मार्ग दर्शक भंडारा 2023 की कुछ रोचक बातें (3.)

जयगुरुदेव

बाबा उमाकान्त जी महाराज ने साधु समाज के हित की बात बताते हुए कहा कि जब हमेशा यह याद रहेगा कि हमारा खानपान सही रहे, हमारा चाल-चलन सही रहे, तभी हमारा कोई स्थान समाज में बन पाएगा। इसलिए हमको तो केवल निवेदन करना है कि अपने को हमेशा निरखते-परखते रहो कि कहीं हम लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन तो नहीं कर रहे हैं, लक्ष्मण रेखा से हम इधर-उधर तो नहीं जा रहे हैं कि हमारा हरण हो जाए, हमारा अस्तित्व खत्म हो जाए । 

इसलिए हमको आज इस बात पर विचार कर ही लेना है कि मर्यादा को साधु समाज की बनाए रखना है। तो अब आप यह समझो कि यह कब संभव होगा, मर्यादा का हनन कब होता है, जब आदमी होश में नहीं रह जाता है। इसलिए ऐसी चीजों का आपके अंदर, किसी के अंदर है जिससे होश में न रह जाए, बुद्धि काम न करे, तो हम प्रार्थना करेंगे कि ऐसे नशे का सेवन आप लोग न करें। 

दूसरी चीज यह है कि यह जो शरीर दिया हैं, किस लिए दिया है? उसने इस लिए दिया है कि साधु वेश जब धारण करो तो दूसरे की सेवा करो, दूसरे के लिए काम करो, परमारथ के कारने संतन धरा शरीर । परमार्थ के लिए जब यह शरीर मिला है तो परमार्थी काम भी किया जाए। दुःख तकलीफ हम उनकी दूर करें जो इस समय दुखी हैं ।

भारत का साधु समाज अगर चाहे तो देश को ही नहीं पूरी दुनिया को बदल सकता है क्योंकि यह भारत भूमि है, भारत से ही अध्यात्म की बेल दूसरे देशों में गई है, और वही बेल का असर, महत्व जब उनको समझ में आया तो आज देखो विदेश के लोग भी गलियों में हरे कृष्णा हरे रामा बोलते हुए दिखाई पड़ते हैं ।

लेकिन मैं भी घूमता रहता हूँ, देखता रहता हूँ कि काल और माया के देश में लोगों के विचार और भावनाएं विपरीत हो रही हैं। एक दूसरे की निंदा, एक दूसरे की बुराई, एक दूसरे को नीचा दिखाने का यह क्रम भी साधु समाज में भी अब मैं देखने लगा हूँ ।

जब लोग देखते हैं कि आपस में ही गाली-गलौज, आपस में ही वैमनस्यता, ईर्ष्या-द्वेष इनमें व्याप्त है तो लोगों का मुँह इधर से मुड़ता जा रहा है, आस्था खत्म होती जा रही है। और जब किसी भी भगवान का नाम जैसे राम का हो, कृष्ण का हो, महाकाल का हो, शिव का हो, किसी का भी नाम जब वह लेता है कहता है कि मैं इनका भक्त हूं तुम इनकी भक्ति करो तो लोगों को बातों पर विश्वास नहीं होता, सोचता है कि इनका स्वभाव, व्यवहार, विचार खराब है तो इनमें क्या देखते हैं कि जब इनके भक्त ऐसे हैं तो इनमें शक्ति होगी? क्या ताकत होगी? इसलिए लोगों का विश्वास धीरे-धीरे साधु समाज से हटता चला जा रहा है।


बोहरा समाज के प्रमुख हाजी मुल्ला कुतुब फातमी ने बोहरा समाज की तरफ से, उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि -

"ताल्लुक मेरा गीता और कुरान से है, रिश्ता मेरा इस देश के हर इंसान से है । मर कर भी दोबारा यहीं जन्म लूँगा, इतनी मोहब्बत मुझे अपने हिंदुस्तान से है ।।"

"हमारे धर्म गुरु हमेशा यह कहते हैं कि जिस मुल्क में रहो, जिस वतन में रहो, हमेशा उस वतन के वफादार रहो। ईश्वर ने हमारे लिए किताबें दी हैं, हमारे यहां गीता, कुरान, बाइबल सब हैं लेकिन उन को समझने के लिए एक सतगुरु की आवश्यकता होती है। जब तक उस किताब को हमारे सतगुरु हमारी भाषा में नहीं समझाएंगे तब तक हम जीवन यापन नहीं कर सकते हैं । ऐसा हमारे जीवन में सतगुरु का महत्व होता है । हमारा जो समाज है वह स्वमं अनुसाशित वाला है जैसे हम गुरु महाराज (परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज) के यहां पर आप सभी कार्यकर्ताओं को देख रहे हैं तो हमें ऐसा लग रहा है कि ये सब हमारे समाज वाले ही है । "


इंदौर से भाई अब्दुल गफ्फार जी ने बाबा उमाकान्त जी महाराज से कहा कि ‘“मेरी यही विनती है कि शांति और सद्भावना मिशन बना रहे, मुस्लिम कम्युनिटी, मुस्लिम कौम पूरी की पूरी आप के हवाले है आप जैसा मार्गदर्शन करते रहेंगे मुस्लिम समाज आपको सहयोग देता रहेगा। ऐसी मेरी कामना है ।"

शहर काजी ख़लीफ़ उल रहमान जी ने फ़रमाया - खिलाने वाली कौम उस अल्लाह की है. यह एक ऐसी संस्था बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था उज्जैन है जो अपना बटोरा हुआ दूसरों को देने की कोशिश करती है, मैं ऐसी संस्था को सलाम करता हूँ और दुआ करता हूँ अल्लाह ने जो जज्बा इनको दिया है वह जज्बा दुनिया मैं रहने वालेहर शख्स के अंदर होना चाहिए।

मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ सिख समाज के जत्थेदार सरदार सुरेंद्र सिंह अरोड़ा जी ने बड़े ही भावुक अंदाज में कहा कि

मैं सिख धर्म में जन्मा हूँ. गुरु नानक देव जी के बारे में पढ़ा है, हमारे पहले गुरु रहे हैं। पढ़ते-पढ़ते अपने जीवन काल में कभी साक्षात गुरु नानक देव जी के दर्शन हो जाएंगे, मैंने कभी सोचा नहीं था जब भी मैं इनके (बाबा उमाकान्त जी महाराज) के दर्शन करता हूँ तो इनमें मुझे साक्षात गुरु नानक देव जी नजर आते हैं। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ ।

'हम लोगों के यहां भगवान का मंदिर नहीं है, हमारे यहाँ गुरु का द्वार है। अर्थात् पहले गुरु को समझना होगा तभी तो हम भगवान तक जा पाएंगे।'

मैं जब जब यहाँ (बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन, मध्य प्रदेश) पर *आता हूँ, और गुरुदेव (बाबा उमाकान्त जी महाराज) के दर्शन करता हूँ तो ऐसा लगता है कि गुरुदेव ने जिस लिए मुझे जमीन पर भेजा है, वह गुरुदेव के दर्शन करने के बाद साक्षात् अपने जीवन को सफल मानता हूँ।'

"मेरे होश में इस आश्रम (बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन) की स्थापना हुई है। मुझे ऐसा लगता है कि सिटी में एक तरफ महाकाल विराजित हो गए और दूसरी तरफ गुरुदेव विराजित हो गए, उज्जैन के लोग धन्य हो गए, धन्य हो गए, धन्य हो गए।"

"जब-जब भी प्रशासन को किसी चीज की आवश्यकता रहती है तो सर्वप्रथम हम गुरुदेव के जितने भी भक्तगण हैं उनकी तरफ देखते हैं और वह हमारी झोलियां भर देते हैं जो हम मांगते हैं वह सब गुरुदेव के आश्रम से हमको प्राप्त होता है।"

'हाल ही में प्रधानमंत्री जी द्वारा जब महाकाल कोरिडोर का लोकार्पण हुआ उस समय उज्जैन के जो इंचार्ज मिनिस्टर थे, मेरे सामने बैठकर चर्चा हो रही थी, उन्होंने कहा कि हम को भोजन के 10000 पैकेट चाहिए, कुछ लोगों को बाहर से आना है। मैंने यहां (बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन) के भाईयों से बात की और उन्होंने कहा कि बिल्कुल सेवा हो जाएगी। दूसरे दिन मीटिंग हुई बोले 20000 चाहिए शाम को मीटिंग हुई बोले 30,000 चाहिए तीसरे दिन मीटिंग हुई भूपेल सिंह जी, जो मिनिस्टर है. तब पेयर कर रहे थे. उसके बाद कहने लगे कि 50,000 चाहिए । 

तो हमारे गुरुदेव के जो भक्तगण है, उन्होंने मुझसे धीरे से कहा कि इनसे एक ही बार पूछ लो, जितने मांगते हो उतने आप हां भर देना। मैंने भी कहा कि हम 50000 नहीं आपको 100000 पैकेट देंगे लेकिन एक ही बार मांग लीजिए आपको जितने मांगना है तो उन्होंने एक लाख कहा और यहां आश्रम से तैयार होकर सवा लाख लोगों को भोजन प्रसादी के पैकेट दिए गए।

"मैं आपके चरण छूकर अभिनंदन करता हूँ। आप जैसा करते हैं वैसा कोई दूसरी संस्था नहीं कर सकती, नहीं कर सकती, नहीं कर सकती।"


• श्री योगेश व्यास जी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जी ने कहा-

जब पहली बार दिव्यांग विवाह समारोह उज्जैन में आयोजित हुआ, तो सबसे बड़ी व्यवस्था जो होती है भोजन की होती है। बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन के प्रतिनिधियों ने बोला की पूरी व्यवस्था हमारी रहेगी।

कोविड में 10,000 खाने के पैकेट, 15000 खाने के पैकेट रोजाना आश्रम से बनकर जाते थे। 50000 से लेकर 75000 खाद्यान के पैकेट आदरणीय गुरुदेव के आशीर्वाद से सभी जनता को, निर्धन लोगों को मिले।

श्री अशोक यादव जी, बार एसोसिएशन उज्जैन के वर्तमान अध्यक्ष ने कहा-

गुरुदेव के आश्रम में कोई व्यक्ति ना तो छोटा है ना बड़ा है, चाहे वो अमीर हो या गरीब हो। सिर्फ यहां पर मानवता की ही बात होती है। कोरोना काल में जब कोई मदद को तैयार नहीं था, तब आश्रम के द्वारा हजारों राशन के पैकेट यहां पर गरीब लोगों को दिए। जब काम धंधे बंद थे, कोई रोजगार नहीं था, ऐसे में उन लोगों की सेवा कौन करे? उनको भोजन की व्यवस्था कराने का काम बाबा जयगुरुदेव आश्रम उज्जैन द्वारा किया गया।

कितना भी धनवान व्यक्ति हो वह यह काम जरूरतमंदों को भोजन खिलाना नहीं कर सकता है और यह सब करने के बाद कोई दिखावा नहीं, कोई प्रचार-प्रसार नहीं, सिर्फ एक लक्ष्य था कि मानव जाति का कल्याण करना है।

जयगुरुदेव
साभार, (पुस्तक) मार्गदर्शक वार्षिक भंडारा 2023 
Margdarshak-bhandara-2023
BABA JAIGURUDEV SATSANG UJJAIN


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