*जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त जी महाराज के आदेश से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में लाखों लोगों को खिलाने हेतु चल रहे कई भंडारे*

जयगुरुदेव

14.01.2024
प्रेस नोट
सोमनाथ (गुजरात)


*जयगुरुदेव बाबा उमाकान्त जी महाराज के आदेश से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में लाखों लोगों को खिलाने हेतु चल रहे कई भंडारे*

*सोमनाथ, बद्रिका आश्रम, जगन्नाथ पुरी, चित्रकूट आदि अनेकों धार्मिक स्थानों पर भी निरंतर चल रहे भंडारे*


परोपकार में लगने और अपने भक्तों को लगाने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 12 जनवरी 2024 को गिर सोमनाथ में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

प्रेमियों! जो भी साप्ताहिक सतसंग आप लोग करते हो, करते रहना। जहां नहीं है, वहां साप्ताहिक सतसंग कायम कर दो। नाम ध्वनि और जो त्रयोदशी और पूर्णिमा का भंडारा करते हो, अपने हिसाब से सब करते रहो। जो सेवा के लिए जाते हो, सोमनाथ में भंडारा कई सालों से चल रहा है, वहां समय निकाल कर सेवा के लिए जाया करो। शरीर की सेवा बहुत बड़ी सेवा मानी जाती है। अपने प्रेमी वहां चलाते भी हैं, आप जाते भी हो।

*राम मंदिर शिलान्यास से ही बराबर भंडारा चल रहा है*

बराबर जाओ। अन्य जगहों पर भी भंडारे चलाते हैं। जैसे अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास जब से हुआ तब से वहां भंडारा चलने लग गया। इतने दिनों से चल रहा है। इस समय प्राण प्रतिष्ठा होनी है तो लाखों आदमियों के लिए दो भंडारे और स्थापित किए गए हैं। तीन चल रहे हैं। इसके अलावा जितने भी आश्रम है, सब जगह चल रहे हैं। जितने भी धार्मिक स्थान हैं, चाहे चित्रकूट हो, जगन्नाथ पुरी हो, बद्रीका आश्रम हो आदि जगहों पर चल रहे हैं। प्रेमी अपने-अपने स्थानों से जाते हैं।

*ज्यादा पाप शरीर से होता है तो शरीर से सेवा करना चाहिए*

कभी मौका मिले, घूमने के हिसाब से वहां गए, दो-चार दिन सेवा कर आए। शरीर से सेवा करते हैं तो कर्म कटते हैं। ज्यादा पाप शरीर से ही होता है इसलिए बराबर सेवा करते रहना चाहिए।

*चाहे चूँ करो चाहे मूँ करो, प्रभु का सच्चा भजन तो बच्चा! करना ही पड़ेगा*

यह पांच नाम ही सार है, मुख्य है। इसी के सुमिरन करने से जन्म-मरण की पीड़ा का छुटकारा मिल सकता है। घर-घर में बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, टेंशन इसी से दूर हो सकता है। और जो पुराने नामदानी भी हो, अगर यह नहीं किया जाएगा तो आपका काम बनने वाला नहीं है। चाहे रो कर करो, चाहे धो कर करो, चाहे चूं करके करो, चाहे मूं करके करो, करना ही पड़ता है। अब यह जरूर है कि यह आसान हो जाए, मन इसमें लगने लग जाए, जो नहीं लगता है उसके लिए उसकी कर्मों की सफाई करी जाती है।



उज्जैन आश्रम की सूचना

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