परम् पूज्य स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...
*प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियों को याद होनी चाहिए।*
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प्रार्थना 95.
*charno me sir rakh lene do...*
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चरणों में सिर रख लेने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।
अन्तर की भी कह लेने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।।
तन मन जीवन सर्वस्त्र,
मैं व्याकुल होकर आया हूं।
अर्पित सब कुछ कर लेने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।।
अपराध किए मैने बहुत नाथ,
माना सिर पर है बोझ बड़ा।
थक गई बहुत मत ढोने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।।
प्रभु से मिलने का पावन पथ,
कितना मृदुल बनाया है।
तो दर्शन भी कर लेने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।।
चरणों में सिर रख लेने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।।
अन्तर की भी कह लेने दो,
गुरुदेव तुम्हारा ही तो हूं।।
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प्रार्थना 96.
*Gurudev utaro paar...*
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गुरुदेव उतारो पार, नैया डूब रही मझधार।।
साधन हीन नाथ मैं स्वामी,
निर्बल अति लाचार, नैया डूब रही मझधार।।
भवसागर में लहर उठत है,
साईं करो उस पार, नैया डूब रही मझधार।।
मन अज्ञानी मल का कीड़ा,
इससे हूं लाचार, नैया डूब रही मझधार।।
प्रेम प्रीत की रीत ना जानूं,
मारा गया निराधार। नैया डूब रही मझधार।।
शब्द की नांव बैठा लो सतगुरु,
ले चलो निज दरबार।।
नैया डूब रही मझधार।।
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प्रार्थना 97.
*Gurudev mujhko tu dena sahara...*
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गुरूदेव मुझको तू देना सहारा,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
तेरे प्रेम से यह छुड़ाती है दुनिया,
इशारे से मुझको बुलाती है दुनिया।
नही देखूं दुनिया का झूठा पसारा,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
सिवा तेरे दिल मे समाये न कोई,
लगी लौ का दीपक बुझाये न कोई।
तुम्ही मेरे दीपक तुम्ही हो उजाला,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
स्वारथ की दुनिया मे कोई न हमारा,
बता दो प्रभु तुम् बिन कौन है हमारा।
तुम्ही मेरी नईया तुम्ही हो किनारा,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
बराबर न तेरे कहीँ और दूजा,
तुम्ही मेरे देव करुँ जिसकी पूजा।
तुम्ही पर सर्वस्व हमने है वारा,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
निराशा सभी सामने आ खड़ी है,
जयगुरुदेव ये दासी शरण आ पड़ी है।
लगा लो चरण जीव हूं मै तुम्हारा,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
गुरुदेव मुझको तू देना सहारा,
कहीँ छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
*जय गुरु देव...*
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प्रार्थना 98.
*Safal hua hai unhi ka jivan...*
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सफल हुआ है उन्ही का जीवन,
जो तेरे चरणों मे आ चुके हैं।
उन्हीं की पूजा हुई है पूरण,
जो तेरे चरणों में आ चुके हैं।।
न तुझको पाया अमीर बन के,
न तुझको पाया गरीब बनके।
उन्हीं को तेरा हुआ है दर्शन,
जो तेरे चरणों में आ चुके हैं।।
उन्हीं की भक्ति हुई है पूरण,
जो तेरे चरणों में आ चुके हैं।।
सफल हुआ है उन्ही का जीवन,
जो तेरे चरणों मे आ चुके हैं।
उन्हीं की पूजा हुई है पूरण,
जो तेरे चरणों में आ चुके हैं।।
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प्रार्थना 99.
*Satsang ki ganga behti hai...*
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सतसंग की गंगा बहती है,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
फल मिलता है उस तीरथ का,
कल्याण तुम्हारे चरणों में।।
मैं जनम जनम तक भरमा हूॅं,
तब शरण आपकी आया हूूूं।
इन भूले भटके जीवों का,
कल्याण तुम्हारे चरणों में।।
दुखियों का दुख मिटाते हो,
देव दिव्य परखाते हो।
सब आवागमन मिटाते हो,
है मोक्ष तुम्हारे चरणों में।।
एक बार जो दर्शन पाता है,
बस आपका ही हो जाता है।
क्या गुप्त तुम्हारी प्रीति है,
हैं धन्य तुम्हारे चरणों में।।
जन्म का भूला शरण पडा,
तब आय के तुम्हरे द्वार खड़ा।
काटो सकल बन्धन मेरा,
निर्मल तुम्हारे चरणों में।।
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प्रार्थना 100 .
*Satguru deen hu das me aapka*
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सतगुरु दीन हूं दास मैं आपका,
मेरे स्वामी कभी न भुलाना मुझे।
जब तुम्हारी शरण का लिया आसरा,
तो दया करके अब तो निभाना मुझे।।
मैं तो संसारी भोगों में सुख मानकर,
और आनंद अज्ञान वश जानकर।
फंस के माया के चक्कर में भरमा गया,
इसके फन्दे से जल्दी छुड़ाना मुझे।।
जन्म दुनिया में लेकर था अनजान मैं,
पाप अब तक किये जो भी अज्ञान में।
करके उनको क्षमा तुम मेरे सतगुरु,
पाप के भार से अब बचाना मुझे।।
ज्ञान दो जिससे माया लुभाये नहीं,
कामना वासना मन में आये नहीं।
ध्यान में अपने दर्शन दिखाते रहो,
और साधन भजन में बढ़ाना मुझे।।
ये तो माया का संसार भाता नहीं,
इसमें रहकर कभी चैन पाता नहीं।
मुक्त आवागमन से कराकर गुरु,
धाम अपने में जाकर बिठाना मुझे।।
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जय गुरु देव
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शेष क्रमशः पोस्ट न. 17 में पढ़ें 👇🏽
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nij dham vasi baba jaigurudev |
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1 टिप्पणियाँ
Jai Guru Dev Jai Guru Dev Satsang Prathna
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