*सतसंग में आओ तो आपको सब जानकारी हो जायेगी....*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 06.12.2021*

*सतसंग स्थलः जयपुर, राजस्थान*
*सतसंग दिनांक: 07.जुलाई.2017, पावन गुरु पूर्णिमा पूजन कार्यक्रम*

*"सातवें शब्द भेदी गुरु को ढूंढ कर सतलोक पहुंच कर अपना जीवन सार्थक बना लो...."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

इस समय मनुष्य शरीर मे मौजूद पूरे शब्द भेदी गुरु, जो आयतों, ब्रह्मवाणी, वर्ड, शब्द को सुनने का रास्ता बताते हैं, उन पहुंचे हुए आला दर्जे के संत फ़क़ीर,
उज्जैन वाले संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने गुरु पूर्णिमा पूजन कार्यक्रम के अवसर पर 07 जुलाई 2017 को जयपुर, राजस्थान में दिये गये और यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित सतसंग में बताया कि,

देश, समाज, मानव के उत्थान और उन सबके आध्यात्मिक विकास में संत - महात्माओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसलिए कहा गया है कि-

*संतों की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।*
संतों की महिमा का वर्णन ही नहीं किया जा सकता है। इन्होंने जो जीवों के लिए उपकार किया उसका बदला भी नहीं चुकाया जा सकता है।
इसलिए पन्द्रह दिनों में, महीने में एक बार संतों के आश्रम पर लोग जाते थे, सत्संग सुनते थे, उनके बताए रास्ते पर जब चलते थे तो यही गृहस्थ आश्रम स्वर्ग जैसा था।
*कोई खींचातानी नहीं थी। कोई आदमी घर छोड़कर भागता नहीं था, औरतें जल कर मरती नहीं थी।*

*देश, समाज और मानव के विकास में संतों का योगदान अवर्णनीय है....*
देखो भाई-भाई में इतना प्रेम था कि भाई, भाई के लिए जंगल वनवास चला गया था। आज की तरह से लड़ाई-झगड़ा नहीं था। पिता और पुत्र एक दूसरे के फर्ज को समझते थे। पिता के आदेश पर राम ने राजगद्दी पर ठोकर मार कर जंगल जाना कबूल कर लिया था।
*आप समझो संतों के पास जाने, उनके बताये रास्ते पर चलने से नुकसान नहीं होता बल्कि फायदा ही होता है।*

*सतसंग में आओ तो आपको सब जानकारी हो जायेगी....*
और सत्संग आप अब अगर समय निकाल कर सुनोगे,
तो शरीर की रचना कैसे हुई? कैसे जीवात्मा इसमें डाली डाली गयी? कैसे इससे निकाल कर के उस मालिक के पास पहुंचाते हैं? कैसे उस समुद्र में विलीन करते हैं? जिसकी ये अंश है, जन्म-मरण से कैसे इसका छुटकारा होता है?
जन्मते और मरते वक्त जो तकलीफ होती है, उससे कैसे बचा जा सकता है?
यह तो सब आपको और दूसरे सतसंग में सुनने को मिलेगा। समय आपके पास रहेगा। नहीं भी समय रहेगा तो निकाल लोगे। कोई काम आपका बिगड़ेगा नहीं। तो आपको बहुत सारी चीजों की जानकारी हो जाएगी।

*जीवात्मा शब्द को पकड़ कर देवी-देवताओं के दर्शन कर सकती है ....*
अब यह है कि, कोई रास्ता बताने वाला मिल जाए, संभाल करने वाला मिल जाए, बता करके, समझा करके, चला कर के, वहां तक पहुंचाने वाला मिल जाए।
सातवाँ गुरु शब्द भेदी गुरु मिल जाये तो यह चीज संभव हो जाती है।
*असला काम तो यही है मनुष्य शरीर पाने का कि जीवात्मा को अपने मालिक के पास पहुंचा दिया जाए, नर्क चौरासी से छुटकारा ले लिया जाए।*

sabke rakshak baba umakantji maharaj


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