★ A mere vatan ke logon ★
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ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम सुन लो गुरु की बानी,
दिन-रात जो सेवा करते, सोचो इनकी परेशानी।
जब कोरोना रोग आया, मूर्ख घर घर फैलाया,
फिर अब तो मानो बानी,
दिन रात जो सेवा करते, समझो उनकी परेशानी।
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा सुन लो गुरु की बानी।
अफसर जो कहते सुन लो, कुछ दिन घर में रह लो,
हट जाएगी परेशानी,
दिन रात जो सेवा करते समझो उनकी परेशानी।
ऐ मेरे वतन के लोगों जरा सुन लो गुरु की बानी।
दिन रात जो सेवा करते समझो उनकी परेशानी।
ये कहते हाथ धो लो, जलसा शादी से बच लो,
मंदिर मस्जिद जाकर, पैदा मत करो परेशानी।
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा सुन लो गुरु की बानी।
दिन रात जो सेवा करते, उनकी समझो परेशानी।
शराब मांस छोड़ो, अब गुरु से नाता जोड़ो,
जो सबकी हरे परेशानी।
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा सुन लो गुरु की बानी।
दिन रात जो सेवा करते, समझो इनकी परेशानी।
बज रहा काल का डंका, कोई बचने न पायेगा।
बचेगा साधुजन कोई जो सत से लौ लगायेगा।
बचेंगे सत्य का डंका है जिसने हाथ गह पकड़ा।
काल विश्वास घाती और झूठों को चबायेगा।
बचेंगे वे जो पर उपकार में, तन धन लगायेंगे।
बचेगा अब न अन्यायी, जो जीवों को सतायेगा।
आज वह एक भी उस काल के मुख से न बच सकता।
दीन जीवों की खलड़ी नोच कर खाया जो खायेगा।
मांस खोरों व मदिरा पान करने वालों, सुन लेना।
तुम्हारा मांस अब कोई गीध कौवे, न खायेगा।
बचेंगे वे भरोसा जिनको, मेहनत की कमाई का।
बचेगा वह नहीं हक गैर का जो छीन खायेगा।
बचेगा साधु जिसने इन्द्रियों को साध रखा है।
बहिर मुख इन्द्रियों का दास अपना सब लुटायेगा।
बचेगा वह शरण पूरे गुरु की, जिसने धारण की।
दया सागर मेरे गुरुदेव, अब मुझको बचा लेना।
बचाने वाला पाकर क्यों भटकने कोई जायेगा।
जयगुरुदेव चेतावनी 104.
★ Bat samajh me aai ab hamari ★
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बात समझ में आई अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी।
और न लो अब परीक्षा हमारी,
आए शरण में सतगुरु तुम्हारी।।
मैं मेरा का भरम सारा टूटा,
सबने किया सारा रिश्ता ये झूठा।
मोह माया में मति गई मारी,
आए शरण में सतगुरु तुम्हारी।।
और न लो अब...
जिनपे भरोसा करके समझे थे अपना,
झूठा भरम था सारा, मिथ्या था सपना।
मतलब की थी सबकी यारी,
आए शरण में सतगुरु तुम्हारी।।
और न लो अब...
मन चंचल बहुत ही नचाया,
धन ही कमाने का लक्ष्य बनाया।
चैन उड़ा उड़ी नींद बिचारी,
चैन गया उड़ी नींद बिचारी,
आए शरण में सतगुरु तुम्हारी।।
और न लो अब...
अंतिम आशा भरोसा तिहारा,
थक गया मैं चहुं ओर से मारा।
दृष्टि कृपा कर दो मंगलकारी,
आए शरण में सतगुरु तुम्हारी।।
ओर न लो अब परीक्षा हमारी,
आए शरण में सतगुरु तुम्हारी।।
बात समझ में आई अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी।।
जयगुरुदेव
जयगुरुदेव चेतावनी 105.
★ Chalo chale nij dham sakhi ri ★
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चलो चलें निज धाम सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
अपनो नाम जयगुरुदेव बतायो,
उतार दें भव पार सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
इतना तेज उनके मुख पर पाया,
ओर कछु न भाए सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
हम पर इतनी दया दिखाई,
लगायो नाम जहाज सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
इतनो बड़ो वो जहाज लगायो,
सारी सृष्टि समाय फिर भी खाली पड़ो री सखी,
आए हैं पार लगैया।।
चलो चलें निज धाम सखी री आए हैं पार लगैया।।
हम पर ऐसी दया दिखाई,
बांधी भजन की डोर सखी री आए हैं पार लगैया।।
जिसको भी स्वामी शरण में लेते,
उतार दें भव पार सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
अब तो जयगुरुदेव ध्वनी बता दी,
इसमें छिपा है बड़ो राज
सखी री आए हैं पार लगैया।।
अब मिल कर सब ध्वनी करो रे,
कर देंगे भव पार सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
आदेश का गर पालन करेंगे,
हो जायेंगे भव पार सखी री
आए हैं पार लगैया।।
चलो चलें निज धाम सखी री,
आए हैं पार लगैया।।
जयगुरुदेव
जयगुरुदेव चेतावनी 106.
★ Baba umakant ji kehte ★
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बाबा उमाकान्त जी कहते शाकाहारी सब रहना,
सारे नशा दुःख देते है उनका सेवन मत करना।
आगे समय खराब आ रहा सब के होश उड़ा देगा,
पापाचारी और नशेड़ी का वह खोज मिटा देगा।।
आज मिला सुंदर मानव तन कल नर्कों मे जाओगे,
बड़ी भयंकर मार पड़ेगी युग युग तक पछताओगे।
बचने का आधार एक है सतगुरु का मानो कहना,
शाकाहारी नशामुक्त हो जयगुरुदेव ध्वनी रटना।।
नाम ध्वनी घंटा भर बोलो हर विपदा टल जायेगी,
घर परिवार समाज देश दुनिया को सुख पहुँचायेगी।
बाबा उमाकान्त जी ने अब भंडारे चलवा रक्खे,
भोजन मुफ्त दिया जाता है रोगी भी होते अच्छे।।
ऐसे सतगुरु उमाकान्त को अब तक अगर नही जाना,
आगे भीषण समय आ रहा फिरतो होगा पछताना।
इसीलिये हम आप सभी से विनय निवेदन करते हैं,
मान लीजिये वचन आप जो संत सतगुरु कहते हैं।।
जयगुरुदेव
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