✪ यह गुरु महाराज (दादा गुरु पूज्य घूरेलाल जी) का चिन्ह बन रहा है। अभी तो आपको कुछ मिल जाएगा। बाद में समय निकल गया तो कुछ मिलने वाला नहीं अभी तो बचन लगे हुए हैं। पीछे कुछ नहीं होगा।
( शाकाहारी पत्रिका )
✪ महात्मा जमीन जायदाद के बंधे नहीं होते और जब झगड़ा होने लगता है तो महापुरुष कहीं और जाकर बैठ जाते हैं।
( शाकाहारी सदाचारी बालसंघ, वर्ष ३६, अंक ११, २१-२७ अगस्त २००६ )
✪ कूदा फांदी करेंगे, गाड़ी को छू लेंगे, ऐसे दया नहीं मिलती। हर बात का तरीका होता है आप हाथ जोड़कर खड़े हो जाओ, मैं सबको देख लूंगा। तुमसे कहा जाता है कि भजन पर बैठो तो तुम भजन छोड़ कर भाग जाओ इससे तुम्हें क्या मिलेगा ?
( शाकाहारी पत्रिका 14 जनवरी से 20 जनवरी 2005 )
✪ समाधि पूजने से कुछ नहीं मिलेगा- जो लोग मूर्ति पूजा करते हुए सतसंग में आए हैं उनका स्वभाव अभी मौजूद है. तो फिर सतसंगी बनकर समाधि और पिछले सन्तों की यादगार को पूजने लगते हैं और समझने लगते हैं कि बस समाधि की पूजा करना ही सतसंग और परमार्थ है? उनको सतसंग का फल जो कि भक्ति का है, कैसे मिल सकता है? वहां तो मंदिर मैं मूर्ति पूजते थे और यहां समाधि पूजते हैं। दोनों में कुछ ज्यादा फर्क नहीं है। ऐसे लोगों के उदाहरण है जो समाधि पकड़ कर बैठ गए और छोड़ते ही नहीं। संतमत में तो शामिल हुए, पर अपने लिए परमार्थ की क्या सूरत पैदा कर ली। इसका कारण यह है कि उन्हें सच्चा शौक परमार्थ का नहीं था। यदि यह सोच लिया कि समाधि के द्वारा उद्धार हो जाएगा तो यह बिल्कुल गलत है।
( शाकाहारी पत्रिका 28 मई 2005 से 6 जून 2005 )
✪ गुरु पूरा होना चाहिए, जिसकी रसाई सतलोक तक हो. ऐसा गुरु ईश्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म, और उसके ऊपर भी बराबरआता -जाता रहता है। उसक भेद को कोई नहीं जान सकता। अधूरा गुरु अपने शिष्यों को सबसे ऊँचे पद पर नहीं ले जा सकता। जब तक पूरा गुरु न मिल जाए. कई गुरु किए जा सकते है उसमें कोई दोष नहीं।
✪ परमात्मा की दया मेहर का द्वार सन्त सतगुरु के मिलाप के बाद ही खुलता है। ऐसे गुरु की तलाश करनी चाहिए जो आदि से अन्त तक और अन्त से आदि तक का भेद जानता हो और आपको आखिरी मंजिल तक पहुँचा सके। सन्तों की आखिरी मंजिल सतलोक अनामी धाम है। इसी स्थान से सारी की सारी सुरते (जीवात्माएं नीचे उतारी गई। ईश्वर, ब्रह्म पारब्रह्म भी इसी स्थान से आये। आपने सतसंग सुना और निर्णय आपको करना है कि किस गुरु से आपका आत्म कल्याण होगा। कबीर साहब ने कहा है-
साधो सो सतगुरु मोही भावे। परदा दूर करे आँखिन का निज दर्शनदिखलावे ।।
( शाकाहारी पत्रिका वर्ष ४१, अंक ३, 14 जून 2011 से 20 जून 2011 )
✪ अवतारी शक्तियों का जन्म हो गया है-
16 अगस्त कानपुर। 60 हजार नर-नारियों के बीच बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने बताया कि भारतवर्ष में अवतारी शक्तियों ने जन्म ले लिया है। अनेक स्थानों पर वे बच्चों के रूप में पल रहे हैं और समय आने पर प्रगट हो जाएँगे। गुरु महाराज ने आगे बताया कि माता-पिता सुधार कर लें वर्ना यही बच्चे उनके विनाश का कारण बन जायेंगे। इन बच्चों को गोश्त व अंडा दिया जाता है तो मुंह फेर लेते हैं और उधर देखते तक नही. तो माँ -बाप इस बात का ध्यान दें कि जो बच्चे इन सब चीजों को खाना नहीं चाहते उन्हें जबरदस्ती न खिलायें।
पुनः स्वामी जी ने इस बात का संकेत दिया कि वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं. 20 वर्ष का हो चुका है। यदि उसका पता बता दूँ तो लोग पीछे पड़ जायेंगे। अभी ऊपर से आदेश बताने के लिए नहीं हो रहा है। मैं समय का इन्तजार कर रहा हूँ और सभी महात्माओं ने समय का इन्तजार किया है। समय आते आपको सब कुछ मालूम हो जायेगा।
( शाकाहारी पत्रिका 28 अगस्त 1971 )
✪ महापुरुष का जन्म हो चुका है. स्वामी जी ने इस बात का संकेत दिया कि महापुरुष का जन्म भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हो चुका है। वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा। उसे जनता का इतना बड़ा समर्थन प्राप्त होगा कि आज तक किसी को नहीं मिला है।
( शाकाहारी सदाचारी बाल संघ, 7 सितम्बर 1971, वर्ष 1, अंक 15 )
✪ सतयुग तो आएगा ही। हम रहे न रहें ।
( शाकाहारी पत्रिका 28 मई 2004 से 6 जून )
✪ महात्माओं की वाणी कभी असत्य नहीं होती। इस कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में सतयुग आएगा दोनों की जब टक्कर होगी तो महाभारत होगा और विनाश होगा। जो अच्छे लोग होंगे. विचारधारा और कर्म अच्छे होंगे वही बच पाएंगे।
( शाकाहारी पत्रिका १४ अक्टूबर से २० अक्टूबर २००५ )
✪ कब तक शरीर रहेगा, यह भी तो किराए का मकान है। यह भी तो खाली होना है। इसमें कोई रहेगा थोड़ी? खाली होगा। जब तक है तब तक है, फिर खाली होगा। यह मिट्टी का मिट्टी में मिल जाएगा। जब हम अपने को कहते हैं कि मिट्टी में मिल जाएगा तो आपको कह देंगे कि आप यहां रहेंगे? शरीर तो सबका मिट्टी में मिलेगा।
( अमर संदेश, वर्ष 54, अंक 12, पृष्ठ 378, अप्रैल 2012 )
✪ स्वामी जी महाराज ने सतसंग सुनाते हुए दादागुरु के बारे में कहा- हमारे गुरु महाराज ने भी कहा था कि हम बूढ़े हो गए हैं। अब हमारे पास समय नहीं है। हम तुम्हें यह चीज देते है, बांट देना (यानी दादा गुरु जी महाराज ने स्वामी जी महाराज से कहा था कि हम बूढ़े हो गए हैं, हमारा समय पूरा हो रहा है। हम तुमको नामदान की यह अमोलक दौलत देते है, इसको तुम बांट देना)
फिर स्वामी जी महाराज ने कहा कि- मैं उनकी (अपने गुरु की अमानत को बांटता रहा। बाद बांटते समय पूरा हो गया पता नहीं चला। यहां जो आया है, उसे जाना है। अमर की लेखनी किसी को नहीं है किसी का पट्टा नही लिखा हुआ है। हमें भी जाना है। समय रहते भजन कर लो पता नहीं वह कब इस शरीर को बदल देगा किस में बंद करेगा। उसका काम देना और बदलना ही है।
( सतसंग वचन, 12 नवंबर 2004 मथुरा आश्रम )
✪ मैं बूढ़ा हो गया हूँ, शरीर पुराना हो गया है. कभी भी जा सकता हूँ।
( शाकाहारी सदाचारी बाल संघ, 7-13 फरवरी 2008 )
✪ 16 दिसंबर 2010 को मथुरा आश्रम पर भंडारे के कार्यक्रम में सतसंग सुनाते हुए बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने कहा- "हमारा शरीर अब बुड्ढा हो गया, साथ नहीं देता है, थक जाता हूँ, ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. इससे सांसों की बचत करता हूं और लोगों को सतसंग सुनने को मिल जाता है। यहां की सब चीजें नाशवान है हमारा शरीर भी नाशवान है। यह पिंजड़े की तरह से है, इसमें से सुरत निकल जाएगी तब शरीर खाली पड़ा रहेगा और इसका जो आप करते हो यह करोगे। इसको कोई रख नहीं पायेगा।"
( शाकाहारी पत्रिका में 7 से 13 जनवरी 2011, वर्ष 40 अंक 26 पृष्ठ 4 )
✪ मंदिर तो चिह्न है जिसे देखने के बहाने आपको यह अमोलक चीज मिल रही है। अगर यह बहाना न हो देखने का तो आप यह अमोलक चीज नहीं पा सकते खाली ईंट और पत्थरों को देखकर के नहीं मिलता है, वो तो मिलेगा उस महात्मा से जिसने कमाई करके उसको पाया है। तो तुम इसी में फंसे हो तो इसको देखकर के यहाँ आ जाओगे।
( प्रातःकाल सतसंग, मथुरा, 16.12.2002 )
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