*"जिस काम के लिए ये मनुष्य शरीर मिला है, वह असला काम पूरा कर लो..."*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 15.12.2021*

*सतसंग स्थलः बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 05.नवम्बर.2021*

*ऐसे समरथ गुरु को खोजो जो कर्मों के पर्दे हटा कर, शिव नेत्र खोल कर, जीते जी प्रभु का दर्शन करा सके....*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

तीसरी आंख, शिव नेत्र, दिव्य चक्षु पर जमा कर्मों को हटा कर, जीते जी भगवान का दर्शन कराने वाले, इस कलयुग में अति सरल शब्द योग साधना का गोपनीय भेद खोलने वाले, अपने घर में रह कर ही प्रभु प्राप्ति का रास्ता *नामदान* बताने के इस धरा पर एकमात्र अधिकारी,

इस समय के पूरे समरथ संत सतगुरु पूज्य *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 05 नवंबर 2021 को उज्जैन आश्रम पर दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित सतसंग में बताया कि,
यदि बाहरी चीजों को इन बाहरी आंखों से देख कर विश्वास कर लिया जाए कि यही भगवान हैं तो यह भ्रम और भूल होगा।

*"समरथ गुरु कर्मों को जला कर, दिव्य दृष्टि खोल कर, भगवान और देवी-देवताओं का दर्शन कराते हैं..."*
भगवान का दर्शन, देवी-देवताओं का दर्शन, दिव्य दृष्टि, तीसरी आंख, आत्मचक्षु, शिवनेत्र से ही होता है। लेकिन वह बहुत दिनों से बंद है, कर्म के पर्दे लगे हुए हैं।
जब कोई समरथ गुरु मिल जाते हैं जो कर्मों को जला दें, कर्मों का पर्दा हटा दें तब वह दिव्य दृष्टि खुलती है। तो उनकी तलाश करो।

*"समरथ गुरु के बिना परेशान रहोगे, गारंटी नहीं कि बाद में ये शब्द योग साधना का रास्ता मिले..."*
लोगों को बताने की जरूरत है कि समरथ गुरु के बगैर तुम भटकते रह जाओगे, आपकी जीवात्मा का कल्याण हो नहीं पाएगा।
जब तक यहां रहोगे शरीर से, मन से, धन में बरकत रुक जाने से परेशान रहोगे और शरीर का समय पूरा होने पर जीवात्मा फंस जाएगी, नरकों-चौरासी की तरफ चली जाएगी।

इसलिए समय रहते, शरीर में ताकत रहते, समरथ गुरु की तलाश कर लो और उनसे रास्ता *नामदान* लेकर अपने घर में ही बैठ करके भगवान का दर्शन करो।
भगवान खुदा गोड़ के मिलने, दर्शन-दीदार करने का ये सुलभ रास्ता, जो इस समय पर खुला है, जो पहले नहीं था और भविष्य में रहेगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

*"जिस काम के लिए ये मनुष्य शरीर मिला है, वह असला काम पूरा कर लो..."*
आप लोगों को बताओ कि रास्ता लेकर के अपना काम बना ले। जिस काम के लिए ये मनुष्य शरीर मिला है वह असला काम पूरा कर ले।
मां के गर्भ जो वादा किया था कि बाहर निकालो, भजन करेंगे, अब नर्क-चौरासी में नहीं जाएंगे, मां के पेट रूपी नर्क में फिर दोबारा नहीं आएंगे, वह वादा पूरा कर लें लोग, *यह बताने-समझाने की जरूरत है।*

*"प्रभु प्राप्ति के लिए थोड़ा त्याग करना पड़ेगा, शाकाहारी, नशामुक्त बनो... "*
अब भगवान का दर्शन ऐसे नहीं हो सकता है। इंद्रियों के भोग का सब कुछ कर्म करते रहो, थोड़ा बहुत भी त्याग न करो, नभ्या, जिभ्या पर कंट्रोल न करो और भगवान का दर्शन भी कर लो, तो ये नहीं हो सकता।
एक कहावत है कि मीठा भी हो और भरपेट भी हो, परात भर के भी हो तो यह कैसे संभव होगा?

मीठा तो खाने या तीखे के बाद थोड़ा खा लिया जाता है तो मन भर जाता है।
*ऐसे ही जिसने दुनिया बनाया है, उसकी एक झलक मिल जाए तो सोचो आपको कितनी खुशी होगी।*

इसके लिए थोड़ा पहरेज जरूरी होता है क्योंकि इसी मनुष्य शरीर में प्रभु का दर्शन होता है, इसलिए इसको साफ सुथरा यानी शाकाहारी, सदाचारी और नशामुक्त रखना जरूरी होता है।
*जरूरी नहीं कि ये शब्द योग साधना का रास्ता आगे भी खुला रहेगा इसलिए समरथ गुरु मिले बिना सारी उम्र परेशान, भटकते रह जाओगे, शरीर में ताकत रहते उन्हें खोज लो।*

satguru ji maharaj


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