*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 10.10.2021*
*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश / दिनांक: 03.अक्टूबर.2021*
*"छल कपट को दूर रख कर निर्मल मन से जो प्रभु को याद करता है, वही उनको पाता है।"*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
इस धरती के सरताज, सतपुरुष के साक्षात अवतार, सभी जीवों के सम्भाल कर्ता, इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद सतगुरु,
उज्जैन के पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 03अक्टूबर 2021 को आश्रम उज्जैन में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
जैसे हनुमान जी ने संकल्प बनाया - *"राम काज कीन्हे बिना मोहे कहां विश्राम।"* राम का साथ देने के लिए कह दिया तो तनिक भी नहीं घबराए और जान की भी बाजी लगा करके उनके काम में लगे रहे।
*राम ने गुरु के आश्रम पर सीखी आध्यात्मिक विद्या को बंदर - भालुओं में भरा, फिर ऐसा काम किया जो इंसान नहीं कर सकता।*
राम भगवान गुरु के आश्रम से पढ़ कर के गए थे और जब जंगल जाने को हुआ तो उनका किसी ने साथ नहीं दिया।
अयोध्या में बड़े-बड़े विद्वान, ज्योतिष, पंडित, मुल्ला, पुजारी, मठ के मठाधीश, जानकार, पहलवान, बलवान थे लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया राम भगवान का।
बंदर और भालुओं को राम भगवान ने इकट्ठा किया और उनसे कहा *मुझे धर्म की स्थापना करना है, तुम लोग मेरा साथ दे दो।* तो बंदर और भालू बोले हमारे पास है ही क्या? जो हम आपका साथ देंगे।
आपका जो कपड़ा लत्ता, तीर-धनुष चुरा नहीं रहे हैं यही हमारी सेवा है। राम ने कहा कि अच्छे काम के लिए आप लोग हमारा सहयोग करो। तो बोले हमारी जान हाजिर है।
राम ने कहा तुम्हारी जान नहीं लूंगा, मैं इसी हिम्मत और हौसले से काम ले लूंगा। राम ने रिद्धि सिद्धि, कामधेनु, कल्पवृक्ष प्राप्त की थी गुरु विश्वामित्र के सानिध्य में।
उन्होंने साढ़े बारह वर्ष जंगल में रखा था, मांग करके ले गए थे, राम को नव गुणों से लैस किया था। राम ने वो ही नौ गुण भर दिए उनके अंदर।
एक-एक बंदर-भालू ने जो काम किया, आदमी नहीं कर सकता। कहने का मतलब यह है कि संकल्प बनाया उन्होंने। कहा है न ...
*मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।*
*पारब्रह्म को पाइए, मन के ही परतीत।।*
*प्रेमियों! संकल्प बनाओ, संकल्प में बहुत बड़ी शक्ति रहती है।*
संकल्प नहीं बन पाता है प्रेमियों! आपका, न सेवा का, न भजन का, न भाव भक्ति का। भक्तों का इतिहास भरा पड़ा हुआ है। प्रहलाद जैसे कितने भक्तों का पाठ आज भी बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं।
*प्रेमियों! संकल्प बनाओ की आज ध्यान - भजन में कुछ प्राप्त करके ही उठेंगे, दया मांग लो।*
संकल्प बनाओ कि हम आज कुछ प्राप्त करके ही दम लेंगे। संकल्प नहीं बन पाता है की जब हम ध्यान-भजन में बैठेंगे, आज तो गुरु आपको दया कर ही देनी है।
कृपा मदद मेरी कर ही देनी है। मैं तो आज आवाज पकड़ कर के कुछ सुन कर के, कुछ देख कर के दृश्य ऊपरी लोकों का, तभी उठूंगा।
*निर्मल मन से जो उस प्रभु को याद करता है, छल कपट को अलग रख कर के उनको याद करता है वही उनको पाता है।*
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Jaigurudev