जल के जीवों का पार होने का, मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने का लिखा-पढ़ी में नहीं मिलता है*

जयगुरुदेव

26.07.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)

*बगैर मेहनत के खाने पर पुण्य कर्म सिद्धियां कम होती है -सन्त बाबा उमाकान्त महाराज*

*जल के जीवों का पार होने का, मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने का लिखा-पढ़ी में नहीं मिलता है*


मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र तरीका नामदान देने के धरती पर एकमात्र अधिकारी, ग़लतफ़हमीयां दूर करने वाले, साधना में प्राप्त होने वाली छोटी-मोटी शक्तियों, सिद्धियों में न फंसने और उससे भी बड़ी, बहुत बड़ी चीज प्राप्त करने का लक्ष्य बनवाने वाले, अहंकार आने पर होने वाले नुक्सान से बचाने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 25 दिसंबर 2017 सायं उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

कहते हो पेड़-पौधे को पूजोगे तो देवता खुश हो जाएंगे। गंगा, यमुना नदियां मुक्ति-मोक्ष दे देंगी। देखो, मगरमच्छ कछुआ और मछली वहीं नदियों में रहते हैं जिनमें आप मुक्ति-मोक्ष खोजने के लिए जाते हो लेकिन मगरमच्छ कछुआ मछली के पार होने की कोई खबर लिखा-पढ़ी वर्णन में कही नहीं मिलीती है। लेकिन देखा-देखी। 

बस इधर-उधर बहुत से सतसंगी भटक जाते हैं, विश्वास नहीं होता है। विश्वास क्यों नहीं होता है? कहा है- देखे बिन न होए परतीती, बिन परतीत होये न प्रीति। बगैर देखे विश्वास नहीं होता है। जब देवी-देवता अंदर में दिखाई पड़ जाएँ तो कहोगे वहां कुछ नहीं है, सब (लोग) अँधेरे में हैं (पूरी जानकारी नहीं है)।

*आश्रम पर कुछ लोग मन में सोचते हैं कि सेवा करके ही पार हो जाएंगे*

महाराज जी ने 16 मार्च 2022 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि जो नहीं भी बैठते थे वो भी बैठने लगे ध्यान-भजन में, लेकिन वही मन वाली बात, मन नहीं रुकता था। कुछ लोग नहीं भी बैठे क्योंकि मन जल्दी बैठने नहीं देता है। जिन चीजों की तरफ लग जाता है (वहीं ले जाता है)। 

जैसे हमारे आश्रम पर कुछ लोग रहते हैं वो मन में सोचते हैं की सेवा करके हम पार हो जाएंगे। तो गुरु की दया हो जाए आपके ऊपर, आप को पार कर दे लेकिन (भजन) करना भी जरूरी है। जैसे कहते हो नाश्ता करना जरूरी है, खाना खाना जरूरी होता है, ऐसे ही यह भी जरूरी है। यदि आदमी केवल नाश्ता ही करता रहे तो भोजन की आपूर्ति कैसे हो पाएगी? आतें सिकुड़ जाएगी, शरीर कमजोर हो जाएगा, शरीर को तत्व नहीं मिलेंगे तो भोजन करना भी जरूरी होता है। इसलिए यह जरूरी चीज है।

*बगैर मेहनत के खाने पर पुण्य कर्म सिद्धियां कम होती है*

महाराज जी ने 13 नवंबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि कर्म करके खाने में फायदा रहता है। अगर अंदर में रिद्धि-सिद्धि प्रकट हो जाए, ये सिद्धियां प्राप्त हो जाए तो जो इच्छा किन्हीं मनमाही। जिस चीज की इच्छा होती है, वह चीज हाजिर हो जाती है। लेकिन उसमें से कटता है। 

जो शक्ति आती है, सिद्धि जो मिलती है, उसमें से कटता है। मेहनत, चाहे वाणी से, दृष्टि से, देख करके, दया दे करके, बोल करके, समझा करके या हाथ से कोई काम करके या पैर से चलकर के मेहनत करना हो, इसको न किया जाए और बैठ करके खाया जाए तो वह जो पुण्य कर्म, अच्छे कर्म, सिद्धि होती है, वो कम होती (जाती) है।

*भक्ति में अहंकार होना ही नहीं चाहिए*

महाराज जी ने 13 नवंबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि भक्ति में तो अहंकार होना ही नहीं चाहिए। भक्ति में दीनता होनी चाहिए। दीन-हीन बनना चाहिए। भक्ति में अगर अहंकार आया तो भक्ति कलंकित, दूषित हो जाती है, भक्ति पक्ती नहीं है। और भक्ति जब तक नहीं आती है तब तक भगवान सतगुरु खुश नहीं होते हैं। इसलिए छोटा बनकर के ही भक्ति करनी चाहिए। करा कराया सब गया, जब आया अंहकार। सावधान रहो।






Baba umakant ji Maharaj 


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