महाराज जी कोई और नही अपने यह स्वामीजी ही हैं
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जो स्वामी जी का प्रेमी होगा, महाराज जी को चाहेगा |
पद पैसे की जिसे चाह होगी, वह पास न आयेगा ||
उमाकांतजी आज इस समय, जो कुछ काम कर रहे हैं |
जो भी काम गुरु का छूटा, पूरा उसे कर रहे हैं ||
क्योंकि इन्हे तो स्वामीजी ने, सतसंग मे आदेश दिया |
संगत मे पहचान करा दी, अपना वारिस बना लिया ||
मई 18 सन 12 मे, जब शरीर को छोड़ दिया |
सन 13 से जयपुर मे, इनमे शक्ती को जोड़ दिया ||
उमाकांत जी महाराज, अब तब से नाम दे रहे हैं |
भारत ही की बात कहूँ क्या, विश्व मे काम कर रहे हैं ||
दर्जन भर से ज्यादा ही, मुल्कों मे धूम मचादी है |
नामदान दे दिया हर जगह, माला हाथ थमा दी है ||
छोटा मोटा काम कहो, क्या नामदान दे देने का |
जीवों के कर्मों का बोझा, सहज नही है ढोने का ||
श्रद्धा भाव प्रेम से जो भी, इनसे नजर मिलाता है |
अद्भुत शांति उसे मिलती है, कष्ट दूर हो जाता है ||
महाराज जी दिन रात जुटे हैं, सबसे प्रेम बढ़ाने मे |
देखो जयगुरुदेव नाम की, धुनि हो रही जमाने मे ||
थोड़ी मेहनत आप भी करो, सतसंग मे आओ जाओ |
महाराज जी मे स्वामीजी को, लख लोगे मत घबराओ ||
बीते सतगुरु समय के सतगुरु में, कुछ फर्क नही होता |
समय के सतगुरु मे श्रद्धा रखता, वह बीते को लखता ||
इसीलिये मै फिर कहता हूँ महाराज जी कोई और नही|
अपने यह स्वामीजी ही हैं, गौर से देखो फर्क नही ||
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Jaigurudev