*"मांसाहारी आदमी कभी दयालु हो ही नहीं सकते.."*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 24.12.2021*

*सतसंग स्थलः गुजैनी, जिला कानपुर, उत्तरप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 17.दिसम्बर.2021*

*"ऐ इन्सानों होश में आओ, सभी जीवों में प्रभु की अंश जीवात्मा है, सभी उनके बच्चे हैं..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

मनुष्य को गलत खान-पान से दूर रहने की समझाईश दे कर, शाकाहारी और सदाचारी जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले, मानव मात्र की आध्यात्मिक तरक्की का मार्ग प्रशस्त करने वाले, इस समय के महान समाज सुधारक उज्जैन के परम पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने दिनांक 17 दिसंबर 2021 को गुजैनी, जिला कानपुर, उत्तरप्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,

मांस मनुष्य का भोजन नहीं है। यह खून को बेमेल कर देता है और तरह-तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं। डॉक्टर भी नहीं पता लगा पाता है और बुद्धि भी खराब होती है। खून जब गर्म होता है तो क्रोध बढ़ जाता है।

*"मांसाहारी आदमी कभी दयालु हो ही नहीं सकते.."*
अक्सर यह देखा जाता है मांसाहारी लोग ज्यादा कामी और क्रोधी होते हैं। वो कभी दयालु नहीं हो सकते हैं। इसका पाप लगता है।
कहोगे कि हम तो मांस खरीद कर लाते हैं, हिंसा-हत्या नहीं करते हैं, लेकिन पाप सबको लगता है। आप अगर मांस खाना बंद कर दो तो जानवर का कटना बंद हो जाएगा, उनकी जान बच जाएगी। सभी जीवों में प्रभु की अंश जीवात्मा है।
इसलिए कहते हैं कि,

*मत सता गरीब को नही तो रो देगा। जब सुनेगा उसका मालिक जड़ से खोदेगा।।*
*जो गल काटे और का, अपना रहा कटाय। साहेब के दरबार में, बदला कहीं न जाए।।*
तो बदला देना पड़ेगा। कर्मों का देश है, कोई बच नहीं पाएगा। कर्मों की सजा मिल जाएगी इसलिए दया करो, नहीं तो पाप के भागीदार बन जाओगे।

*"पशु-पक्षियों के मांस को खाने पर ऐसी-ऐसी बीमारियां आयेंगी कि बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की बुद्धि फेल हो जाएगी ..."* 
जो जानवरों को मारता है, काटता है, लाता है, पकाता है, खाता है, खिलाता है; इन सबको बराबर का पाप लगता है, इसलिए बच्चियों इसे घर में नहीं आना चाहिए।
मछली तालाब के सफाई के लिए बनाई गई। कोई भी गंदी चीज डाल दो, उसे मछली खाती है। जब मर जाती है तब पानी के ऊपर तैरती है। गिद्ध और कौवे खाते हैं।
उनके आहार के लिए बनाया गया है। इसीलिए मछली अब मत खाना। जान-अनजान में खाए तो माफी मांग लो उस प्रभु से।

मुर्गियों के खराब खून, उनके टट्टी-पेशाब का खराब हिस्सा इकट्ठा हो कर अंडा बनता है। अंडा मत खाना न बच्चों को खिलाना। कभी भी अंडा खाने से बीमारी दूर नहीं होती, शरीर स्वस्थ नहीं होता बल्कि और बीमारियां पैदा हो जाती हैं।
माताएं मासिक धर्म होती है, खराब खून इकट्ठा हो जाता है, बच्चा बन जाता है। मुर्गियों का खराब खून, उनके टट्टी-पेशाब का खराब हिस्सा इकट्ठा होकर अंडा बन जाता है। अंडा मत खाना बहुत गंदी चीज है।

*"ऐसे नशे का सेवन मत करना जिससे मां, बहन, बेटी की पहचान आंखों से खत्म हो जाए..."*
ये जितने अपराध और भ्रष्टाचार हो रहे हैं? सब शराब की वजह से हो रहे हैं। शराब मत पीना, शराब में एक हजार बुराइयां हैं।
मुसलमानों की किताबों में लिखा है कि एक कतरा भी शराब का जिस्म पर पड़ जाए तो उसे काट कर फेंक देना चाहिए। हिंदुओं की किताब में लिखा है,

*गंगा जल कृत बारुनि जाना। कबहुँ न संत करहिं तेहि पाना॥*
गंगाजल जैसे जल में शराब बनाई गई हो तो भी नहीं पीना चाहिए।
भांग, गांजा आदि हैं। अब तो बहुत सी नशे की गोलियां चल गई हैं। ऐसे नशे की चीजों को मत खाना कि जिससे पागल से हो जाओ, बुद्धि खराब हो जाए। मां-बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाए, ऐसा कोई काम मत करना।

*"प्रभु प्राप्ति का रास्ता नामदान ले लो और गुरु दक्षिणा में अपनी सारी बुराइयों को दे दो..."*
देखो बच्चों! दूसरी औरत के साथ बुरा कर्म मत करना। और बच्चियों! दूसरे पुरुष के साथ बुरा कर्म मत करना।
*आपको अब नामदान देता हूं। यह जो बुराइयां छोड़ोगे, वही सबसे बड़ी होगी दक्षिणा, अपनी बुराईयां यहीं छोड़ जाओ।*



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