जयगुरुदेव*बाबा जयगुरुदेव जी महाराज एवं बाबा उमाकान्त जी महाराज का संक्षिप्त परिचय*
भारत देश सदैव से धार्मिक व आध्यात्मिक देश रहा है क्योंकि अवतारी शक्तियां, ऋषि, मुनि, योगी, योगेश्वर व सन्तों का आगमन समय समय पर इस देश में हुआ है। प्रमुख महापुरुषों में जैसे भगवान श्री रामचंन्द्र जी भगवान श्री कृष्ण जी, भगवान बुद्ध जी, भगवान महावीर जी, भगवान परशुराम जी तथा सन्तों में पूज्य कबीर दास जी, गोस्वामी तुलसी दास जी, स्वामी रैदासजी, नानकदेवजी, गरीब दासजी, स्वामी तुलसीजी (हाथरस) शिव दयाल जी (राधास्वामी जी) विष्णु दयाल जी घूरेलाल जी महाराज।
भारत की इस धर्म धरती पर सन्तों में ही कुछ समय पहले परम पूज्य परम सन्त तुलसीदास जी महाराज (बाबा जयगुरुदेव) अवतरित हुए जो पूरे देश में ही नहीं विदेशों में भी अपने अलौकिक पावन बुद्धि व परम शक्ति के द्वारा अध्यात्म से लोगों को अवगत कराया। बाबाजी ने करोड़ो लोगों को नामदान (प्रभु प्राप्ति का रास्ता) बताया और परमार्थ के रास्ते पर चलाया। जयगुरुदेव नाम से विख्यात ऐसे सन्त सतगुरु ने दया करके बहुत से जीवों को निज घर यानी सतलोक पहुंचा कर मुक्ति-मोक्ष दिला कर जनमने व मरने की पीड़ा से छुटकारा दिला दिया। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज काफी भटकने के बाद अपने गुरु स्वामी घूरेलाल जी महाराज के पास चिरौली पहुंचकर नामदान लेकर आध्यात्मिक शक्ति अर्जित की और फिर अपने गुरु के आदेशानुसार 10 जुलाई सन 1952 से नामदान देना शुरु किया। तब से बराबर जीवन पर्यन्त परमार्थी कार्य में लगे ही रहे।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज 18 मई 2012 को निजधाम जाने से पहले 5 वर्ष पूर्व ही 16 मई 2007 को वशीरतगंज जिला उन्नाव उत्तरप्रदेश में सतसंग सुनाते हुए अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करते हुए कहा था कि कोई नया आएगा तो उसको उमाकांत तिवारी देंगे नाम और पुरानों की सम्हाल करेंगे। ध्यान भजन करायेंगे और जब यह जाने लगेंगे तब जिसको समझेंगे ध्यान भजन करता है, लायक है, उसको बता देंगे।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के शरीर त्याग के बाद कुछ समय तक तो बाबा उमाकांत जी महाराज सम्हाल का ही काम करते रहे। बशीरतगंज में मौजूद अपने ही कानों से सुनने व कैसेट सुनने के बाद अन्य सतसंगियों ने बाबा उमाकांत जी महाराज को पूरी मान्यता दी, प्यार सम्मान दिया। साथ ही यह प्रार्थना किया कि अब नाम दान लेने की भूख काफी लोगों में बढ़ गई है इसलिए नामदान देना शुरु कर दीजिए। फिर बाबा उमाकांत जी महाराज ने 22 जुलाई 2013 जयपुर से नामदान देना शुरु कर दिया और अभी भी बराबर देश विदेश में खुले मंच से नामदान दे रहे हैं।
जो लोग नामदान लेकर नियमित सुमिरन, ध्यान और भजन परहेज के साथ करते हैं उनको काफी कुछ बीमारी तकलीफों व अन्य तरह की समस्या सुलझाने के साथ आध्यात्मिक विकास में मदद मिल रही है। बाबा उमाकांत जी महाराज के दर्शन करने, अपनी बातों को कह देने व उनकी बातों को मान लेने पर हर तरह का लाभ महसूस होता है जो अब तक जीवन में काफी स्थानों पर जाने से नहीं मिला। ज्यादा कहना आप अतिशयोक्ति मानोगे लेकिन जब आप बाबा उमाकांत जी महाराज का दर्शन करेंगे, उनकी बातों को सुनेेंगे तब अनुभव हो जाएगा।
बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था
बाबा उमाकांत जी महाराज जी की अध्यक्षता में 21 अगस्त 2012 को बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था को उज्जैन म.प्र. में रह रहे नर नारियों के आध्यात्मिक विकास के साथ साथ उनकी भौतिक परेशानियों में राहत पहुंचाना है। उपर्युक्त उददेश्य को पूरा करने के लिए -
संस्था मानव सेवा के कई कार्य अनवरत कर रही है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
१. बाबा उमाकांत जी महाराज के देश विदेशों में दौरा कार्यक्रम जिनमें लोगों को शाकाहारी सदाचारी नशामुक्त देशभक्त बनाने की शिक्षा देना व सतसंग नामदान सुरत शब्द योग की साधना तथा भौतिक कष्टों को दूर करने का उपाय बाबा जी द्वारा बताना।
२. विभिन्न देशों प्रांतों व जिलों में वक्ताओं द्वारा दिए जा रहे संदेशों से लोगों को शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त देशभक्त बनने की शिक्षा देना तथा सन्तों के दर्शन सतसंग से होने वाले लाभों को बताना। संस्था द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों की जानकारी देना, लोगों के कष्टों के निदान के उपाय बताना।
३. संस्था के मार्गदर्शन में विभिन्न प्रांतों में दहेज रहित सामूहिक विवाहों में निःशुल्क भोजन व जलपान व्यवस्था करना।
४. प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु निःशुल्क कोचिंग चलाना।
५. मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन राशि देना।
६. शिक्षकों व प्राचार्यों का सम्मान करना।
७. निःशुल्क अस्पताल चलाना।
८. एम्बूलेंस द्वारा पूर्णतया निःशुल्क चिकित्सा कैंप लगाकर दूर दराज के गांवों में डाक्टरी सहायता और दवा वितरण करना।
९. गौ वंश की रक्षा व गाय को राष्ट्रिय पशु बनाने के लिए देशव्यापी अभियान चलाना। साथ ही प्रांतीय आश्रमों पर कार्यक्रम आयोजित करना।
१०. गौशालाएं चलाना तथा देश भर में चल रही गौशालाओं में जहां चारे की कमी है वहां सहयोग करना।
११. जगह जगह निःशुल्क जलपान व्यवस्था व भोजन भंडारा चलाना।
१२. सुरत शब्द नाम योग साधना शिविरों का आयोजन करना आदि ।
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1 टिप्पणियाँ
Jay guru dev🙏
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