◆ JaiGuruDev Prarthanayen ◆ (post no.26)

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जयगुरुदेव प्रार्थना 153. 
*Kaise karu kasak uthi bhari**gt88ghhh*******
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कैसे करूँ कसक ऊठी भारी, 
मेरी लागी गुरु संग यारी।। 

दम-दम तड़पूँ, छिन-छिन तरसूँ, 
चढ़ रही मन में विरह खुमारी। मेरी...
 
सुलगत जिगर फटत नित छाती,
उठन लगी हिय में चिंगारी। मेरी...
 
नैनन नीर बहे जैसे नदिया, 
डूब मरी माया मतवारी। मेरी... 

ठण्डी आह उठे पल-पल में, 
छाय गयी अब प्रीत करारी। मेरी...

तोड़े ना टूटे, छोड़े ना छूटे, 
काल करम पच हारी। मेरी...
 
सुरत-निरत दोऊँ सिद्ध किन्हे, 
व्यथा लिखु अब सारी। मेरी... 

पतिया भेजूँ गुरु दरबारा, 
अब लो खबर हमारी। मेरी...
 
नगर उजाड़ देश सब सूना, 
तुम बिन जग अँधियारी। मेरी...

कौन सुने अब कौन संभाले, 
सब मोहि दीन निहारी। मेरी...

बही जात नैया मझधारा, 
तुम बिन मोहे कौन उबारी। मेरी...

खेवटिया क्यों देर लगाई, 
क्यों कर करूं पुकारी। मेरी...

मैं मर जाऊं जिऊं अब कैसे, 
तुम मेरी सुध ना संभारी।। मेरी...

दानों जान देव हर जीवा...
मैं तुम पर बलिहारी।। मेरी...

वचन सुनाओ दरश दिखाओ, 
हरो पीर मेरी सारी।। मेरी...

जय गुरु देव सुनो हमारी, 
मैं तुमरे आधारी।। मेरी..

कैसे करूं कसक उठी भारी, 
मेरी लगी गुरु संग यारी।।

जयगुरुदेव


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प्रार्थना 154. 
*Mere swami Jaigurudev**gt88ghhh*******
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मेरे स्वामी जयगुरुदेव, मेरी सुरत जगा देना।
भूला भटका फिरता, मुझे राह बता देना।।

यह मृत्युलोक स्वामी, इसमें दुःख भारी है,
यहां सुखी नहीं कोई, दुखिया संसारी है,
इस दुख के सागर से मुझे पार लगा देना...।

यह मन बड़ा चंचल है, कैसे मैं भजन करूं,
करो दया दृष्टि मुझ पर, जिससे इसे बांध सकूं।
दे करके युक्ति कोई, इसे आकर समझाना...।

गुरुदेव तेरी रहमत, दिन रात बरसती है,
इक बूंद ही मिलने को, मेरी रूह तरसती है।
करो दया दृष्टि मुझ पर, इक बूंद पिला देना...।

स्वामी मेरे जीवन की, बस एक तमन्ना है,
जब दम निकले मेरा, मेरे सामने आना है।
मेरे अन्त समय स्वामी, मुझे दरश दिखा देना...।।

जयगुरुदेव



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प्रार्थना 155. 
*Tikatiya kat do gurudev*
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टिकटिया काट दो गुरुदेव हमें निज धाम जाना है।
हमें निजधाम जाना है नहीं फिर आना जाना है।।

करम कोई न किया करके भस्म कर पाप की गठरी,
भस्म कर पाप की गठरी प्रेम का रंग चढ़ाना है।।

जगत की रेलगाड़ी से निराली रेलगाड़ी है,
लगा है ज्ञान का इंजन परमसुख धाम जाना है।।

यही एक नाम की पटरी कि जिस पर रेल जाती है,
मिला सत्संग का सिग्नल पिया के देश जाना है।।

टिकटिया काट दो गुरुदेव हमें निज धाम जाना है।
हमें निजधाम जाना है नहीं फिर आना जाना है।।

जयगुरुदेव



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प्रार्थना 156. 
*Jaigurudev dayalu meri asa*
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जयगुरुदेव दयालु मेरी आशा पूरी कर दो जी,
क्यों कर के मुख मोड़ खड़े हो सीधे गुरु दर्शन दो जी।।
हे गुरुदेव दयालु मेरी आशा पूरी कर दो जी,
क्यों कर के मुख मोड़ खड़े हो सीधे गुरु दर्शन दो जी।।

ना जाने कब कब और कितने, मुझसे कर्म कुकर्म हुए।
माया काल आदि के कारण यह सब भूल और भरम हुए।
मुझ पापी के पाप पुंज में, पावक जल्दी धर दो जी।
क्यों कर के मुख मोड़ खड़े हो सीधे गुरु दर्शन दो जी।।

बुरे कर्म वासना गंदी, मेरे मन की छुड़वा दो,
फूटे कर्म वासना गंदी, मेरे मन की छुड़वा दो।
जग पथ से मन मोड़ के मेरा, परमारथ से जुड़वा दो,
जग पथ से मन मोड़ के मेरा, परमारथ पथ जुड़वा दो।
गरल पाप खाली कर मेरे, भक्ति प्रेम रस भर दो जी।
क्यों कर के मुख मोड़ खड़े हो सीधे गुरु दर्शन दो जी।।

दया सिन्धु कहलाकर स्वामी, कब तक मुखड़ा मोड़ोगे,
अधम पातकी समझ मुझे क्या, पग पर में ही छोड़ोगे।
मेरे अवगुण चित्त नही देकर, निज प्रण पूरा कर दो जी।
क्यों कर के मुख मोड़ खड़े हो सीधे गुरु दर्शन दो जी।।

पहले तुमने देख लिया था, मुझ पापी को हे स्वामी,
अघ अवगुण अन्दर बाहर के, जान लिए अन्तर्यामी।
सब अपराध माफ कर मेरे, दया दीन पर कर दो जी।
क्यों कर के मुख मोड़ खड़े हो जलदी गुरु दर्शन दो जी।।

जयगुरुदेव



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प्रार्थना 157. 
*Mujhe kon puchta tha*
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मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले।
मैं तुम्ही को ढूढ़ता था, इस जिंदगी से पहले।।
मुझे कौन पूछता था, तेरी बंदगी से पहले।।

मैं तो खाक का जर्रा था, औऱ क्या थी मेरी हस्ती।
मैं थपेड़ खा रहा था, तूफ़ां में जैसे किश्ती।
दर दर भटक के आया, इस जिंदगी से पहले।
मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले।।

मैं था इस जहाँ में ऐसे, जैसे खाली सीप होती,
मेरी बढ़ गई है कीमत, तूने भर दिए हैं मोती।
मुझे मिल गया है तेरे चरणों का एइक सहारा।
मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले।।

यूं तो हैं जहाँ में लाखों, तेरे जैसा कौन होगा,
तू है रहमतों का दरिया, तेरे जैसे कौन होगा।
मजा क्या था जिंदगी में, तेरी बन्दगी से पहले।।
मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले।।

तू जो महरवां हुआ है, सारा जग ही महरवां है,
ये जमीं भी महरवां है, आसमां भी  मेहरवां है।
इक खुदा तलक जुदा था, इस जिंदगी से पहले।।
मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले।।

जयगुरुदेव
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Jaigurudev-Prathna



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