स्वामी जी महाराज का आदेश...प्रार्थना रोज होनी चाहिए । (post no.3)

● जयगुरुदेव प्रार्थना 12●
★ Ek mere malik dusra na koi 
---------------------------------


एक मेरे मालिक दूसरा ना कोई।
एक मेरे सतगुरु दूसरा ना कोई।।

अंखियों के बीच मैंने अमर बेल बोई,
अब तो चर्चा फैलेगी, क्या करेगा कोई।।
एक मेरे मालिक दूसरा ना कोई।
एक मेरे सतगुरु दूसरा ना कोई।।

शाला दुशाला मैने बहु तेरे ओड़े,
अब तो ओड ली है मैने सतगुरु की लोई।।
एक मेरे सतगुरु दूसरा ना कोई।
एक मेरे मालिक दूसरा ना कोई।।

माटी की मटकिया मैने दही से मिलोई।
माखन तो काड़ लिया छाछ ले गए कोई।।
एक मेरे मालिक दूसरा ना कोई।।
एक मेरे सतगुरु दूसरा ना कोई।।

सुन्दर सी काया मेरे सतगुरु ने बनाई।
सुरत को तो सतगुरु ले गए, लाश ले गए कोई।।
एक मेरे मालिक दूसरा ना कोई संदेश।
एक मेरे सतगुरु दूसरा ना कोई।।


● प्रार्थना 13
Aao guruvar mere dalu mala tere
------------------------------

आओ गुरुवर मेरे डालूं माला तेरे, तोहे ध्याऊं, 
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं।।

बहुत दिन से थी ये इंतजारी गुरु कब लावेंगे आने की बारी।
मन से स्वागत करूं, तन से सेवा करूं, पार जाऊं।
मन से स्वागत करूं, सेवा भक्ति करूं, पार जाऊं।
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं।।

आज बड़े भाग्य जो गुरुवर आए, दर्शन करने को प्रेमीजन धाए।
भक्ति दे दो हरि, अब क्यों देरी करी, महिमा गाऊं, ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं।।

प्रेमी दासों को दे दो सहारा, तुमरी सेवा में तन मन हमारा।
गुरु ने दर्शन दिया, जीवन सफल किया, वारी जाऊं।
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं।।

आओ गुरुवर मेरे डालूं माला तेरे, तोहे ध्याऊं, ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं।।


● प्रार्थना 14 
Ab man atur darash pukare
----------------------------------

अब मन आतुर दरस पुकारे।  
कल नहिं पकड़े धीर न धारे ।
दम दम छिन छिन दर्द दिवानी।  
सोऊं न जागूं अन्न न पानी।।

बेकल तड़पूं पिया तुम कारण।  
डस डस खावत चिंता नागिन। 
कौन उपाय करूं अब सजनी। 
भवजल से अब काहे को तरनी।।
 
यही सोच में दिन दिन जलती। 
कोई न सम्हाले पल पल गलती।
पिया तो बसे मेरे लोक चतुर में। 
मैं तो पड़ी आय मृत्यु नगर में।।

बिन मिलाप प्रीतम दुख भारी। 
राह चलूँ नहि जात चला री।
घाट बाट जहं अति अंधियारी। 
कोई न सुने मेरी बहुत पुकारी।।

जतन न सूझे हिम्मत हारी। 
अपने पिया की मैं ना हुई प्यारी। 
जो पिया चाहें तो दम में बुलावें। 
शब्द डोर दे अभी चढ़ावें।
भाग्यहीन मैं धुन नहीं पकड़ी। 
काम क्रोध माया रही जकड़ी।।

सुरत शब्द मारग जो पाया। 
सो भी मुझसे गया न कमाया।
मैं तो सब विधि हीन अधीनी। 
मन नहीं निर्मल सुरत मलीनी।।

तुम समरथ स्वामी अति परवीना। 
मैं तड़पूँ जैसे जल बिन मीना।
काज करो मेरा आज सम्हारी।  
तुम्हरी शरण स्वामी मैं बलिहारी।।

हार पड़ी अब तुम्हरे द्वारे।  
तुम बिन अब मोहिं कौन निहारे।
तब स्वामी बोले अस बानी। 
मौज निहारो रहो चुप ठानी।।

धीरज धरो करो विश्वासा। 
अब करूं पूरन तुम्हरी आशा।
सुनत वचन अब शीतल भई। 
चरण शरण स्वामी निश्चल गही।।


● प्रार्थना 15 
Ab darshan deo gurudev 
-------------------------

अब दर्शन देओ गुरुदेव, मैं तो देखूँ बाट खड़ी।।

आवन आवन कह गए, मेरे कर गए बोल अनेक।
गिनते गिनते घिस गए मेरी, अंगुलियों की रेख।।
अब दर्शन....

कागज नाहिं स्याहि नाहिं, कैसे लिक्खूँ लेख।
पंछी भी वहाँ जावे नाहिं, अब कैसे भेजूं सन्देश।।
अब दर्शन....

राह देखकर थक गई अखियां, आया ना सन्देश।
अब तो विनती सुन लो स्वामी, करो ना इतनी देर।।
अब दर्शन....

एक नहीं दो तीन नहीं हैं, बीते बरस हजार।
अब तो सुध ले लीजो मोरी, कर दो भव से पार।।
अब दर्शन....

जग सारा जंजाल है स्वामी, कब तक पड़ी रहूंगी।
जन्मों-जन्मों की खातिर, कब तक अड़ी रहूंगी।।
अब दर्शन....

कौन पुकार करुं मैं ऐसी, पल भर में आ जाओ।
कौन विनती करुं मैं ऐसी, दौड़े चले आओ।।
अब दर्शन....



● प्रार्थना 16 
Aao ri sakhi jud holi gayein
---------------------------

आओ री सखी जुड़ होली गावें।
कर कर आरत पुरुष मनावें  ।।1।।

तन मन कुमकुम भर भर मारें।
छिड़क रंग सतगुरु रिझावें  ।। 2।।

लाल गुलाल वस्त्र पहिनावें।
देख देख रंग रूप निहारें  ।।3।।

सुरत अबीर थाल भर लावें।
नैनन की पिचकार छुड़ावें  ।। 4।।

सतगुरु अपने हिये बिच धारें।
उन संग निस दिन प्रेम बढ़ावें  ।।5।।

धरन गगन बिच धूम मचावें।
सतगुरु अब ऐसी होली खिलावेें  ।।6।।

चांद सूरज दोऊ खैंच मिलावें।
सुशमन नदियां रंग बहावें   ।। 7।।

सुुरत चुनरिया रंग रंगावें।
भींजत निरत खोज धुन पावें   ।।8।।

दल बादल अब अधिक सुहावें।
लाल लाल चहुं दिश घिर आवें   ।। 9।।

रंग भरे रंग ही बरसावें।
अचरज लीला आन दिखावें  ।।10।। 

अस होली कहों कौन खिलावें।
सतगुरु स्वामी भेद बतावें   ।। 11।।


● प्रार्थना 17 ●
Ek din to piya se milan hoga
----------------------------------------------


एक दिन तो पिया से मिलन होगा, सुरत जरा धीर धरो।
धीर धरो अभी धीर धरो, धीर धरो अभी धीर धरो।। एक दिन ....

पाँच तत्व का मिला है चोला, 
एक दिन इस से चलन होगा। सुरत....

कब से बिछड़ी पिया से, 
जाय नहीं कभी मिली पिया से,
आज तुम्हारा मिलन होगा। सुरत....

जाओगी जब देश पिया के, 
धुरधाम लोक और नूर महल के,
आंगन में शर्माओगी।सुरत....

शीश महल में जाकर के तुम, 
रूप को अपने निहारोगी। सुरत....

कर तैयारी चलने की अब, 
पिया दर्शन को व्याकुल होगा। सुरत....

जाओगी जब राम लोक में, 
राम लोक और कृृष्ण लोक में,

कृृष्ण लोक और ब्रह्म लोक में, 
ब्रह्म लोक और शिव लोक में,
शिव लोक और आद्या लोक में, 
सम्हल पग रखना होगा। सुरत....

चौथे पद में गुरु मिलेंगे, सामने श्वेत सिखा होगा। सुरत....
पाँचवे पद में चढ़ी सिखा पे, गुरु का रूप देख पिया में,
तुमको बड़ा अचरज होगा। सुरत....



जयगुरुदेव  
शेष क्रमशः पोस्ट न. 4 में पढ़ें  👇🏽

पिछली पोस्ट न. 02 की लिंक... 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ