गुरु महाराज की दया होगी तो पार हो जाओगे*

जयगुरुदेव

17.08.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)

*गद्दी कब तक कायम रहती है?*

*अच्छे साधक अपने को छुपा कर रखते हैं*

सन्तमत का झंड़ा बुलंद करने वाले, अपने गुरु के आदेश की अक्षरश: पालना करने वाले, अव्वल नंबर के मेहनती, भक्तों की संभाल करने वाले, रूहानी दौलत को छुपा कर रखने की शिक्षा देने वाले, दया करके जीवों को भवसागर से पार करने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 19 मई 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

कबीर साहब गए, उसके बाद यह (आगे के गुरु) आए, कुछ समय तक तो असर रहता है। यह जो गद्दीयों पर लोग रहते हैं, कोई जरूरी नहीं है कि यह पूरे होते हो। लेकिन जो मेहनत करते हैं, सन्तमत को समझते हैं, गुरु के आदेश का पालन करते हैं, वह तो पहुंचते हैं, नहीं तो असर कुछ न कुछ होता है, संस्कार रहता है, कुछ दूर तक ही पहुच होती है। जब तक लोगों का खान-पान, चाल-चलन बिगड़ता नहीं है तब तक गद्दी कायम रहती है। उसके बाद सब लोग टेकी बनते चले जाते हैं। जो दसों गुरू हुए, उनका अस्तित्व इस समय लोगों ने खत्म कर दिया। नानक साहब कभी मांस नहीं खाए।

*काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, साधकों के अंदर तेज होते हैं*

महाराज जी ने 7 अक्टूबर 2021 सायं उज्जैन आश्रम पर बताया कि काम, क्रोध, लोभ, मोह ,अहंकार, रजोगुण, तमोगुण ,सतोगुण साधकों के अंदर तेज होते हैं। यह सब कैसे आते हैं? यह उसके खान-पान, आहार-व्यवहार, चाल-चलन, आचार-विचार पर निर्भर करता है। इसलिए कहा गया परमार्थी को बहुत होशियार, सजग रहना चाहिए, फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहिए। लेकिन जब सतसंगी नाम दान ले लेते हैं, सतसंग में सुना करते हैं कि गुरु के हाथ में सुरत की डोर चली गई, अब वह संभाल करेंगे, अब हमारा काल क्या कर पाएगा, बस निश्चिंत हो जाते हैं। 

तब उसमें और भी गलतियां बनने लग जाती है। जैसे अपने पैरों के बल चलता बच्चा लड़खड़ा कर गिरने लगे लेकिन बाप हाथ पकड़ लेता है। बच्चा कितना भी मचले, बाप उसकी संभाल करता है। ऐसे ही (सतसंगी भी) सोच लेते हैं और उसमें कभी धोखा भी हो जाता है। कभी उंगली ढीली पड़ गई, पिता का हाथ ढीला पड गया तो गिर जाएगा। इसलिए प्रेमियों बहुत संभाल कर के चलने की जरूरत है। यह ठगों का संसार है। निरंजन भगवान ने इस तरह का जाल पसार दिया है कि आप कहीं भी गिर, फिसल सकते हो। मुख्य रूप से तीन चीजों से बचना चाहिए- स्थान दोष, संग दोष और अन्न दोष।

*अच्छे साधक अपने को छुपा कर रखते हैं*

महाराज जी ने 16 मई 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि साधना करने वाले के अंदर पैदा हुई पीड़ा को दूसरा आदमी नहीं समझ सकता है। जाके पांव न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई। जाके पैर फटी विवाई सौ समझे पीर पराई। कहते हैं अंधे के आगे रोओगे तो वह क्या समझेगा कि इसको तकलीफ है, यह रो रहा है। वह तो चुपचाप घुलते रहते हैं। जो सच्चे साधक होते हैं, वो ये सोच कर कि हमारी साधना चली न जाए, दृष्टि के द्वारा, शरीर के स्पर्श के द्वारा, किसी भी माध्यम से, कोई एक गिलास पानी पिला दे, सेवा कर दे तो हमारी साधना चली न जाए इसलिए अपने को छुपा कर रखते हैं। इसलिए अपने अंतर में जो दिखाई सुनाई दे, किसी को बताना मत।

*गुरु महाराज की दया होगी तो पार हो जाओगे*

महाराज जी ने 23 मार्च 2019 उज्जैन आश्रम में बताया कि प्रचार प्रसार का काम, जीवों को जगाने, समझाने, बताने, ध्यान भजन, साप्ताहिक सतसंग, नाम ध्वनि करने और कराने का काम है। बहुत से काम हैं। उनमें लगो। खाली मत बैठो। समय निकला जा रहा है। अगर संगत की सेवा में, संगत के काम में, जीवों की भलाई में लगोगे और भजन में थोड़े कच्चे भी रह जाओगे तो भी गुरु महाराज की दया होगी, पार हो जाओगे।







अन्तर्यामी बाबा उमाकान्त जी महाराज

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