*"मनुष्य शरीर की कीमत न समझ पाने पर, चूक जाने पर बहुत भयंकर नर्कों में मिलती है सजा...."*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 09.12.2021*

*सतसंग स्थल: देकुली धाम, जिला शिवहर, बिहार*
*सतसंग दिनांक: 08.दिसम्बर.2021*

*"मनुष्य शरीर की कीमत न समझ पाने पर, चूक जाने पर बहुत भयंकर नर्कों में मिलती है सजा...."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

धरती पर मौजूद इस समय के महापुरुष और पूरे समर्थ संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने देकुली धाम, जिला शिवहर, बिहार में 08 दिसंबर 2021 को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,

ज्यादातर यह देखा गया कि राजा लोग भोगी ही होते हैं। बढ़िया खाना, पहनना। अपना नाम करवाने के लिए कितने लोगों को मरवा-कटवा दिया, कितना जघन्य अपराध किया। *उनको क्या पता है कि मरने के बाद हमको भी कोई मारेगा, सजा देगा।*

*"जो राजा, लोगों को मरवा-कटवा देते हैं उनको भी ऊपर बहुत सजा मिलती है..."*
मैं अपने सामने की बात बताता हूं। एक बार, एक भूत वाला आदमी आया। गुरु महाराज के कमरे में घुसने लगा। मैंने उसको रोका।
उसने कहा; हमको बाबा से बात करना है। वहां और लोग भी थे। उन्होंने कहा भाई! अपनी बात इनको बताओ, ये आगे बतला देंगे।

तब वह बताने लगा, कहा मैं बादशाह था। मैंने बहुत गलती किया। बहुत लोगों को मरवा-कटवा दिया। छः सौ सिपाहियों की मेरी फौज थी।
बाद में मुझे भी मार दिया गया तो मैं भूत हो गया। अब वो जिसके ऊपर सवार था उसके लिए कहा कि इसने मेरा घर ले लिया, इसको मैं छोड़ूंगा नहीं। तो हमने कहा इसे परेशान न करो।
तब उसने कहा बाबा से कह दो कि हम को मुक्ति-मोक्ष दिला दो, हमको इस प्रेत योनि से छुड़वा दो।
हम कहां जाए? हमसे जो जबरदस्त भूत मिलते हैं वह हमको मारते हैं।

*"भूत-प्रेतों का भोजन है सुगंधी। हमेशा भूख के मारे व्याकुल रहते हैं, पेट भरता नहीं है..."*
आपको क्या पता? भूत, दूसरे भूत को जब मारते हैं चार चार कोस तक चिल्लाने की आवाज जाती है। बड़ी तकलीफ होती है।
पेट बहुत बड़ा, मुंह बहुत छोटा। कुछ खा नहीं पाते हैं। तो खाते क्या है? खुशबू, सुगंधी, अगरबत्ती, खोया मिठाई, फूल-पत्ती, लड्डू की, उसकी जो खुशबू आयेगी वह खाते हैं। तो पेट भरता ही नहीं। *बड़ी तकलीफ होती है।*

*"मनुष्य को यमराज के दूत बयालीस प्रकार के नर्कों में तरह तरह की सजा देते हैं..."*
चूक जाने पर, न समझ पाने पर, शरीर से गलती करने पर बड़ी मार पड़ती है। नर्कों में काटे, जलाए, तपाए जाते हैं। आपको क्या पता है?
ऐसे लेटा देते हैं, सीने पर सवार होकर के दबाते हैं। दबाने से जब चिल्लाता है तो जीभ और आंखें बाहर निकल आती हैं।

जब बेहोश होने लगता है तो यमराज के दूत सीने से उतरते है और तब आंखें, जीभ अंदर चली जाती है। होश में आ जाता है, खड़ा हो जाता है, तब यमराज के दूत फिर दबाते हैं।
ऐसे हाथ पकड़ा और फेंक दिया, हाथ उखाड़ने का दर्द होता है। जब देखा कि बेहोश हो रहा है तो हाथ को वापस फेंक दिया तो जुड़ जाता है और फिर वैसे का वैसे हो जाता है। फिर पैर पकड़ के फेंक देते हैं। पैर उखड़ गया।
*एक-दो बार? बहुत बार ऐसा करते हैं।*

*"सजा देने के लिए ही नर्कों में भेजा जाता है, वहां तरह तरह की यातनाएं दी जाती है..."*
खूब कोड़े लगाते हैं, नरकों में डाल देते हैं। टट्टी-पेशाब का, खून-मवाद का, मुर्दों के सड़ने का अलग नरक रहता है।
तेज गरम तांबे के घड़े के ऊपर डाल देते हैं। ऊपर गिरे तो घडा घुमा फिर दूसरे फिर तीसरे घड़े के ऊपर गिरा, पूरा एकदम से शरीर जल जाता है।
यह मनुष्य शरीर तो यही पर छूट जाता है और वहां पिशाच का शरीर मनुष्य जैसा ही होता है तो उसमें सजा मिल जाती है।
*मनुष्य शरीर की कीमत न समझ पाने पर, चूक जाने पर बहुत भयंकर नर्कों में सजा मिलती है।*

Sant umakantji maharaj ji maharaj


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