वार्षिक भण्डारा प्रसाद वितरण कार्यक्रम में बोलने वाली प्रार्थना चेतावनी -

जयगुरुदेव प्रार्थना 
◆ Guru bin melo man ko dhoi ◆
 
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गुरु बिन मैलो मन को धोई।।
जनम जनम का कालिख लागा,
मन निज शोभा खोई।
कोटी जतन कोई करि करि हारे,
कागा हंस न होई।
मन मलिन संग मैं हुई मैली,
साई संग कस 
होई।
यहि ते आज चलो मन मेरे,
जहां सतसंग गुरु होई ।
तू निर्मल होय निज घर जाना,
मैं गुरु चरण समोई।।

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जयगुरुदेव प्रार्थना 
◆ Yeh vinti gurudev hamari ◆
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यह विनती गुरुदेव हमारी...२ ।।१।।

गुरु पद स्नेह छूटे नही कबहूँ भाव छुटे संसारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।२।।

नित नव प्रेम जगे तुम्हरे प्रति रहहुँ नाम आधारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।३।।

शब्द कूप की सुरत हमारी बनी रहे पनिहारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।५।।

शब्द अमिय रस पियहि निरंतर, झूले अधर मंझारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।६।।

सहस कमल दल छिन में उतरे त्रिकुटी लेई संभारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी।।७

निरखै हँस रूप वह अपना खोले द्वार किबाड़ी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।८।।

गुफापार सतधाम समाये, सुख दुःख से होए न्यारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी।।९


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जयगुरुदेव प्रार्थना  
◆ Guru bacha loge jisko vo bach jayega ◆ 
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गुरु बचा लोगे जिसको बो बच जायेगा, 
फेर लोगे नजर तो वो फंस जायेगा ।

तेरी नजरों में कोई करामात है, 
हर समय होती अमृत की बरसात है ।
उसको विरला ही कोई समझ पायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

वो दयादृष्टि जिस पर हो जायेगी, 
भाग्य उसकी तत्क्षण सुधर जायेगा ।
वो सफल उसका नरतन भी हो जायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

बन चुका भार कोई हो संसार का, 
फेर ली हो नजर जिससे सब प्यार का, 
सब तरफ का भी हारा संभल जायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

तन में शक्ति नहीं, धन भी रत्ती नहीं ।
धर्म की भी तरफ भाव भक्ति नहीं ।
मन दुराचार में भी जो रम जायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

जिसका तेरे सिवा और कोई नहीं,
रात दिन तेरी भक्ति में सोई नहीं।
अंग संग उसके तब तू ही हो जायेगा ।
गुरु बचा लोगे...

जो नजर तेरी नजरों में डाले खड़ा,
धन्य वह हो गया भाग्यशाली बड़ा। 
उसका यमदूत कुछ भी न कर पायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

दीन दुखिया है मैं तेरे द्वारे पड़ा,
पाप से भर चुका है ये मेरा घड़ा। 
जो किया है उसी का फल पायेगा ।
गुरु बचा लोगे...

तेरे अतिरिक्त किसको पुकारूं गुरु,
तेरी मूरत सुरत में उतारूँ प्रभु।
नाम नौका पै चढ़ दास तर जायेगा ।
गुरु बचा लोगे...

नाम तेरा मैं मुख से उचारूँ प्रभु,
अपने अन्तः करण में निहारूँ प्रभु।
दीप जलते ही सब पाप धुल जायेगा।।
गुरु बचा लोगे...

दीप के साथ ध्वनियाँ भी बजने लगी,
स्वर्ग बैकुण्ठ की रील चलने लगी।
देव भी ऐसे साधु का गुण गायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

जयगुरुदेव भगवान का नाम है,
तुमको जो जान लेगा बना काम है।
देव मानव से भगवान हो जायेगा।।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।


【 चेतावनी- Chhod kar sansar jab tu jayega 】

छोड़ कर संसार जब तू जाएगा। 
कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा।।

गर प्रभु का भजन किया ना, 
सत्संग किया न दो घडि़याॅं।
यमदूत लगाकर तुझको,
ले जायेंगे हथकडि़यां।
कौन छुड़वायेगा- कोई न साथी...... 

इस पेट भरन की खातिर,
तू पाप कमाता निसदिन।
शमशान में लकड़ी रखकर,   
तेरे आग लगेगी एक दिन।
खाक हो जायेगा- कोई न साथी........

सत्संग की बहती गंगा,
तू इसमें लगा ले गोता।
वरना इस दुनिया से,
जाएगा एक दिन रोता।
फिर पछताएगा- कोई न साथी.....

क्यों कहता मेरा मेरा,
यह दुनिया रैन बसेरा।
यहां कोई न रहने पाता,
है चंद दिनों का डेरा।
हंस उड़ जाएगा- कोई न साथी....

गुरुदेव चरण में निशदिन, 
तू प्रीत लगा ले बन्दे।
कट जायेंगे सब तेरे,
ये जन्म-मरण के फंदे।
पार हो जायेगा- कोई न साथी.....


जयगुरुदेव चेतावनी 
◆ Kya lekar tu aya jag me ◆ 
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क्या लेकर तू आया जग में, 
क्या लेकर तू जायेगा। 
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

इस दुनिया के ठाट बाट में, 
क्यों बन्दे तू भूला है। 
धन, सम्पत्ति, मान, प्रतिष्ठा, 
पाकर क्यों तू फूला है।

धन सम्पत्ति माल खजाना, 
यहीं पड़ा हैं रह जायेगा,  
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

भाई बन्धु मित्र प्यारे, 
मरघट तक संग जायेंगे।   
स्वारथ के दो आंसू देकर, 
लौट लौट घर आयेंगे।

कोई न तेरे साथ चलेगा, 
काल तुझे ही खायेगा।  
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

कंचन जैसी काया तेरी, 
तुरन्त जलाई जायेगी।    
जिस नारी से स्नेह करे तू, 
वो भी देख डर जायेगी।।

एक मास तक याद रखेगी, 
फिर तू याद न आयेगा। 
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

राजा रंक पुजारी पण्डित, 
सबको एक दिन जाना है। 
आंख खोलकर देख बावरे, 
जगत मुसाफिर खाना है।।

जयगुरुदेव नाम ही आखिर, 
तेरा साथ निभायेगा।  
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।


◆ Jivan hai bekar bhajan bin ◆ 
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जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में । 
बड़े भाग्य से नर तन पाया,
इसमे भी हरी गुण नही गाया। 
किया ना प्रभु से प्यार,
भजन बिन दुनिया मे ।।

माया ने तुझको बहकाया,
संग चले ना तेरी काया ।
क्यों बनता होशियार,
भजन बिन दुनिया में ।।

धन दौलत और महल खजाने,
इनको मूरख अपना माने ।
तू जायेगा हाथ पसार,
भजन बिन दुनिया में ।।

क्या लेकर तू आया जग में,
क्या लेकर तू जाएगा संग में।
रे मति मन्द गंवार
भजन बिन दुनिया में।।

जब यमदूत लेने को आवे, 
रो रो करके तू चिल्लाये ।
पड़े करारी मार भजन बिन दुनिया मे ।।

जयगुरुदेव की शरण में आओ,
अपना जीवन सफल बनाओ ।
तब होवे उद्धार।
भजन संग दुनिया में,
जीवन है बेकार, भजन बिन दुनिया में।।

जयगुरुदेव 



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