∎ एक व्यक्ति हमारे पास आया। रास्ता लिया भजन करने लगा। वह पहले जिस देवता की पूजा करता था वह सामने उसके खड़ा हो गया और बोला कि देखो मैं तुम्हारे पास आ गया अब उनको छोड़कर मेरे पास आओ मेरी पूजा चढ़ाओ यानी बकरे की बलि चढ़ाओ। उसका ध्यान टूट गया। वह मेरे पास आया और मुझे सब बताया। मैंने उसको समझाया कि ऐसा कभी मत करना वो तुम्हारा कुछ नहीं कर सकता। तुम भजन मे लगे रहो। उसने ऐसा ही किया। कुछ दिन बाद वो आया। मैंने उससे पूछा तो वह बोला कि वह देवता अब नहीं आता।
∎ सारा विश्व धर्म की तरफ झुक जायेगा। सब लोग सुख शान्ति की तलाश करेंगे और शान्ति अब यहीं से मिलेगी।
∎ चण्डी ने सब पैसा गायब कर दिया। सब हैरान हैं कि पैसा किधर चला गया। पहले जब हम बोलते थे कि चण्डी देश विदेश घूम रही है सबका धन गायब कर देगी तब सब मजाक करते थे।
∎ एक मुसलमान मेरे पास आया, सत्संग सुना और बोला कि मैं आज से वादा करता हूं कि अब कतई मांस नहीं खाऊंगा।
∎ जितनी जिम्मेदारी राजा को प्रजा के प्रति नहीं होती, मां बाप को बच्चों के प्रति नहीं होती, अध्यापक को विद्यार्थी के प्रति नहीं होती उससे बहुत बड़ी जिम्मेदारी महात्माओं को जीवों के प्रति होती है। यह सबसे खराब काम है। जीवों के पापों को अपने ऊपर लेना और उन्हे धोना, उनकी गन्दगी को साफ करना यह साधारण काम नहीं। महात्मा गधे की तरह जीवों के कर्मों के बोझे को ढोते रहते हैं और यह भजन द्वारा जलते रहते हैं। यह काम औतारी शक्तियां नहीं कर सकती हैं।
∎ मैं तुमसे कहता रहता हूं कि भजन करो भजन करो ताकि गन्दे कर्म साफ होते रहें पर तुम सुनते ही नहीं। ये बीमारी दूर कर दीजिए, वो बीमारी दूर कर दीजिए हरदम उल्टे सीधे फरियाद करते रहते हो। जो मैं कहता हूं कि भजन करो ताकि तकलीफें दूर हों तो यह बात तुम्हारी समझ में नहीं आती है।
∎ एक जलजला अगर आ जाय तो सब खाक हो जाएगा, पन्द्रह पन्द्रह बीस बीस कोस पर चिराग दिखायी देगा, मिलना जुलना अपने आप खत्म हो जाएगा फिर धर्म आ जाएगा। तुम्हें पता नहीं कि मसाला तैयार है और वो लोग फेंकेंगे तो सब साफ। इसीलिए कहता हूं कि भजन करो तो रक्षा हो जाएगी।
∎ हम डंका पीटकर कह रहे हैं कि 65 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग अपनी मेहनत और मशक्कत की कमाई से मन्दिर बनवा रहे हैं। जो खेती करते हैं मजदूरी करते हैं। और जो साधारण लोग हैं उनका पैसा मन्दिर में लग रहा है। इस बात को दिमाग से निकाल दीजिए कि बाहर से पैसा आता है।
∎ तुम अपनी चिन्ता करो अपने आत्म कल्याण की बात केवल भजन, भजन, भजन।
∎ मन्दिर पर प्रार्थना में सब लोग जाओ। सोचते हो कि यहां भजन कर लिया फिर वहां क्या जाना। तुम वहां जाओ और पांच मिनट ध्यान पर बैठो। मन को रोककर वहां ध्यान करो तो उतने ही में काम बन जाय। उसके बाद प्रार्थना करो। 8 बजे प्रार्थना होती है सबको जाना चाहिए।
∎ दुनिया ऐसी है कि जो ज्यादा मार काट मचाये उसकी पूजा करती है और जो दया करे गुनाहों को माफ करे, जीवात्माओं को जन्म मरण के चक्कर से छुड़ाए उसका विरोध करती है। राम ने कहा कि तुम अच्छा करो या बुरा करो तुम्हें कर्म फल भोगना पड़ेगा।
काल रूप में तिन्हकर भ्राता। शुभ और अशुभ कर्म दाता।
∎ आप ने मन लगाकर सेवा नहीं की। आलस करते हो। मन लगाकर सेवा करनी चाहिए। हम रहें न रहें आप सेवा करते रहो। सबसे अच्छी सेवा है यहां से चलने की । रहो सबके बीच में पर अन्तर से मन से सबसे अलग रहो। जब घाट पर बैठो तो इन सबको छोड़ दो। मन सुरत को अन्तर में लगा दो। इधर इन सबको पकड़े रहोगे तो उधर कैसे चलोगे ?
∎ आप आशीर्वाद मांगते हो। आशीर्वाद का कोई न कोई आधार होता है। आशीर्वाद कैसे दिया जाता है यह भी तुम नहीं जानते। धक्का मुक्की करते हो, कूदा फांदी करते हो, अपना भी नुकसान करते हो दूसरो का भी नुकसान करतो हो। सब्र सन्तोष से बैठे रहो। मैं तो सबसे मिलता ही हूं।
∎ महापुरुष तो चाहते हैं कि सब लोग भजन करें और अपने सच्चे घर पहुंचे पर तुम उनकी दया को पीते नहीं हो, अपने हृदय स्थल पर उतार कर रखते नहीं हो। नासमझी में उसको फेंक देते हो। अपना नुकसान करते हो।
∎ मैं तो पहले भी सत्संग करता था। कुछ कहता था तो इसलिए कि सब लोग सम्हल जाओ ऐसा काम मत करो पर एक हल्ला हुआ जिसमें बहुत से साधू सन्यासी, राजनीतिक पार्टियों के लोग पकड़े गए। हमको भी पकड़ लिया। हम कोई आन्दोलन तो करते नहीं थे, न कभी तोड़फोड़ की बात की। हमारे लिए क्या, चाहे अन्दर जेल में रहें या बाहर। हमें तो भजन ही करना पर हमारे प्रेमियों को दुख हुआ, उनको तकलीफ हुयी। यह नुकसान हुआ।
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