एक राजा हिरन का शिकार खेलता हुआ घने जंगल में चला गया। देखा तो सामने शेर आ रहा था। उससे डर कर वह एक पेड़ पर चढ़ गया।
ऊपर से देखा तो उस पेड़ के तने को दो चूहे दांत से कुतर रहे थे। उनमें एक काला चूहा था और दूसरा सफेद। वह सोचने लगा कि काटने से जब तना कमजोर हो जाएगा फिर पेड़ गिर जाएगा और मैं गिर जाऊंगा।
फिर उसने देखा कि दूसरी तरफ एक बड़ा काला सांप मुंह खोले देख रहा है। उसने सोचा कि गिरने पर सांप मुझे काट लेगा। फिर उसका ध्यान शेर की तरफ गया तो उसको लगा कि शेर उसको देख रहा है। गर्मी का मौसम था। ऊपर शहद का छत्ता लगा हुआ था। गर्मी के कारण शहद पिघलकर उसके मुंह पर गिरा तो शहद का स्वाद आया। शहद टपक रहा था और वो उसे चाटता जा रहा था।
मिठास में वो इतना मस्त हो गया कि वो सांप, चूहो, और शेर का भय भूल जाता है। इसी प्रकार समझना चाहिए कि यह पेड़ मेरी जिन्दगी है, चूहे दिन और रात हैं जो स्वांसो को कुतर रहे हैं। जो आज का दिन गुजर गया उतनी स्वांसे जीवन की कम हो गई। जो रात हमने गुजार दी हम उतना अपनी मौत के निकट जा पहुंचे ।
ये रात और दिन हमारी आयु को कुतरने में लगे हुए हैं। यह शहद क्या है ? इन्द्रियों के भोग, विषय विकारों, शराबों कबाबों की लज्जतें हैं, स्वाद है। हम इतना इनमें फंसे हुए हैं कि और तो और अपनी मौत को भी भूल चुके हैं।
इसीलिए महात्मा हमारी हालत देखकर तरस खाते है, अफसोस करते हैं कि हम काल के जाल में बुरी तरह फंसकर, माया मोह मे फंसकर मीठी नींद सोये हुए हैं। इसी लिए वक्त है चेतने का। समय बर्बाद मत करो। जो स्वांसे बची हैं उन्हे भजन में लगा दो।
ऊपर से आवाज निरन्तर आ रही है उसे सुनो। उसी को सुनने को भजन कहते हैं। वह वाणी परमात्मा के मुंह से निरन्तर निकल रही है, उसे सुनो। सुनते सुनते जब उसमे लय हो जाओगे तो वह आवाज तुम्हारी आत्मा को खींचकर अपने साथ ले जाएगी और परमात्मा के सामने खड़ा कर देगी। उस वक्त परमात्मा का, खुदा का, भगवान का दर्शन दीदार तुम्हे हो जाएगा।
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जयगुरुदेव
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