★ Santmat Chetavni ★ 15.

शाकाहारी प्रचार अभियान, सत्संग, रैली आदि मे जन जागरण हेतु बोले जाने वाली-
जयगुरुदेव चेतावनी 82.  
★ *sari duniya ke nar nari* 
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सारी दुनिया के नर-नारी शाकाहारी हो जाना।
शाकाहारी हो जाना सदाचारी हो जाना।
सारी दुनिया के नर-नारी शाकाहारी हो जाना ।।१

बाबा जयगुरुदेव की विनती सुन लो सब नर-नारी,
अंडा, मांस, शराब को छोड़ो, इसमे सब बीमारी,
आगे आयेगी महामारी, शाकाहारी हो जाना।
सारी दुनिया के नर-नारी शाकाहारी हो जाना ।।२

सब जीवों मे नूर खुदा का रहता है मेरे भाई,
उनका गला काटकर बन्दे, तुम मत बनो कसाई,
कैसे होगी खुदा से यारी शाकाहारी हो जाना।
सारी दुनिया के नर-नारी शाकाहारी हो जाना ।।३

जिन जीवों को मारा तुमने बदला मांग रहे हैं,
रोग व्याधि के रूप मे प्यारे तुमको सता रहे हैं,
आगे नर्कों की तैयारी शाकाहारी हो जाना।
सारी दुनिया के नर-नारी शाकाहारी हो जाना ।।४

इस भारत की धर्म भूमि पर धर्म ध्वजा लहरायेगी,
धर्म ध्वजा अपनी महिमा से सबको पार लगाएगी।
बाबा जयगुरुदेव की वाणी सबको याद आयेगी।।

जयगुरुदेव है नाम प्रभु का सारी दुनिया शीश झुकायेगी।
आगे सतयुग की तैयारी शाकाहारी हो जाना...
सारी दुनिया के नर-नारी शाकाहारी हो जाना ।।५

जय गुरु देव....




 चेतावनी 83.
★ Ay jagat me kya kiya 
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आय जगत में क्या किया, तन पाला भर पेट।
"सहजो" दिन धन्धे गया, रैन गई सुख लेट।।

तब लगि कुशल न जीव कहुँ, सपनेहुँ मन आराम।
जब लगि भजत न 'नाम' को, शोक धाम तज काम।।

मन पंछी तब लगि उड़े, विषय वासना माहिं।
प्रेम बाज की झपट में, जब लगि आवै नाहिं।।

सुनि लो "पलटू" भेद यह, हँसि बोले भगवान।
दुख के भीतर मुक्ति है, सुख में नरक निदान।।

बहुत पसारा जनि करै, कर थोड़े की आस।
बहुत पसारा जिन किया, वे ही गए निरास।।

नर संसारी लगन में, दुख सुख सहैं करोड़।
"नारायण" प्रभु भक्ति में, जो आवैं सो थोड़।।



जयगुरुदेव  चेतावनी 84.
★ Bharami bharami sab 
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भरमि भरमि सब जग मुवा,  झूठा देवा सेव।
झूठा देवा सेव, "नाम" को दिया भुलाई।
बाँधे जमपुर जाहिं, काल चोटी घिसियाई।।

पानी से जिन पिण्ड, गरभ के बीच सँवारा।
ऐसा साहिब छोड़, जन्म औरै से हारा।।
ऐसे मूरख लोग,  ख़बर ना करैं अपानी।
सिरजनहारा छोड़ि, पूजते भूत भवानी।।

'पलटू' इक गुरुदेव बिन,  दूजा कोय न देव।
भरमि भरमि सब जग मुवा, झूठा देवा सेव।।
(संकेत:- घिसियाई--घसीटता है; साहिब--मालिक)

अर्थ:-
संसार के अधिकतर लोग भ्रमित होकर काल्पनिक और जड़ पिण्ड रूप देवी-देवताओं को पूजते हुए भटक भटक कर मर रहे हैं। जो जीव जड़ वासना में फँसकर सच्चे, सनातन "नाम" को भुला बैठे हैं, उनकी चोटी पकड़ कर घसीटते हुए काल भगवान नर्कों व चौरासी में डालेंगे।




  चेतावनी 85.
★ Kya bharosa he is jindgi ka 
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क्या भरोसा है इस जिंदगी का, 
साथ देती नहीं है किसी का ।।

दुनिया की है हकीकत पुरानी, 
चलते रुकना है इसकी रवानी।
फर्ज पूरा करो जिंदगी का,
क्या भरोसा है इस जिंदगी का।।

शम्मा बुझ जाएगी जलते जलते, 
सांस रुक जाएगी चलते चलते। 
दम निकल जाएगा आदमी का,
क्या भरोसा है इस जिंदगी का ।।

हम रहे ना मोहब्बत रहेगी,
दास्तां अपनी दुनिया कहेगी।
नाम रह जाएगा आदमी का,
क्या भरोसा है इस जिंदगी का ।।

 जयगुरुदेव




 चेतावनी 86.
★ Guru ka badla 
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गुरु का बदला दिया न जाई।
                           मन में उपजत हूँ सकुचाई।।
शेष सहसमुख निशिदिन गावैं।
                          गुरु स्तुति का अन्त न पावैं।।
आशा मनसा और कर्मना।
                        गुरु के चरण प्रेम चित धरना।।
सकल पदारथ गुरु पग माहीं।
                      गुरु पग परशे सब दुःख जाहीं।।
गुरु पग परशे प्रभु पद पावै।
                           रहै अमर होइ गर्भ न आवै।।
गुरु के चरण मुक्ति फलदायक।
                      'सहजो' गुरु के चरण सहायक।।


शेष क्रमशः पोस्ट 16. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼

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