जयगुरुदेव स्वामी जी व महाराज जी का आदेश- प्रार्थना रोज होनी चाहिए (post no.2)

*[प्रार्थना 6.]*
Ak tumhi adhar
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एक तुम्हीं आधार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।
मिलो न जब तक तुम जीवन में,
शान्ति नहीं मिल सकती है मन में।
खोज फिरा संसार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।

छा जाता है जब अँधियारा,
तब पावे प्रकाश की धारा।
आकर तेरे द्वार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।

कैसा भी हो तारनहारा,
मिले न जब तक चरण सहारा।
हो न सकें भव पार, सतगुरु एक तुम्ही आधार।।

हे प्रभु तुम्हीं विविध रूपों से,
हमें बचाते भव कूपों से।
ऐसा परम् उदार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।

हम आये हैं द्वार तुम्हारे,
सब दुःख दूर करो दुखहारे।
जयगुरुदेव दयाल सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।



*[प्रार्थना 7.]*
Aya sharan tumhari
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आया शरण तुम्हारी गुरु पार कीजिये,
अब तक किए जो पाप उन्हें माफ कीजिये।

तुम बिन न इस जहान में आता है कुछ नजर।
दुनिया है छल फरेब की मिलती नहीं डगर।
किस्मत से आप मिल ही गये, उद्धार कीजिए।।

मतलब की है दुनिया, कोई अपना है नहीं।
जाना है खाली हाथ संग जाएगा कुछ नहीं।
कामादि दुश्मनों को स्वामी मार दीजिए।।

साधन भजन बड़ा दो गुरु विनती कर रहा।
मन काबू में है नहीं मेरे धोखा दे रहा।
चाहूं दया तुम्हारी, मुझे पार कीजिए।।

आया शरण तुम्हारी गुरु पार कीजिये,
अब तक किए जो पाप उन्हें माफ कीजिये।।



*[प्रार्थना 8.]*
A mere satguru aake
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ऐ मेरे सतगुरु आ के मिल जा मुझे,
हम अनाथों का कोई सहारा नहीं।।

जो तुम ना सुनोगे तो किसको सुनाऊं,
यह जख्मी जिगर को किसे मैं दिखाऊं ।
या तो मिल जा मुझे या बुला ले मुझे,
याद तेरी सताती बड़ी है मुझे।।

याद आता है वो मुस्कुराना तेरा, 
देख कर के वो पलकें झुकाना तेरा।
देख ले जो तू आ करके बस एक नजर,
मेरा जीवन यह पल में संवर जाएगा।।

बहुत दौड़ते थे हम तेरे साथ में,
जान पाए तुम्हें हम बहुत बाद में।
अब ना जाना कहीं छोड़कर के मुझे,
वरना यह दाना दाना बिखर जाएगा ।।

डराते थे जब वे दिखाकर छड़ी,
क्यों बीती वह ऐसी मुबारक घड़ी।
देखो दाता मेरे मैं वहीं पर खड़ी,
अब लगा दो वह अपनी प्रेम झड़ी।।

लगी दर्शन की है प्यास बड़ी....
तेरा रंग मुझ पर यूं ऐसा चढ़ा,
कोई और रंग अब ना चढ़े।
मेरा प्रेम तुझसे यूं ही बड़े।।

ऐ मेरे सतगुरु आ के मिल जा मुझे।
हम अनाथों का कोई सहारा नहीं।।



*[प्रार्थना 9.]*
Aise satguru mile
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ऐसे सतगुरु मिले लाखों सूरज उगे 
लीला सबको दिखाना गजब हो गया ।

घट में चंदा भी है घट में सूरज भी है 
ज्योति सबको दिखाना गजब हो गया।।

घट मैं प्याला भी है पीने वाला भी है 
सबको अमृत पिलाना गजब हो गया।।

घट में बाजे भी है घट में बंसी भी है 
घोर अनहद सुनाना गजब हो गया ।।

घट में ब्रम्हा भी है घट में विष्णु भी है 
दर्शन सबको कर आना गजब हो गया ।।

घट में गंगा भी है घट मैं जमुना भी है 
और त्रिवेणी नहाना गजब हो गया ।।

घट में ईश्वर भी है घट में सुमिरन भी है 
जाप अजपा जपाना गजब हो गया । ।

घट में देवी भी है घट में शंकर भी हैं 
उनसे प्रीति लगाना गजब हो गया।।

घट  मे गुरु  भी हैं घट में संत भी हैं 
उनकी कृपा को पाना गजब हो गया ।।


*[ प्रार्थना 10.]*
Antar timir mitao
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अंतर तिमिर मिटाओ, सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।

हे योगेश्वर हे परमेश्वर कृपा दृष्टि बरसाओ,
सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।

हम बालक तेरे द्वार पे आये, मंगल दरश कराओ,
सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।

अंतर मे युग युग से सोई, चितशक्ति को जगाओ,
सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।

साची ज्योत जले हृदय मे, सोहं नाद जगाओ,
सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।

शीष झुकायें करें तेरी आरती, प्रेम सुधा बरसाओं
सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।

जीवन परमात्मा अविनाशी, चरनन शरण लगाओ,
सतगुरु ज्योत से ज्योत जलाओ।।



*[प्रार्थना 11.]*
Ankhe band karu ya kholu
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आंखें बन्द करुं या खोलूं मुझको दर्शन दे देना।
दर्शन दे देना गुरु मुझे दर्शन दे देना।।
आंखें बन्द करुं या....

मैं ना चीज हूं बन्दा तेरा तू दाता मेरा है,
तेरे हाथ में सारी दुनिया मेरे हाथ में क्या है।
तुमको देखूं जिसमें ऐसा दर्पण दे देना।।
आंखें बन्द करुं या....

मेरे अन्दर तेरी लहरें रिश्ता है सदियों का,
जैसे एक नाता होता है सागर से नदियों का।
करुं साधना तेरी केवल साधन दे देना।।
आंखें बन्द करुं या....

हम सब हैं सीतायें तेरी हम सब राम तुम्हारे हैं,
तेरी महिमा सुनते जायेंगे स्वामी तेरे सहारे हैं।
इस जंगल में चाहे लाखों रावण दे देना।।
आंखें बन्द करुं या....

मेरी मांग बड़ी साधारण मन में आते रहियो,
हर इक श्वांस के पीछे अपनी झलक दिखाते रहियो।
नाम तेरा लूं आखिरी तक वो धड़कन दे देना।।
आंखें बन्द करुं या खोलूं मुझको दर्शन दे देना।।



जयगुरुदेव |
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1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी, एवं ऐसी पोस्ट को पब्लिश करना बहुत जरूरी है लोगों के लिए यह बहुत ही हेल्प करेगी। ऐसे लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद Very good informationJai Guru Dev

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Jaigurudev