*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 13.01.2022*
*सतसंग दिनांक: 04.मार्च.2019*
*सतसंग स्थलः लखनऊ, उत्तरप्रदेश*
*सतसंग चैनल: जयगुरुदेवयूकेएम/Jaigurudevukm*
*"ख्वाहिशों और जिस्मानी इबादत से नहीं..."*
*बल्कि वक़्त के आला फ़कीर से इल्म लेकर रूहानी इबादत करने से ही खुदा खुश होगा।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
वक्त के कामिल मुर्शिद, आला फकीर, सभी जीवों को रूहानियत का रास्ता बताने वाले, इस धरा पर मौजूद वक्त के पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने वर्ष 2019 के महा शिवरात्रि पर्व के अवसर पर लखनऊ, उत्तरप्रदेश में दिये गये सतसंग में बताया कि,
जगह जगह पर जितने भी संत आए, सबने जीवों को इकट्ठा किया, समझाया कि, दुनिया की जितनी भी चीजें जिनको आप अपना कहते हो, यह आपकी कुछ है ही नहीं? एक दिन इन सबको छोड़ कर के जाना पड़ेगा।
आप अपने देश, अपने घर चलो, जहां पर सुख शांति है। जहां रोना-धोना, दुख-संताप, इतनी गर्मी-तपन नहीं है। वहां चलो तो यह याद दिलाते हैं। जब घर याद आ जाता है, उसके लिए जब तड़प पैदा होती है, तब वह रास्ता बता देते हैं।
*"संत पहले हुजरे को साफ कराते हैं, बुरे कर्म कटवाते हैं, फिर अनमोल चीज नामदान देते हैं ..."*
बर्तन को पहले साफ करते हैं, साफ करके दूध रखते हैं, ताकि खराब न हो जाए। ऐसे ही संत पहले हुजरे को साफ करते हैं।
खुद करते भी हैं और साफ करवाते भी हैं। कर्मों को कटवाते भी हैं। जब कर्म कटते हैं, सफाई होती है, तभी पूजा और उपासना कबूल होती है।
संत फकीर सबसे पहले इसको पाक-साफ करते हैं। कहा गया है कि ख्वाहिशों, जिस्मानी इबादत से खुदा कभी खुश नहीं हो सकता है। रूहानी इबादत करनी चाहिए।
रूहानी इबादत तभी हो सकती है, जब यह मानव मंदिर स्वच्छ, साफ रहे। इसीलिए कहा गया है कि इसके अंदर मांस मछली, अंडे शराब जैसी चीजों को मत डालो, इसको गंदा मत करो।
तो पहले इसको साफ कराते हैं। बगैर इसके साफ किए हुए नहीं होगा, फकीर ने कहा है कि,
*दिल का हुजरा साफ़ कर, जाना के आने के लिए।*
*ख्याल गैरों का हटा, उसको बैठाने के लिए।।*
यह हुजरा साफ होना बहुत जरूरी है। सतगुरु तो सबसे पहले हुजरा ही साफ कराते हैं।
इस मनुष्य शरीर रूपी मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा को साफ कर लो कि जहां से बैठ कर के तुम पढ़ो, उनके वाक्यों को पढ़ो ताकि वो उस आवाज को सुन ले।
*"इतने जप-तप, पूजा-पाठ करने और अनुष्ठान होने के बावजूद भी देवता खुश क्यों नहीं होते हैं?"*
देखो! तमाम जप, तप, यज्ञ, अनुष्ठान लोग कर रहे हैं, लेकिन क्या देवता खुश होते हैं?
न समय पर जाड़ा, न समय से गर्मी बरसात होती है। लोगों को शांति नहीं मिल रही है, बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, वैमनस्यता, मानसिक अशांति घर-घर में व्याप्त है।
*कहने का मतलब पूजा, इबादत कबूल नहीं होता है। धार्मिक ग्रंथों में जो भी चीजें लिखी हैं, उसको पढ़ने से पार नहीं हो सकते हो। उसको धारण करो यानी जैसा गुरु ने बताया वैसा करो।*
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VaktGuru |
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