*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 14.01.2022*
*सतसंग दिनांक: 04.मार्च.2019*
*सतसंग स्थलः लखनऊ, उत्तरप्रदेश*
*सतसंग चैनल: जयगुरुदेवयूकेएम/Jaigurudevukm*
*"गर्व से कहो, हम शाकाहारी हैं, नशा नहीं करते हैं।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
वक्त के कामिल मुर्शिद, आला फकीर, सभी जीवों को रूहानियत का रास्ता बताने वाले, इस धरा पर मौजूद वक्त के पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने वर्ष 2019 के महा शिवरात्रि पर्व के अवसर पर लखनऊ, उत्तरप्रदेश में दिये गये सतसंग में बताया कि,
आगे अच्छा समय आएगा। जैसे जवान भाई-बहन एक ही चरपाई पर पड़े रहते हैं, उनकी भावनाऐं अलग रहती हैं और पति-पत्नी की भावनाएं अलग रहती हैं।
ऐसे ही विचार भावनाएं लोगों की बदल जाएंगी, समय परिस्थितियां बदल देती हैं। अभी ऐसी बीमारी चल जाए जो मांसाहारियों को ही हो? कीड़े उन्हीं को पैदा हो? छूत की बीमारी में घर का भी कोई आदमी सेवा नहीं करता है, मुर्दा जलाने नहीं जाते हैं, कहेंगे? कहीं हमको भी छूत की बीमारी न हो जाए।
*"जब सब की दाढ़ी में आग लगती है तो लोग अपनी-अपनी बुझाते हैं..."*
आने वाले भयंकर समय में अकेले पड़े तरसते रहोगे कि नहीं?
*इसीलिए प्रार्थना करता हूं कि आप सब लोग शाकाहारी हो जाओ।*
क्या देश की सेवा कर पाओगे? जब बीमार पड़ जाओगे। सबसे कहता हूं कि आगे शाकाहारियों की जरूरत सबको पड़ेगी। अभी कोई भी सत्ता में रहे और यदि बीमारी फैली, मांसाहारियों को हो जाए, सब मंत्री बीमार हो जाएं, कौन देश चलाएगा?
वह जो अनुभव वाले शाकाहारी लोग, जो विपक्ष में बैठते हैं, उनको बुलाना पड़ेगा, उनकी जरूरत पड़ेगी। *तो शाकाहारियों की जरूरत तो सबको है।*
*"गर्व से कहो हम शाकाहारी हैं..."*
शुरू में कुछ पक्ष में और कुछ विपक्ष में बैठते थे। जब देश आजाद हुआ था उसमें तो विपक्ष था ही नहीं।
ऐसी व्यवस्था तो बनानी पड़ेगी। इसलिए आप जितने भी शाकाहारी लोग हो, शर्माने की जरूरत नहीं है कि धीरे से बोलो कि हम शाकाहारी हैं।
आप गर्व के साथ कहो हम शाकाहारी हैं, हम नशे का सेवन नहीं करते हैं, दुकान, दफ्तर, विधानसभा, पार्लियामेंट में बैठते हो वहां पर कहो।
जो भी आप उपदेश, प्रवचन, भाषण करो, सब जगह थोड़ा बहुत शाकाहार पर जरूर बोलो। यथासंभव जहां बोलने लायक है। सुन कर, समझ कर के लोग बदलते हैं।
*"अच्छे के संग से दुष्ट भी सुधर जाते हैं..."*
इतने लोग देखो! कैसे बदल गए। देखोगे तो इन्हीं में मिल जाएंगे जो दस दस क्विंटल मछली खा गए हैं, लेकिन समझ में आ गया है, अब बदल गए हैं।
*सठ सुधरहिं सत संगति पाई...*
जब संगत मिल जाता है, जैसे तो पारस मणि पत्थर के साथ से लोहा भी सोना बन जाता है। साधकों का साथ इसलिए कहा गया है कि *साध संग मोहे देव नित, परम गुरु दातार।*
साधक ने गुरु से क्या मांगा? मुझे साधक का संग दो।
*"सभी शिवजी से अंतर में प्रार्थना करो कि अभी तांडव रोक दो,*
*लोगों को बता समझा लेने दो, ताकि उनकी जान बच जाए..."*
आप चाहते हो कि व्यवस्था सही हो जाए? देश में सतयुग का प्रादुर्भाव हो जाए? हिंसा-हत्या बंद हो जाए, सुख-शांति हो जाए? इस नाम पर सब एकजुट हैं।
आज शिवरात्रि के दिन आप लोग अंतर में प्रार्थना शिवजी से करो कि तांडव अभी मत करना। लोगों को हमको समझा, बता लेने दो।
*जो भ्रमित हो गए हैं उनका दिल-दिमाग को सही हो जाने दो, थोड़ा सा मौका और दे दो। शिव जी जब तांडव करते हैं तो विनाश करते हैं।*
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JaigurudevMereMalik |
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