चेतावनी 96.
Jaigurudev Satguru bol
=================
सतगुरु सतगुरु बोल,
मन तू सतगुरु सतगुरु बोल।।
अंदर गर्भ के आया जब तू,
भारी दुःख पाया था जब तू,
बंधी पुटरिया खोल मन तू सतगुरु बोल।।
प्रगट हुआ दुनिया में आया,
ममता माया मोह फंसाया।
बजत बधाई ढोल-
मन तू सतगुरु सतगुरु बोल।।
बालापन हंस खेल गंवाया,
जवान भया ज्वानी मद छाया।
रहा विषयन में डोल-
मन तू सतगुरु सतगुरु बोल।।
शीतल अंग बुढ़ापा आया,
फूटे नैन न कान सुनाया।
चलता राह टटोल-
मन तू सतगुरु सतगुरु बोल।।
प्राण गए अर्थी बनबाई,
ले चलो ले चलो कह रहे भाई।
जनम गया अनमोल-
मन तू सतगुरु सतगुरु बोल।।
चेतावनी 97.
Tumko koi kachu kahe
=================
'पलटू' तीरथ को गए, आगे मिलि गए सन्त।
एक मुक्ति की खोज थी, मिलि गई मुक्ति अनन्त।।
सन्त मिले दुख सब गए, मंगल भये शरीर।
सुनत वचन ही मिटि गई, जनम - मरण की पीर।।
तुमकौ कोऊ कछु कहै कीजै अपनो काम।।
कीजै अपनो काम जगत को भूकन दीजै।
जाति बरन कुल खोय संतन को मारग लीजै।।
लोक वेद दे छोड़ि करै कोउ कितनौ हाँसी।
पाप पुन्न दोऊ तजौ यहि दोउ गल की फाँसी।।
करम न करिहौ एक भरम कोउ लाख दिखावै।
टरै न तेरी टेक कोटि ब्रह्मा समुझावैं।।
"पलटू" तनिक न छोड़िहौ जिव के संगै "नाम"।
तुमकौ कोऊ कछु कहै कीजै अपनो काम।।
अर्थः
परमार्थी साधकों को समझाते हुए पलटू साहिब जी का कथन है कि कोई संसारी लोग यदि तुम्हें बुरा-भला कहें तो उन्हें बकने दो, चाहे कोई कितना तुम्हारी हँसी उड़ाए, मज़ाक बनाए, इसकी चिंता, फ़िक्र किए बिना जाति, वर्ण, कुल-खानदान का अहंकार, लोक-लाज और परम्पराओं की मर्यादा को छोड़ कर आत्मकल्याण की साधना-पथ पर चलते रहो।
पाप-पुण्य दोनों गले की फाँसी यानी बन्धन हैं। कोई कितना भी भ्रम की बात करे, तुम किसी भी कर्मकाण्ड में न पड़ो। चाहे करोड़ों देवी देवता मिल कर तुम्हारी मति फेरना चाहें, तुम अपने सत्पथ का पक्ष कभी भी न छोड़ना।
अपने जीवन में प्रभु के सच्चे "नाम" को साथ रखो, उसे दृढ़ता से पकड़ कर अपने कल्याण पथ पर चलते रहो, चाहे कोई कुछ भी कहता रहे।
चेतावनी 98.
Teri naiya lagegi bhav par
जयगुरुदेव चेतावनी
=============
तेरी नैया लगेगी भव पार, रटे जा मन जयगुरुदेव।
माया के फन्दे में फंसकर भूल गया तू अपने को।
काम क्रोध के वश में होकर छोड़ दिया हरि जपने को।।
अब तो सतगुरु ही लगावें बेड़ा पार-
रटे जा मन जयगुरुदेव।।
अपना अपना कहता जिसको साथ न तेरे जायेंगे।
सारे साज सामान इकठ्ठे, पड़े यहीं रह जायेंगे।।
क्षण भर यम तो करें न इंतजार-
रटे जा मन जयगुरुदेव।।
पुत्र स्त्री भाई बन्धु पोते और सब नाती।
सांस निकल गया देह किसी के काम नहीं आती।।
सपना है जो ये लगाया बाजार-
रटे जा मन जयगुरुदेव।
जयगुरुदेव रटेगा बन्दे मन हर्षित हो जायेगा।
आवागमन में मुक्ति पा कर प्रभु के दर्शन पायेगा।।
तेरे जीवन का यही है एक सार-
रटे जा मन जयगुरुदेव।।
जयगुरुदेव....
चेतावनी 99.
Tajo man ye sukh dukh ka dham
=======================
तजो मन अब यह सुख दुख का धाम।
दिना चार तन संग बसेरा, फिर छूटे यह ग्राम।
धन दारा सुत नाती कहियन, ये नहिं आवें काम।
तू अचेत ग़ाफ़िल होइ रहता, सुने नहिं मूल कलाम।
बिन गुरु दया छूटो नहिं यासे, भजो गुरु का नाम।
गुरु का कहना मानो भाई, तो फिर पाओगे विश्राम।
दुख तेरा सब दूर करेंगे, देंगे तुमको अचल मुकाम।
तजो मन अब यह सुख दुख का धाम।।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev