*【यादों के झरोखे से 】*
बात उन दिनों की है जब मेरी दसवीं कक्षा की एडमिशन परीक्षा चल रही थी। ये मैं आपको बता दूं कि मेरा सेंट्रल स्कूल बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय से संचालित होता था। वहां एडमीशन की परीक्षा कही जाती थी, बोर्ड की परीक्षा नहीं कही जाती थी।
मेरे परीक्षा के दिनों में स्वामी जी महाराज बनारस में घर पर ही थे। मेरा संस्कृत का पेपर था। जब मैं पेपर देकर घर आई तो स्वामी जी ने पूछा कि तेरी परीक्षा कैसी हुई ?
मैंने कहा कि ठीक हुई । वो बोले कि ला देखूं तेरा पर्चा कि कैसा आया है।
मैंने पर्चा स्वामी जी के हाथ में पकड़ा दिया पर मेरे मन ने छलांग मारी और सोचने लगी कि स्वामी जी तो कहते हैं कि मैं पढ़ा लिखा नहीं तो ये संस्कृत क्या समझेंगे।
मेरा सोचना था कि स्वामी जी ने मेरी तरफ बड़ी गौर से देखा और मुस्कुराये। उनका मुस्कुराना देखकर मैं समझ गई कि स्वामी जी ने मेरी चोरी पकड़ ली। स्वामी जी ने वैसे ही मुस्कुराते हुये कहा कि थोड़ी बहुत संस्कृत मैं समझ लेता हूं।
- सरिता
*◆ बीते हुए दिन कुछ ऐसे हैं ◆*
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बात बहुत पुरानी है। भारत और चीन की लड़ाई सम्भवतः खत्म होने वाली थी, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज 148 माॅडल हाऊस में विराजमान थे। सत्संग के साथ इधर उधर की बातें चल रही थीं।
बाबा जी ने कुछ भविष्य की बातें बताते हुए यह कहा था कि ऐसा भी समय आ सकता है कि जब भीषण गर्मी पड़ेगी जिसके कारण गर्भ गिर जायेंगे।
मैं कभी कभी सोचता हूं कि कुछ बाते जो बाबा जी ने कही थीं उनमें से बहुत कुछ देखने को मिली हैें। और मुझे विश्वास है कि बाकि की बातें समय पर सत्य उतरेंगी। बाबाजी ने कहा था कि सबके धीरज के बांध टूट जाएंगे। आज वही बातें दिखाई दे रही हैं। अधिकांश सत्संगियों के धीरज के बांध टूट गए हैं।
मैं सोचता हूं कि ऐसे समय में चुप रहना अधिक बेहतर है। मुझे विश्वास है कि महात्मा के वचन कभी असत्य नहीं होते। विशेष करके जब वह सत्संग मंच से बोलते हैं।
कहा है कि-
"संत वचन पलटे नहीं पलट जाए ब्रह्माण्ड।"
- एस. श्रीवास्तव
*क्या आपको पता है कि-*
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● सतगुरु मनुष्य नहीं हैं, सब कुछ कर्ता हैं। सत्तनाम, सत्तपुरुष, अलख, अगम, अनामी सब सतगुरु ही हैं। कुल मालिक हैं उनसे बड़ा कोई नहीं, अनेकों ईश्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म को वे पैदा करने वाले हैं और उनके हुक्म से सब चलते हैं और बराबर उनसे डरते रहते हैं।
● सहंसदल कंवल में निरंजन भगवान रहते हैं। वह अनोखा देश है। वहां एक हजार बत्ती की ज्योति है। वह नजारा अजीवों गरीब है। राम भगवान का अवतार इसी देश से हुआ था। दोनों आंखों के पीछे बैठी हुई जीवात्मा भजन ध्यान करके जब सहसदल कंवल में पहुंचकर निरंजन भगवान का साक्षात्कार करती है तो वहां के आनन्द के मुकाबले यह दुनिया गन्दगी और बदबू का भण्डार मालूम पड़ती है।
● मनुष्य की आयु का एक एक मिनट हिसाब में है। कब बीमारी आयेगी यह पहले से निश्चित है। जब तक उस बीमारी की मियाद खत्म न हो जाय कोई दवा लाभ न करेगी। या तो कोई ऐसा हकीम या डाॅक्टर न मिलेगा या उसकी समझ में रोग नहीं आएगा। मियाद खत्म होने पर जब आराम होता है तो मामूली सी दवा फायदा कर जाती है।
● भविष्य में जो कोई काश्तकारों के कर्जे का ब्याज माफ करेगा वही देश में राज करेगा। बाबा जयगुरुदेव की यह घोषणा है।
● देश और दुनिया में भारी परिवर्तन होगा। छोटा मोटा परिवर्तन नहीं होगा। ऐसा परिवर्तन होगा कि सब चका-चौन्ध रह जाएंगे। महात्माओं के वचन कभी गलत नही होते हैं। वे त्रिकालदर्शी होते हैं। परिवर्तन की आवाज वैचारिक क्रान्ति की आवाज बाबा जयगुरुदेव जी देश में सर्व प्रथम लगा चुके हैं।
जयगुरुदेव ●
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Jaigurudev