*इतिहास में ऐसे त्यागी राजा और मंत्री हुए जिन्होंने लोक कल्याण के लिए एक जगह गद्दी पर बैठकर राज नहीं किया -बाबा उमाकान्त जी महाराज*

जयगुरुदेव
प्रेस नोट-रामलीला मैदान न्यू दिल्ली

*इतिहास में ऐसे त्यागी राजा और मंत्री हुए जिन्होंने लोक कल्याण के लिए एक जगह गद्दी पर बैठकर राज नहीं किया -बाबा उमाकान्त जी महाराज*

सबकी भलाई चाहने वाले सदाचारी शाकाहारी बनाने वाले शराब जैसे बुद्धि नाशक नशा को छुडाकर व गऊ माता को राष्ट्रीय पशु बनाकर गऊ माता की जान बचाने का संकल्प लेने वाले वर्तमान के पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 20 अक्टूबर 2019 को रामलीला मैदान, दिल्ली में सतसंग में भारत के सुनहरे इतिहास को याद दिलाते हुए एक प्रेरक प्रसंग बताया कि 

भारत मे पहले ऐसे ऐसे त्यागी राजा और मंत्री हुये जो एक जगह गद्दी पर बैठ करके राज्य नहीं करते थे। ऐसे अच्छे कुशल राजा हुये हैं, जो वेष बदल करके और रात को घूमते थे की किसके पास रोटी, कपड़ा, रहने की जगह है या नहीं है, क्या समस्या है? सब रात को सुनकर के देखकर के जब आते थे तो सुबह उसी चीज के, उनके सुख-सुविधा का इंतजाम करवा दिया करते थे। यहां तक की त्यागी राजा हुए की टोपी सिल-सिल करके उन्होंने अपने बच्चों को खिलाया है। ऐसे राजा मंत्री हुए कि चाणक्य को देखो। 

हेन सांग और फाहियान, दो विद्यार्थी विदेश से आये थे पढ़ने के लिये तो चंद्रगुप्त का समय था। उसके राज्य को देखा कहा कि बहुत बढ़िया व्यवस्था है, बहुत बढ़िया इंतजाम है। आपने तो बहुत बढ़िया इंतजाम किया। तो उन्होंने कहा ये श्रेय मेरे मंत्री को देना चाहिए आपको। उन्होंने इतना बढ़िया इंतजाम सब कर दिया है। वही राज्य को एक तरह से बढ़िया ढंग से चला रहे हैं।

जब बाहर निकला तो पूछा कि कौन सा ऐसा मंत्री है जिसने इतना बढ़िया इंतजाम कर दिया है? पूछा तो लोगों ने कहा कि चले जाओ नदी के किनारे वहां चाणक्य रहते हैं झोपड़ी बनाकर के। उनसे अगर मिलना है तो वहां चले जाओ तो दोनों वहां पर गए। अंधेरा हो गया था। उनको प्रणाम किया तो बोले महाराज आपसे हम मिलने आए हैं। आपसे हमको कुछ बात करनी है। 

तो उन्होंने पूछा आप जो बात करोगे उससे आपका या आपके देश का फायदा होगा या उससे मेरे देश का या मेरे राजा का फायदा होगा? तब विद्यार्थियों ने कहा कि मेरा और मेरे देश का फायदा होगा तब चाणक्य जिस दीपक जला करके जो लिखा पढ़ी कर रहे थे, उसको बुझा दिया और उसी के बगल में दूसरा दीपक रखा हुआ था उसको जलाया और काफी देर तक बातचीत किया। 

दोनों लड़के बहुत खुश हो गए, प्रसन्न हो गए। फिर इन्होंने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं है कि इन्होंने कुछ जादू किया हो एक दीपक बुझाके और दूसरा दीपक जलाके और उससे हम प्रभावित हो गये? तो एक ने पूछ ही लिया कि अब आप बताइए पहले वाला दीपक आपने क्यों बुझाया और इस को क्यों जलाया? तब उन्होंने कहा देखो जब तुमने कहा मेरा और मेरे देश का फायदा होगा तब उस समय पर हमने सोचा हमारे देश का, हमारा कोई फायदा होने वाला नहीं है, हमारे राज्य का कोई फायदा होना नहीं तो राजकोष का मैं तेल जला रहा था, शासकीय काम कर रहा था। उसको मैंने बुझा देना उचित समझा। और मैंने अपनी मेहनत की कमाई का तेल जलाकर के, दीपक जला कर के, आपको मेरा मेहमान मानते हुए आपसे बात करना मुनासिब समझा। वे बहुत प्रभावित हुए। 

तो आप यह समझो भारत में इस तरह के त्यागी मंत्री-राजा हुये जिनका इतिहास में नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है। जिन्होंने धर्म के लिए काम किया, अबला की जिन्होंने लाज बचाई, जटायु का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा है।

 हनुमान कौन थे? जाति के बंदर थे लेकिन आज उनकी पूजा हो रही। गोवर्धन पर्वत किसने उठाया? कृष्ण ने लेकिन उसके नीचे लकड़ी लगाने वाले गोपी और ग्वालों का आज इतिहास में नाम है। इस बात को आप सभी लोगों को सोचने, समझने और विचार करने के लिए याद दिला रहा हूँ।

।।जयगुरुदेव।।

-- परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम उज्जैन (म.प्र) भारत


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ