथे राम सबके सिरजन हार सतपुरुष हैं;*
*उस राम से मिलाने वाले भेदी गुरु की खोज करो..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

विश्व विख्यात संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, प्रेमियों के सम्भाल कर्ता, इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद त्रिकालदर्शी पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने पौष पूर्णिमा के अवसर पर दिए गये सतसंग में बताया कि,

इस वक्त पर राम के भक्त बहुत हैं क्योंकि राम का प्रचार बहुत ज्यादा हो रहा है। जिस देवी और देवता का प्रचार ज्यादा हो जाता है उनको लोग ज्यादा मानने और जानने लगते हैं।
उनके भक्त बन जाते हैं। राम जब आए थे तो उन्होंने राम नाम को जगाया था। राम का मतलब क्या होता है? राम की व्याख्या में यह कहा गया है कि,

*एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में लेटा।*
*एक राम का सकल पसारा, एक राम सब जग से न्यारा।।*
जिनको जानकारी नहीं है, वह तो दशरथ के बेटे को राम मान लेते हैं जो चले गए।

*"मूर्ति फोटो पूजने से आपकी श्रद्धा भाव भक्ति के अनुसार लाभ तो मिल जाएगा..."*
लेकिन जीवात्मा का कल्याण नहीं हो सकता है। बहुत से लोग उनकी मूर्ति और फोटो बना कर पूजा करते हैं लेकिन फोटो और मूर्ति आदमी को लाभ नहीं दे पाता है।
वह जो श्रद्धा प्रेम भाव भक्ति मन से उनको याद करते हैं? उतना ही फायदा उनको मिल पाता है। जीवात्मा का उससे ताल्लुक नहीं है। उससे जीवात्मा का उद्धार कल्याण नहीं हो सकता।

*समरथ संत सतगुरु की जरूरत है..."*
जो रास्ता बताकर जीवात्मा को उस मालिक तक पहुंचा दें और उसे जन्म मरण से छुट्टी दिला दें।
इसलिए तो कहा गया है कि वक्त के महापुरुष जो लोगों में धर्म की स्थापना कर सकें, ज्ञान करा सकें, संतों की, समरथ गुरु की जरूरत है।
जो रास्ता बता कर मदद कर सके और जीवात्मा को उस मालिक तक पहुंचा दें और उसे जन्म मरण से छुट्टी दिला दें।

*"दूसरा राम मन को कहा गया है जो जीवात्मा के साथ लगा हुआ है..."*
एक राम दशरथ का बेटा। जिनको जानकारी नहीं है वो केवल उन्हीं को सम्मान देते हैं।
दूसरा राम घट-घट में लेटा। घट किसको कहते हैं?
यही शरीर। इसमें बैठी जीवात्मा के साथ मन लगा हुआ है।
कलयुग में और इस घट में, पिंड में मन जीवात्मा का एक तरह से अंग बन गया है। कहते हैं न अपने राम चले, अपने राम गए, अपने राम ने वादा कर लिया है तो पहुंचना ही है। तो दूसरा राम मन है।

*"तीसरा राम निरंजन भगवान जिनको ईश्वर, खुदा, गोड अपनीअपनी भाषा में लोगों ने कहा है..."*
तीसरा राम किसको कहते है? एक राम का सकल पसारा। एक राम उसको भी कहा गया है जिसने सृष्टि का विस्तार किया है, जिनको काल निरंजन ईश्वर कहा गया है।
जिनको खुदा, गोड लोगों ने कहा अपनी-अपनी भाषा में नाम को पुकारा, बताया और लिखा है, एक राम वह हैं।

*"चौथा राम सबके सिरजनहार सतपुरुष को कहा गया है..."*
चौथा राम है, एक राम सब जग से न्यारा। सब जग से न्यारा कौन राम है? वह प्रभु वह सतपुरुष, अनामी महाप्रभु का एक तरह से अंश, पावरफुल ताकत जिसको कहा जाता है, शक्तिशाली अंश समझो।
एक राम उनको कहा गया है।

*"राम का मतलब क्या होता है ?"*
जो रम रहा है। कहां रम रहा है? शरीर के अंदर रम रहा है। रमना किसको कहते हैं?
जो मौजूद रहता है, चलता-फिरता रहता है, उस जगह को रमना कहते हैं। कहा गया है कि, *चित्रकूट में रम रहे, रघुवर और नरेश। जा पर बिपदा पड़त रहे, सो आवत यही देस।।*
गोस्वामी महाराज जी ने कहा बिपदा पड़ी तो वह यहां आए, रम रहे, घूम रहे, इधर-उधर जंगल में घूम रहे।
*तो कौन रम रहा? वो राम, वो प्रभु, वह रम रहा है।*
उसकी अंश जीवात्मा सबके अन्दर है। वह जो शब्द है, शब्द ध्वनि है, वह रम रहा है यानी उसके जरिए यह शरीर चल रहा है और वही इस शरीर को चला रहा है।

*"जो बहुत से लोग नहीं समझ पाते हैं कि ..."*
राजा दशरथ के पुत्र राम को ही सब कुछ मान लेते हैं। कुछ संतो ने भी, जो जानकार हैं, उन लोगों ने भी राम नाम कहीं-कहीं पर लिखा है।
*इसके बगैर राम की प्राप्ति नहीं हो पाती है। अब जो बहुत से लोग नहीं समझ पाते हैं कि राजा दशरथ के पुत्र राम जो बहुत पहले आए थे, चले गए, उन्हीं को ही सब कुछ मान लेते हैं।*

jaigurudev naam prabhu ka


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