*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 28.10.2021*
*सतसंग स्थलः ग्राम बागली, जिला देवास, मध्यप्रदेश / दिनांक 27.अक्तूबर.2021*
*"परमात्मा जीवों को दु:खों से निकालने के लिए समय-समय पर संतों को धरती पर भेजा करते हैं।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
इस धरती पर अवतरित परमात्मा के तदनुरूप, जीवों के दुःख को हरने वाले, प्राणीमात्र को सुख शांति दिलाने वाले, इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद पूरे संत सतगुरु,
उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 27 अक्टूबर 2021 को बागली, जिला देवास, मध्य प्रदेश में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
*प्रेमियों! सच पूछो तो यहां कोई सुखी है ही नहीं।*
क्योंकि सुख नाम की तो कोई चीज इस संसार में है ही नहीं। यह तो दुखों का संसार है।
अगर कोई चैलेंज करें तो अभी इसी में बैठे हुए में से दस बीस पचास को बता दूंगा कि इनके यहां रोज झगड़ा होता है, कोई न कोई बीमारी बनी रहती है।
कुछ न कुछ लगा ही रहता है। यहां किसी चीज में सुख है नहीं।
*इस परिवर्तनशील संसार में स्थायी आनंद है ही नहीं।*
जैसे खाने-सोने के बाद आदमी भूल जाता है कि क्या खाये, कहां सोए?
ऐसे ही यह भूल और भ्रम का संसार है। कान से, जीभ से, आंख से थोड़ा आनंद लिया फिर आगे बढ़ गए। फिर कुछ और खोजते हो। इस परिवर्तनशील संसार में कोई चीज स्थाई है ही नहीं।
इसीलिए महापुरुष समझाने-बताने के लिए समय-समय पर आते रहते हैं। राम आये, कृष्ण आये। अब कलयुग में जब लोगों के कर्म ज्यादा खराब होने लग गए, लोग भूल गए धर्म-कर्म को, पवित्र रिश्तों को तो यह मानव मंदिर गंदा हो गया और सजा मिलने लग गई।
*आज पूजा-इबादत करते हुए भी आदमी को सुख-शांति क्यों नहीं मिल पा रही?*
क्योंकि पूजा-पाठ कबूल नहीं हो रहा। जैसे मंदिर में कोई मुर्दा-मांस डाल दे तो पूजा नहीं करोगे?
ऐसे ही इस मानव मंदिर में मुर्दा-मांस-शराब डाल दिया तो कितनी भी पूजा करोगे कुबूल नहीं होगी। *इस दुख के संसार से निकलने का रास्ता केवल सन्त बताते हैं जो समय-समय पर धरती पर आते रहते हैं।*
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Jaigurudev