✵ सतगुरु के दो शब्द ✵
इस जिस्म यानी मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के पीछे रूह यानि जीवात्मा बैठी है। उसमें एक आंख है, एक कान है, एक नाक है। ऊपर से खुदा की आयतें उतर रही हैं। उसी आवाज को शब्द नाम आसमानी आवाज कलमा कहते हैं। वहीं पौढ़ी है सीढ़ी है ऊपर चढ़ने की। ऊपर में स्वर्ग है, बैकुण्ठ है, बहिश्त और अनेक रुहानी मण्डल हैं। जहां वह उडती हुई जाती है, देवी देवताओं से, ब्रह्म से खुदा से मिलती है, उनका दीदार करती है। शब्द नाम शीतलता लायेगा, ठण्डक लायेगा और जीवात्मा पर चढ़े सारे विकार उतर जायेंगे। काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार मूर्छित हो जायेंगे। मन में विकार नहीं उठेंगे, शब्द बाहर से भी सम्हाल करेगा अन्दर से भी सम्हाल करेगा। शब्द साथी है। शब्द पकड़ोगे तो उधर उजाला है,चमकता है। शब्द को पकड़ोगे तो अमृत मिलेगा क्योंकि ‘उल्टा कुआ गगन में’
शब्द में सब गुण हैं। प्रकाश है जो चमक रहा है। फिर उधर देखो तो खुदा है, ईश्वर है जो तीन लोक का नायक है। शब्द नहीं तो वह नहीं मिलेगा, वह नहीं दिखेंगे। शब्द की मणि रख लो फिर देखो उधर रास्ता है। उन्होंने उसे बंद कर दिया जब से कर्मो का विधान बनाया । जब विधान नहीं बना था तो पर्दा कहीं नहीं था, आओ-जाओ, सीधे चले जाओगे। यह शब्द की कमाई से ही होगा।
भोगों की तरफ से मन उचाट हो गया तो मोह, ममता, मान-अभिमान, छल-कपट,झूठ-फरेब, बेइमानी सब चली गई। अब उसे चैन नहीं। शब्द अथवा नाम के आगे राज-पाट, धन-दौलत, सुख-सुविधा कुछ नहीं।
तो गुरु कहते हैं कि तू शब्द में लय हो जा। उसमें बड़ी मिठास है। गोस्वामी जी ने कहा है ‘मधुर मधुर गर्जहि घनघोरा।’ फिर कहा ‘बाजहिं ताल मृदंग अनूपा।’ शरीर जड़ है। सुरत चेतन है। जड़ चेतन की ग्रन्थि पड़ गई। जब तक महात्मा नहीं मिलेंगे युक्ति कैसे मिलेगी ? गुरु काम करेगा, सुरत को ले जाने का, ले जाकर वह बतायेगा, दिखायेगा। चारों शरीर में सुरत पर्दे में आ गई है। इस मनुष्य शरीर में कमाई करने का विशेष ध्यान रखो।
✵ 25 जनवरी ✵
भारत का एक प्रमुख राजनैतिक दल सरकार से आरपार की लड़ाई को तैयार है और उसने केन्द्रीय ग्रहमंत्री की विदाई की मांग की है और पूरे देश में प्रदर्शन किया है। उसे बर्खास्त न किये जाने पर क्रोध की आग की धधक संसद में दिखाई देगी। जनता अब खुली जुबान से कह रही है कि भारत में राष्ट्रपति चुनाव जनता द्वारा किया जाना चाहिये तभी देश सुधर सकता है। उसे रबर स्टैम्प राष्ट्रपति नहीं चाहिये। देश में स्वप्न में भी किसी ने नहीं सोचा होगा कि भारत महान देश भ्रष्टाचार,रिश्वत, दलाली, घोटालों आदि में विश्व का अग्रणी देश बन जायेगा।
✵ जयगुरुदेव समाचार ✵
जयगुरुदेव इतिहास की शुरुआत उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के ग्राम चिरौली से हुई जहां दादा गुरु परम पूज्य स्वामी जी महाराज अगहन सुदी दशमी, संवत 1940 शुक्रवार सन् 1883 को प्रकट हुये। उनके निज धाम जाने की तिथी भी अगहन सुदी दशमी संवत 2005 शनिवार 11 बजे दिसम्बर 1948 था।
दादागुरु की याद में मनाये जाने वाले प्रथम चार भण्डारे सन् 1949 से 1952 तक ग्राम चिरौली, तहसील इगलास, जिला अलीगढ में उनके ग्राम में हुआ।
सन् 1953 से 1968 तक के 16 भण्डारे चिरौली सन्त आश्रम, कृष्णानगर, मथुरा (पुराना आश्रम ) में हुए। वर्ष 1969 से सभी भण्डारे जयगुरुदेव योगस्थली, मधुवन में हुए हैं।
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा आम सत्संग 10 जुलाई 1952 को अर्दली बाजार, महावीर रोड पर श्री श्यामकृष्ण वकील के निवास पर बनारस से शुरु हुआ। बंगले के बीच विशाल बगीचे में बाबा जी ने सत्संग किया और तीन-चार दिन बाद सर्वप्रथम पांच लोगों को नामदान (दीक्षा) दिया।
सत्संग का विस्तार हुआ और आजमगढ में 7 दिसम्बर 1955 को त्रिलोकीनाथ अग्रवाल खत्री टोला मारवाड़ी धर्मशाला में बाबा जी ने सतसंग दिया।
मासिक पत्रिका अमर सन्देश का प्रकाशन बाबा जी के आदेश से अप्रेल 1958 से प्रारम्भ हुआ।
प्रेमियों के विशेष आग्रह पर बाबा जी ने फिएट कार 1955 मे खरीदी जिसका नम्बर यूपीएल 2745 था । यह कार इस समय भी जयगुरुदेव आश्रम में दर्शनार्थ सुरक्षित है। इस कार को बाबा जी स्वयं चलाते थे।
रामेश्वरम, कन्याकुमारी, आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, उत्तरप्रदेश सहित महाराष्ट्र गोवा डिउ में भी सत्संग किया और भण्डारे के अवसर पर 1972 में घोषणा करते हुये कहा था कि मैंने देश में बीस करोड़ लोगों का जन जागरण कर दिया है।
बाबा जी के सामने आजमगढ़ में नई रीति से विवाह प्रथम बार 19 मई 1958 को हुआ।
बाबा जी के खिलाफ भ्रामक प्रचार किये गये।
19 मई 1958 को अपने प्रकाशन में एक अखबार ने बाबा जी के खिलाफ अनाप शनाप बातें निकालीं। प्रकाशन से जनता भड़क उठी और आजमगढ़ में असलियत को जानने के लिये बाबा जी के सतसंग में पहुंची। सत्संग का असर यह हुआ कि धीरे धीरे बाबाजी के सत्संग कार्यक्रमों में भीड़ बढ़ने लगी।
बाबाजी ने कहा कि जयगुरुदेव नाम मेरा नहीं है। यह नाम उस प्रभु का, परमात्मा का है जो सबका सिरजनहार है। वक्त का जगाया हुआ नाम काम करता है।
सभी महात्माओं ने अपने अपने समय में जिस नाम को जगाया उसी नाम से जीवों का उद्धार हुआ, जैसे वाहे गुरु, राधास्वामी आदि। इसी तरह वक्त का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव है जो अनामी महा प्रभु का है। वर्तमान में इसी नाम से जीवों का उद्धार होगा। वक्त का डाक्टर और वक्त का गुरु ही काम करता है।
✵ सत्संग वचन ✵
बहुमत तियमत बालमत, बिन नरेश को राज। सुख सम्पदा की कौन कहे, प्राण बचें बड़ भाग।।
दिल्ली से राजधानी हटेगी, यू.एन.ओ. भारत में चलेगी। निर्णय लेने आयेगा संसार, जमाना बदलेगा।
कहें जयगुरुदेव पुकार जमाना बदलेगा।।
पाकिस्तान का नाम मिटेगा, राजनीति बिनसाएगी। दिल्ली का तख्ता पलटेगा, अब ऐसी आफत आयेगी।
परजा बहुत मरेगी जग में, लाशें पड़ीं सड़ेंगी घर-घर में। उठाने वाले मिलेंगे न यार जमाना बदलेगा।
कहें जयगुरुदेव पुकार जमाना बदलेगा।।
यदि परमानन्द परम सुख के भण्डार प्रभु को पाना है, तो जयगुरुदेव बताते हैं जो मार्ग उसी पर जाना है।
✵ 26 जनवरी ✵
भारत के 64 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति महोदय ने देश में हो रहे मौजूदा माहौल का न केवल जिक्र किया बल्कि उसे महसूस भी किया। उन्होंने देश कि नीति नियन्ताओं से कई सवाल भी किये जैसे-
1 क्या वर्तमान लोकतंत्र योग्यता को समुचित सम्मान देता है ?
2 क्या सक्षम लोग लालच में पड़कर अपनी जिम्मेदारी भूल चुके हैं ?
3 क्या सार्वजनिक जीवन में नैतिकता पर भ्रष्टाचार हावी हो गया है ?
ये बातें जनता जनार्दन के मस्तिष्क को भी करोंद रहीं हैं और ऐसा लगता है कि उनके धीरज का बांध टूटने ही वाला है। अगर अब भी देश की हालत में ईमानदारी से जनता की समस्याओं का समाधान निकालकर कार्य शुरु कर दिया जाये तो लाख लाख शुक्रिया जनता करेगी अन्यथा महात्माओं ने कहा कि-
मत सताओ गरीब को, वो रो देगा। जब सुनेगा उसका मालिक, तुमको जड़ से खो देगा।।
मौत से दिन रात डरते रहो।
जन्मत मरत दुसह दुःख होई।।
इस दुःख से बचने के लिये यतन करो। मौत के घाट से ऊपर आ जाओ तो मौत का खौफ खत्म हो जाएगा। जो लोग संतमत की साधना करते हैं वो दिन में हजार बार मरते हैं। इसी को जीते जी मरना कहते हैं। नारद की तरह शरीर से निकल कर दिव्य लोकों में स्वर्ग, बैकुण्ठ में जाते हैं, देवी देवताओं से मिलते हैं और पुनः शरीर में वापस आ जाते हैं। जो भजनान्दी और नित्य अभ्यास करते हैं वो मुझसे बताते हैं कि मैंने खुदा का, ईश्वर का, ब्रह्म का दीदार किया दर्शन किया। काग भुशुण्डि की तरह बताते हैं कि-
जो नहिं देखा नहिं सुना, जो मनहुं न समाय। सो सब अद्भुत देखेउं, वरनि कवन बिधि जाय।।
✵ 27 जनवरी ✵
1. तुम कहते हो कि हमारा साधन नहीं बनता। अभी हमने वह सत्संग सुनाया कहां जो तुम्हारा साधन बने।
2. सत्संग का आधार जब बन जायेगा फिर आंख बन्द करो तो अन्तर में जलवा देखो दर्शन करो। फिर आंख खोलो तो बाहर की दुनिया देखो। अभी ये भीड़ क्या है कुछ नहीं। आगे देखना कि यहां से कृष्णा नगर तक लाइन लगेगी। प्रेमी बिजली जलायेंगे, बिजली न मिली तो मिट्टी का तेल जलायेंगे।
3. समय आयेगा जब प्रधानमंत्री उनके परिवार तथा उनके सहयोगियों की तलाशी होगी। अपराध रिश्वत देने वाले का नहीं, रिश्वत लेने वाले का माना जायेगा।
4. मैं सतयुग में भी था, त्रेता में भी था, द्वापर में भी था, और कलयुग में भी हूं। प्रेमियों! तुम्हारा काम है कि बुराइयों से बचो, शाकाहारी रहो, अखाद्य वस्तुओं का सेवन मत करो और जो कुछ हो सके नाम की कमाई करो यानी भजन करो। तुम्हारी आत्मा, रूह ऊपर के मण्डल दिव्य लोक में ही जायेगी।
5. जो तपस्या राम ने 14 वर्ष तक जंगलों में की उतनी तपस्या इस चित्रकूट में हो रहे पांच दिनों के कार्यक्रमों में पूरी करा दी जायेगी। उसका फल तुम्हें मिल जाएगा।
6. आगे सूखा अकाल पड़ेगा। तुम्हारे घरों में कई हजार आदमी घुस जायेंगे और अनाज उठाकर ले जायेंगे। डाका उसके घर पर पड़ेगा जहां धुआं उठता होगा, जहां खाना बनता होगा और पता चलेगा कि इसके घर में अनाज है। ये सेठ साहूकार बोरों, थैलियों में नोट भरकर काश्तकार के यहां जायेंगे और उस अनैतिक कमाई का रुपया काश्तकार उनसे छीन लेंगे और अनाज का एक दाना उन्हें नहीं देंगे और डण्डे ऊपर से मारेंगे।
अधिकारी अपने स्टाफ कर्मचारियों को लेकर काश्तकार के यहां जायेंगे। सिपाही उन्हें छापा मारते वक्त डण्डे भी मारेंगे और अनाज छीन कर ले जायेंगे। काश्तकार उन अधिकारी कर्मचारियों से कहेंगे कि कहां ले जा रहे हो अनाज ? हमारे भी बाल बच्चे हैं। जो लोग विदेशी बेंकों, लाकरों में धन छिपाये हुए हैं यदि सन् 76 तक अपने देश में वापस नहीं लाते हैं तो उनका सब पैसा डूब जायेगा।
7. जब काश्तकार के घरों में छापे डाले जायेंगे, मारपीट होगी, अनाज वसूला जाएगा तब गृह युद्ध होगा। त्राहिमाम त्राहिमाम मचेगा।
सत्संग मंच के पास हरिद्वार में एक मंच पर कटती हुई गाय का चित्र बना था गाय कहती है कि-
क्या देखते हो? गंगा स्नान यहां करते हो, तो मेरे लिए भी कुछ करो। मुझे कटवाने वाले इन एम.पी., एम.एल.ओ. को निकाल बाहर करो।
8. सन्तों ने उस अनामी महापुरुष से लेकर दया को इन बालुका के कणों में भर दिया है, समा दिया है, छिपा दिया है। यहां पर तुम्हारे विकारों का, बुराईयों का हवन हो रहा है। सर्दी को ठंडक को हमने हाथ पैर बांधकर हरिद्वार के उस पुल के उस पार छोड़ दिया है। हरिद्वार के लोग अथवा साधू महात्मा जो कोई उस सत्संग स्थल चिमगादड़ टापू में आवे वो इस मैदान में जैसे चाहे वैसे रहे, घूमे और सबकुछ यहां देखे किन्तु जाने के पहले उस पुल को पार करने से पहले अपने कपड़े, कंबल बगैरह बदन पर डाल ले। उस पार पहुचने पर यदि किसी को ठंड लग गई वो बीमार पड़ गया तो मैं जिम्मेदार नहीं।
9. सत्संग कार्यक्रम के आखिरी दिन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी हरिद्वार में अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आने वाली थी। अधिकारीगण व सुरक्षा कर्मी चिन्तित थे। बाबा जी को जब यह बात बताई गई तो बाबा जी ने लाखों प्रेमियों को जो चमगादड़ टापू में थे आदेश दिया कि कोई भी आदमी पुलिया के उस पार न जाये, इधर ही स्नान करे गंगा जी में। जब उनकी गाड़ी उनके कार्यक्रम के बाद आप की सीमा के पार किनारे से चली जायेगी तब जा सकते हैं तब अधिकारीगण हमें सूचित करेंगे। यह सूचना आप सत्संगियों को दी जायेगी और उसके बाद आपकी गाड़ियां बाहर निकलने लगेंगी और यहां से प्रस्थान करेंगी।
बाबा जी ने कड़े शब्दों में माइक से कहा कि देखो सत्संगियों! यदि किसी ने जयगुरुदेव का झण्डा टोपी लगाकर व्यवधान पैदा किया चाहे वो कोई हो जिससे सत्संगियों की बदनामी हो तो ऐसे व्यक्तिायों को कुदरत सख्त सजा देगी। सत्संगियों ने आदेश का पूरा पूरा पालन किया।
भारत के लगभग सभी प्रान्तों के प्रेमियों स्त्री पुरुषों बच्चों ने लााखों की संख्या में उपस्थित होकर हरिद्वार के गंगा तट पर घनघोर ठंडी के मौसम में बाबा जी की कृपा से सत्संग लाभ लिया जिसे समुद्र पार बीबीसी ने पूरा पूरा प्रसारित किया। भारत की मीडिया मौन रही ऐसा क्यो ? इस बात का जवाब आगे भविष्य देगा।
10. बाबा जी ने कहा कि प्रेमियों! तुम कहते हो कि विनाश होगा। तब रक्षा किसकी होगी ? यदि कोई इतनी बड़ी संगत है किन्तु करोड़पति नहीं है करोड़पति यहां आया भी तो किस करेाड़पति का स्वागत किया ? तुम रेडियो खरीद लो और प्रचार करो। लाउडस्पीकर से अच्छा प्रचार हो जायेगा। तुम कहते हो कि मैं गरीब हूं तब मैं कहता हूं कि हनुमान लखपति नहीं थे। यदि राम राजा थे तो अयोद्धा के राजा थे। किन्तु जब वे जंगल में गये तब वे भिखारी थे। एक भिखारी ने दूसरे भिखारी से कितना बड़ा काम ले लिया।
11. भारत में इमरजेन्सी हटने के बाद शासन बदल गया और नये लोग आए। बाबा जी ने अयोध्या में प्रथम साकेत महायज्ञ किया। इमरजेन्सी के दौरान बाबा जी को जेल में रखा तथा सत्संगियों को बड़ी यातनायें दी गईं। बाबा जी ने कहा कि प्रेमियों जो साधना तुम्हारी 21 महीने में रुक गयी थी इसी कार्यक्रम में पूरी करा दी जायेगी। अंग्रेज साधु महात्मा की तरफ देखता भी नहीं था, हजारों गालियां दो पर वह कुछ नहीं करता था जब तक उसकी व्यवस्था में व्यवधान न डाला जाये। नया साल जनवरी से नहीं हमारे शास्त्रों के मुताबिक अप्रेल से शुरु होता है। प्रचार था कि कांग्रेस 76 तक समाप्त हो जायेगी और वो समाप्त हो गई। मार्च 1977 में फिर फिर जनता सरकार बन गई।
12. प्रेमियों तुम यहां स्नान सरयु में करो। अयोध्या तुम्हें घुमा दिया। इसी तरह से द्वारिकापुरी, काशी, साबरमती भी तुम्हें घुमा देंगे। सारे तीर्थ के बाद गंगा सागर में जाएंगे।
13. गांधी जी राजनीति से जुड़े थे। मैं धर्म से जुड़ा हूं। गांधी जी चूक गए किन्तु मैं चूकने वाला नहीं हूं। मैं धर्म को लेकर काम कर रहा हूं। गांधी जी को खतम कराने वाले वही लोग थे जिनके हाथ में हुकूमत आनी थी। इल्जाम एक निर्दोष के ऊपर मढ़ दिया गया।
14. परिवर्तन होगा। सतयुग की सारी चीजें आयेंगी। हवाई जहाज ऐसे बनेेंगे कि एक घण्टे में भारत से अमेरिका जायेंगे। अमेरिका के लोग भारत आयेंगे एक घण्टे में। दो घण्टे यहां सत्संग सुनेंगे और फिर एक घण्टे में लौट जायेंगे।
15. अहमदाबाद में दिसम्बर/जनवरी 1977 मे दूसरा साकेत महायज्ञ हुआ जिसमें 33 करोड़ देवताओं ने भाग लिया और 11 दिनों तक बराबर यज्ञ में उपस्थित रहे और ख़ुशी ख़ुशी वापस गए। जब घर के लोग खराब होते हैं तो घर का मालिक परेशान, ग्रामवासी परेशान। जब देश के लोग खराब होते हैं तब प्रान्त और केन्द्र की सरकारें परेशान और जब मृत्युलोक अर्थात दुनिया के लोग परेशान हो जाते हैं तब प्रबन्धन करने वाले देवता, देवी सब परेशान हो जाते हैं।
समय आयेगा जब बाबा जी की जरूरत सबको पड़ेगी।
जयगुरुदेव
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