*सन्देश / दिनांक 08.12.2021*
*सतसंग स्थल: प्रखंड पताही, जिला पूर्वी चम्पारण, बिहार*
*सतसंग दिनांक: 07.दिसम्बर.2021*
*"लोगों ने मांसाहार नहीं छोड़ा तो ऐसी बीमारियां आएंगी की गाँव, शहर खाली हो जाएंगे,"*
*"विश्व की आबादी आधी से कम हो जाएगी...."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
कुदरत के प्रकोप से मनुष्य को बचाने के लिए बार-बार आगाह करने वाले तथा बचने के उपाय भी बताने वाले उज्जैन के त्रिकालदर्शी संत,
वक्त के महापुरुष *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 07 दिसंबर 2021 को प्रखंड पताही, जिला पूर्वी चंपारण, बिहार में चेतावनी दी है कि जीव हत्या मत करना। आपकी वजह से जीव हत्या हो तो भी आप पाप के भागीदार बन जाओगे।
जब तक मांस मछली, अंडा खाते रहोगे जीव हत्या के पाप से बच नहीं सकते हो। इसलिए मांस मत खाना, ये खून को भी बेमेल कर देता है। यह जो बीमारियां आईं हैं, खून के बेमेल होने की वजह से आईं हैं।
*अभी आपने बीमारियों को क्या देखा है?*
ऐसी-ऐसी बीमारियां आएंगी कि गांव के गांव और शहर के शहर खाली हो जाएंगे। पूरे विश्व की आबादी आधे से भी कम हो जाएगी।
यह आपको ग्राम वासियों बता कर जा रहा हूं। कौन आएगा यहां बताने पूर्वी चंपारण में?
लेकिन मैं बता कर जा रहा हूं। संभल जाए लोग। आप भी संभल जाओ। मानोगे नहीं तो कुदरत माफ नहीं करेगी।
*कुदरत के ही सब जीव हैं। उनको अगर सताओगे तो सजा जरूर मिलेगी। कुदरत की सजा से कोई बच नहीं सकता है।*
*"संतों की दया से ही सृष्टि चलती है..."*
तो कहा है कि संतों की दया ही जिंदा रखती है लोगों को। सुपच आध्यात्मिक गुरु थे श्री कृष्ण के इसीलिए तो कृष्ण ने प्रार्थना किया था कि महाराज अपनी दया को इनकी तरफ से हटाओ।
आपकी दया रहेगी तो ग्यारह अक्षौहिणी सेना अठ्ठारह दिन के अंदर खत्म नहीं हो सकती, महाभारत नहीं हो सकता, धर्म की स्थापना नहीं हो सकती। तो आप दया हटाओ।
जब दया को उन्होंने हटाया तब उनका संहार हुआ। संतों की दया से ही सृष्टि चलती है। यहाँ जो आपको तरीका बताऊंगा ध्यान भजन करने का, इसको जब करने लगोगे तो आपको समझ में आ जाएगा।
यह अभी आपको कहां मालूम है? कुएं में मेंढक रहता है, सोचता है दुनिया इतनी ही बड़ी है। ऐसे ही आपकी समझ है।
*आप समझो! महात्मा उपदेश करते हैं, बताते हैं, जो उनके वचनों को पकड़ लेते हैं उनका भला हो जाता है नहीं तो विनाश काले विपरीत बुद्धि होती है।*
*"सुमिरन ध्यान भजन करोगे तो चौरासी लाख योनियों में नहीं जाना पड़ेगा ..."*
अभी मैं इसी दौरे में आ रहा था। एक बैल नदी किनारे गिर गया, जिंदा था, उसकी खाल को कौवा, गिद्ध खा रहे थे और वह ऐसे तड़प रहा था। बड़ी खराब मौत होती है।
इन योनियों में जाना बड़ी तकलीफ देह होता है।बचना चाहिए आपको। एक बार मौका मिला है उन योनियों से बचने के लिए यह रास्ता जो बता रहा हूं। *सुमिरन ध्यान भजन करोगे तो नहीं जाना पड़ेगा।*
*"मांसाहारी भोजन करने वालों की पूजा-इबादत से देवता खुश नहीं होते हैं ..."*
तो आप यह समझो कि कर्मों के विधान से कोई बच नहीं सकता। आप खाते दबाते चले जाते हो। सीधे-सीधे कोई मछली, बकरे का मांस खाता है? क्यों मिलाते हो? अन्न देवता के साथ क्यों खाते हो?
*तो पूजा-इबादत जब करोगे गंदे शरीर से तो कहां से खुश होंगे देवता?*
*तो शरीर साफ सुथरा रखना चाहिए।*
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