*"समय से बच्चे-बच्चियों की शादी कर दो ताकि बच्चे उम्र की भूख में गलत निर्णय न ले लें..."*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 14.12.2021*

*सतसंग स्थल: देवगांव, जिला आजमगढ़, उत्तरप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 11.दिसम्बर.2021*

*"पिछले जन्मों के कर्मों का लेना-देना है इसलिए एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया गया,*
*उसको अदा करके अपने असली घर चलो..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

वक्त के पूरे महात्मा महापुरुष, मनुष्य शरीर में मौजूद त्रिकालदर्शी समरथ संत सतगुरु, उज्जैन वाले पूज्य *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 11 दिसम्बर 2021 को देवगांव, जिला आजमगढ़, उत्तरप्रदेश में सतसंग सुनाते हुए बताया कि,
आप यह समझो कोई कड़क स्वभाव का होता है। तो उससे रिश्ता जोड़ दिया गया, कर्मों का लेना देना है, जैसे की पिछले जन्म में किसी के रहे तो उसका कर्जा है। यहां पर जोड़ दिया गया तो कर्ज की अदाई कर लो।

देखो! किसी का लड़का काम नहीं आता है, पढ़ाया-लिखाया, चला गया विदेश में या दो हजार किलोमीटर दूर।
रुपया तो भेज देगा लेकिन जब बीमार पड़ोगे तो सेवा करेगा? इसलिए पढ़ाया लिखाया? लेकिन जब बीमार पड़ते हो तो टट्टी-पेशाब दूसरा साफ करता है।

*"बच्चों को बुजुर्गों के पास बैठना चाहिए और अच्छा ज्ञान कहीं से भी मिले, ले लेना चाहिए..."*
देखो! बुजुर्गों को बहुत अनुभव होता है। फटा पैंट पहनने वाले लड़के बुजुर्गों को कुछ समझते नहीं हैं। कहते हैं ये अनपढ़ गंवार है और मैं तो पढ़ा-लिखा हूं, टाई, कोट-सूट पहनता हूं, ज्यादा जानकार हूं, इनसे क्या बात करूं?
और ये चड्डी बनियान, ऊंची एड़ी की चप्पल पहनने वाली बहुएं, माताओं को तो कुछ समझती नहीं है। ये तो गंवार अनपढ़ हैं, मैं इनसे क्या पूछूं ?

लेकिन मैं आपको याद दिलाऊं, कोई डॉक्टरी पढ़ कर लड़की आवे तो दूसरे के पेट से बच्चे को तो निकाल तो देगी लेकिन उसका बच्चा पैदा होने का समय आएगा तब निकाल नही पाएगी।
वहीं अनपढ़ सास हाथ फेर करके आराम से बच्चे को निकाल देती है। इसीलिए बच्चियों! सम्मान-इज्जत करो, सेवा करो सास की, उनसे ज्ञान लो।

बच्चों! जो अपने या दूसरों के बुजुर्ग हैं, दादा बाबा जिनको कहते हो, उनसे आप सीखो।
*पैर हाथ दबाओ, सेवा करो, कहो कि ज्ञान की कोई बात बताओ।*

*"समय से बच्चे-बच्चियों की शादी कर दो ताकि बच्चे उम्र की भूख में गलत निर्णय न ले लें..."*
समय से शादी ब्याह नहीं करते हैं। लड़का लड़कियों का तो भूख होती है, उम्र की भूख होती है।
समझ नहीं होती, रूप-रंग, पढाई-लिखाई, धन-दौलत पर चले जाते हैं। अपनी मन से पसंद कर लेते हैं पर धोखा होता है तो फिर नहीं निभता है।

*"बच्चियों कोई मेहमान आ जाए तो भाव से बना कर भोजन खिलाओ..."*
कहा गया *अतिथि देवो भव:* जो मेहमान आ जाते हैं, वो देवता हैं। अगर रात में कोई आ गया तो कुछ बहुएं कहती हैं कि टेंशन आ गया।
बेमन से बनाती हैं। वह बेचारा खाता है तो मन नहीं भरता है। कभी थोड़ा खाने पर भी कहते हैं मन भर गया आज, बहुत बढ़िया भोजन बना था।

किसी दिन थाली भर खाता है और कहता है मन नहीं भरा। तो मन किससे भरता है? भाव से भरता है। तो भाव से बनाओ और भाव से खिलाओ।
*इसीलिए तो हमारे गुरु महाराज जी के पास लोग जाते थे कि हमारा कर्जा अदा करा देंगे, बहुतों का कर्जा अदा करा दिया।*

Jaigurudev-satsang ki pathshala



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