महाराज जी के सत्संग वचनों के वीडियो क्लिप (मात्र 60 सेकंड में कुछ नया सुनें) 43.

परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के जनहितकारी परमार्थी वचन :-


968. ऊपरी रील कर्मों की वजह से बीच-बीच में बंद हो जाती है।

969. लोगों का खान- पान, चाल-चलन सुधारने की जरूरत है।

970. गुलाबी वस्त्र और जयगुरुदेव नाम का प्रभाव।

971. महाप्रलय के समय सन्तों के जीवों की क्या गति होती हैं?

972. प्रभु (सतगुरु) किससे खुश रहते हैं, किसे पसन्द करते हैं, किससे राजी रहते हैं?

973. ध्यान में ऊपर का नज़ारा।

974. नाम का नशा दिन-रात चढ़ा रहता हैं।

975. सच पूछा जाए तो कोई किसी का नहीं है।

976. महाप्रलय के समय सन्तों के जीवों की क्या गति होती है?

977. प्रभु (सतगुरु) किससे खुश रहते हैं, किसे पसंद करते हैं, किससे राजी रहते हैं?

978. नाम का नशा दिन - रात चढ़ा रहता है।

979. ध्यान में ऊपर का नजारा।

980. व्यभिचारी का मुक्ति-मोक्ष नहीं होता हैं।

981. यहीं हाल रहा तो पैसे की भारी कमीं हो जाएगी।

982. अंतर में सबकी पहचान हो जाती है।


983. लोग भाड़ में चने की तरह भुनते हुए नजर आ रहे हैं।

984. इस संसार में सुख कहा हैं? 

985. नामदान देने, सम्हाल करने वाले के रूप को याद करना चाहिए।

986. युक्ति, उपाय के अनुसार देवताओं से मिलना, दर्शन और बात होगीं।

987. मुसीबत में दस बार जय गुरु देव नाम बोलकर मदद ले सकते हों।

988. आमने-सामने बैठकर समझाने वाला ज्यादा कामयाब होता है।


विश्वास दिलाने वाले परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ➤

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