*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 22.12.2021*
*सतसंग स्थलः रजौला, चित्रकूट, जिला सतना, मध्यप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 21.दिसम्बर.2021*
*"जब से शराब-मांस का प्रचलन बढ़ा,*
*खून के रिश्ते को लोग तार-तार कर दे रहे हैं..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
इतने अधिक धर्म-कर्म के काम करने के बावजूद मनुष्य को दुःख, तकलीफ, परेशानियां बराबर बनी हुई है। इसका मूल कारण बताते हुए इस समय के महापुरुष उज्जैन वाले परम पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 21 दिसंबर 2021 को चित्रकूट, मध्यप्रदेश की धार्मिक धरती पर दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर लाइव प्रसारित संदेश में उपस्थित भारी जन समुदाय को बताया कि,
जन्मते और मरते समय हर जीव के बच्चे को तकलीफ होती है। जब से मांसाहार, शराब जैसे नशे का सेवन बढा तब से अपराध बढ़ता चला जा रहा है, प्रकृति के नियम को लोग तोड़ते चले जा रहे हैं।
खून के रिश्ते को तार-तार कर दे रहे हैं, मां बहन बेटी की पहचान आंखों से खत्म होती जा रही है, मार काट सब बढ़ता चला जा रहा है।
*तो कैसे शांति आएगी? कैसे लोगों को सुकून मिलेगा?*
*"सभी जीवो में परमात्मा की अंश जीवात्मा है..."*
इसलिए सभी पर दया करो नहीं तो वो नाराज होकर सजा देगा। कोई जानवर को जब मार देता है वह भी तड़प करके ही मरता है।
इसीलिए कहा जाता है कि रक्षा करो। सबके अंदर यही जीवात्मा है। सजा भोगने के लिए उस योनि में डाल दी जाती है।
जीव जंतुओं पर दया और कृपा करो। उसी मालिक की अंश सबके अंदर है वरना वह नाराज हो जाएगा, सजा दे देगा। कहा गया-
मत सता गरीब को नहीं वह रो देगा।
जब सुनेगा उसका मालिक जड़ से खो देगा।।
इसीलिए तो कहा गया, शरीर को पवित्र रखो। इससे हिंसा हत्या मत करो। इस शरीर के अंदर मुर्दा मांस मत डालो।
यह मानव मंदिर है, गंदा हो जाएगा। जब यह गंदा हो जाएगा तो कितना भी पूजा और उपासना करोगे तो कबूल नहीं होगा।
*"मिट्टी और पत्थर के मंदिर में कोई मुर्दा मांस डाल दे तो पूजा नहीं करोगे..."*
मिट्टी-पत्थर का मंदिर बनाते हैं, उसमें अगर मुर्दा, मांस या गंदी चीज कोई डाल दे तो पूजा-पाठ कोई नहीं करेगा। क्योंकि जगह गंदी हो गई।
आप कहोगे यहां से अगर हम भगवान को याद करेंगे तो पूजा पाठ से स्वीकार, कबूल नहीं करेंगे। मंदिर-मस्जिद में कोई डाल दे, गुरुद्वारा में कोई डाल दे तो वहां कोई पाठ करेगा?
*कहते हैं जगह गंदी हो गई तो इस मनुष्य शरीर को साफ सुथरा रखना चाहिए।*
*"पूजा पाठ स्वीकार क्यों नहीं होती है?"*
क्योंकि हाथ, पैर, मुंह सब गंदा है, इसलिए इतना पूजा पाठ करते हुए भी आदमी दु:खी है। जो भी आप पूजा पाठ करते हो, फूल, पत्ती, प्रसाद हाथ से चढ़ाते हो, मुंह से मंत्र पढ़ते हो तो इसी मुंह से जब मांस खाए और शरीर के अंदर जब गया, उसी से हाथ, पैर, नाक, कान सब चलते हैं तो इससे भला कैसे पूजा पाठ कबूल होगा?
इसीलिए देखो! कितना पूजा-पाठ, यज्ञ होते हुए भी आदमी दु:खी है। अरे भाई! भगवान कौन है?
दाता है, देवता उनको कहा गया। वो देने वाले, दु:खों को दूर करने वाले हैं। दीनबंधु, दीनानाथ, गरीब परवर उनको कहा गया।
*जब वह खुश नहीं हो पाते तो आपकी तकलीफ नहीं जाती है। इसलिए सभी शाकाहारी सदाचारी नशा मुक्त बनो।*
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