प्रेमियों! इस कोरोना काल में परमार्थ की कमाई जरूर करो। मनमुखता में रोग होने पर गुरु जिम्मेदार नहीं होंगे

जय गुरु देव

दिनांक: 02.04.2021
स्थान: जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम, उज्जैन, म.प्र.

*प्रेमियों! इस कोरोना काल में परमार्थ की कमाई जरूर करो। मनमुखता में रोग होने पर गुरु जिम्मेदार नहीं होंगे*

वर्तमान के पूरे सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने उज्जैन आश्रम से 02 अप्रैल 2020 को देश-विदेश के सभी सत्संगियों को सन्देश दिया कि मुझे कहना है कि अभी देश में कोरोना रोग की वजह से कर्फ्यू लगा हुआ है। इसमें घर से नहीं निकलने का आदेश है। इसका पालन करना है, घर से नहीं निकलना है, एक-दूसरे से दूरी बनाए रखना है, हाथ को बराबर धोते रहना है। 

जिस किसी भी माध्यम से यह कोरोना रोग के जो कीड़े हैं, इस शरीर के अंदर आते हैं, वैज्ञानिक जिस तरह से रिसर्च करके बताएं हैं और सरकार जिस तरह का प्रचार कर रही है, उसका सब लोगों का पालन करना है।
 
*प्रेमियों! जीवन का एक भी क्षण बेकार न चला जाये। पिछले जन्मों की तरह खाने और बच्चा पैदा करने में न निकल जाये*

लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि घर में हम बंद हुए हैं, घर से बाहर नहीं निकल सकते हैं। हमारे जीवन का एक भी क्षण बेकार न जाए। खाने-पीने में ही पिछले जन्मों की तरह न निकल जाए क्योंकि पिछले जन्मों में भी खाते और बच्चा पैदा करते ही रहे और अपना असला काम नहीं बना पाए। 

अपनी इस जीवात्मा को घर वापस नहीं पहुंचा पाए। इसलिए लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि अब छुट्टी मिली है खाने के लिए। कहते हैं न, बहुत से सतसंगी डिमांड करते हैं, हमको मालूम है कोई बताता थोड़ी है। आप कहोगे यह नहीं जानते हैं, हम सब जानते हैं। कई होटलों में जाते हैं, खाने के लिए डिमांड करते हैं, मटर-पनीर ले आओ, पराठा ले आओ। 

जैसे मीनू होता है, ऐसे घरों में भी मीनू बनवा रहे हैं। बनाने वाले भी और खिलाने वाले भी परेशान। देश भक्ति! और तरह से, दिमाग से निकाल दिए, अब यह देख देश भक्ति आ गई कि काम कर रहे हैं आप, देश में जनसंख्या कम हो जाएगी तो हम जनसंख्या ही बढ़ाएंगे, इसी काम में लगे हुए हैं। खाने और बच्चा पैदा करने के ही काम में लगे हुए हैं।

*प्रेमियों! गुरुमुखता अगर छोड़ोगे तो कुदरत बख्शेगी नहीं किसी को*

अरे भाई! आपको यह नहीं मालूम है, यही काम तो पशु और पक्षी भी करते हैं। यह देव दुर्लभ मनुष्य शरीर पाने का मतलब क्या निकलेगा? और सत्संगी होते हुए भी, जानकार होते हुए भी, नाम दानी होते हुए भी आप अपने सांसों की पूंजी को चौगुना खर्च कर दे रहे हो। जितनी साँसें बैठने में खर्च होती है उसका चार गुना भोगने में खर्चा हो जाता है। उसमें अपने समय को निकाल दे रहे हो।

कह रहे हैं, गुरु महाराज जी भी कहा करते थे, महाराज जी भी कहा करते हैं कि, है तो अच्छा खाओ, है तो अच्छा पहनो, बीवी-बच्चों के बीच में रहो, घर मत छोड़ो। इस बात को तो पकड़ लिए लेकिन जो कहा जाता है कि एक घंटा सुबह-शाम भजन करो उसको भूल गए। 

आप यह समझो मन का खुराक जिससे मिलता है, मन मुखता जिससे बढ़ती है, वह काम कर रहे हैं। गुरु मुखता जिस से बढ़ती है, गुरु जिससे सहाय होते हैं, गुरु जिससे लोक-परलोक बनाने में मदद करते हैं, उस चीज को तो भूले हुए हैं। आज की तारीख में आपको यह भी बता देना चाहता हूं कि कुदरत बख्शेगी नहीं किसी को। अगर गुरु मुखता को छोड़ोगे, गुरु के बताए रास्तों को छोड़ोगे, गुरु मस्तक से उतरेंगे तो..
कबीर साहब जी ने कहा:
 
गुरु माथे से उतरे, शब्द बीरोना होय।
ताकै काल घसीटइये बचा सकै न कोय।।

 *जितने भी नामदानी है, अगर रोग आपके अंदर होता है तो आप गुरु की दया की धार पर नहीं बैठ पाये तो उसके जिम्मेदार आप खुद होंगे*

तो बचना बहुत मुश्किल हो जाएगा प्रेमियों। इसलिए इस बात को जितने भी नाम दानी हैं, सब को समझने और मानने की जरूरत है। और अगर रोग आपके अंदर होता है, फैलता है तो समझ लो आपकी गलती के वजह से होता है। आप दया की धार पर नहीं बैठ पाए, आपने परहेज नहीं किया, आपने अचार-विचार सही नहीं किया, इस वजह से हो गया। उसके दोषी न हम होंगे और न गुरु महाराज होंगे और न कोई और होगा। 

इसलिए आपको सोचने की जरूरत है। आप सारे नियम-कानून का पालन करो, गृहस्थ आश्रम के नियम-कानून का पालन करो, देश के नियम-कानून का पालन करो और भजन जरूर करो, सुमिरन ध्यान में समय जरूर निकालो।

पूज्य महाराज जी के इस सतसंग का यूट्यूब लिंक: https://youtu.be/HXEUQZ5XHpg


BABA UMAKANTJI MAHARAJ


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