➤ प्रकाशक की ओर से
सत्संगी प्रेमियों के अनुरोध पर युग महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जी महाराज पुस्तक का पांचवा भाग प्रसारित करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। बाबा जी की एक रचना है जिसकी पहली लाइन है कि-
भारत की शान बढ़ेगी, गुरुदेव तुम्हारी शिक्षाओं से।
भौतिकवाद और माया की बेड़ियों में जकड़े हुए मनुष्य को आत्मिक चेतना प्रदान कर मुक्ति के पथ पर लगाने वाले महापुरुष संसार में बराबर आते रहे हैं। उनके आध्यात्मवाद की शिक्षायें नर नारियों को नई चेतना प्रदान करती रही हैं। आध्यात्मवाद कोई व्यापार नहीं, रंग बिरंगे कपड़े नहीं, नाच गाना बाजा नहीं, पढ़ना लिखना नहीं या खेल चमत्कार नहीं है।
आध्यात्मवाद आत्मा और परमात्मा का ज्ञान है। इसके लिए जरुरत है ऐसे जीते जागते महापुरुष की जिसने आत्मा और परमात्मा का ज्ञान प्राप्त किया है और दूसरों को भी ज्ञान प्राप्त करा सकता है। आध्यात्मावाद को समझने के लिए हर मुल्क के लोगों को हिन्दी भाषा सीखनी पड़ेगी। मनुष्य को समझना होगा कि वह कौन है, कहां से आया है और मरने के बाद कहां जायेगा। इस जनम मरण के रहस्य को उसको समझना होगा।
.............नीलम श्रीवास्तव
➢ भूमिका
बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सत्संग का प्रारम्भ अर्दली बाजार वाराणसी से किया 10 जुलाई 1952 को। फिर सत्संग की धारा उत्तरप्रदेश के जिलों में चल पड़ी। जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, बस्ती, लखनऊ आदि स्थानों पर बाबा जी ने सत्संग सुनाने के बाद नाम यानी दीक्षा दिया और बीस वर्षों के अन्दर 1972 तक देश में बीस करोड़ लोगों का जन जागरण हो गया। जिसकी घोषण बाबा जी ने 1972 के अन्त में भण्डारे के अवसर पर मथुरा में किया।
हर प्रान्तों के प्रेमियों ने बाबा जी की बातों व संदेशों का संकलन किया। यह कार्य कठिन था यों कहें कि असम्भव है जैसा कि महात्माओ ने कहा है कि- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
फिर भी संकेत के रूप में और वह भी किसी स्थान विशेष का थोड़ा वर्णन इसमें किया गया है। बाबा जी के कार्यक्रमों व संदेशों को जयगुरुदेव संगत की पत्रिकाओं अमर सन्देश, शाकाहारी सदाचारी बालसंघ, मानव सुधार एवं अध्यात्मिक सन्देश, अंतर्ध्वनि, दर्ददीद पत्रिकाओं में दिया गया है।
भारत के अनेक नगरों में छोटे बड़े पैमाने पर पत्रकार सम्मेलनों का भी आयोजन सत्संगियों ने किया किन्तु.....। अन्त में जगह जगह बाबा जी ने मंच से घोषणा किया कि मैंने देश में बीस करोड़ लोगों के पेट को प्रेस और मुंह को अखबार बना दिया है। इसकी एक छोटी सी झलक भारत में इमरजेंसी के बाद वर्ष 1977 में देखने को मिली और वह यह कि जनता ने वोट की झाड़ू से अहंकारी राजनीतिज्ञों को निकाल बाहर किया।
देश व दुनिया में इतिहास लिखा जा रहा है। अपने एक कार्यक्रम हरिद्वार के चमगादड़ टापू में बाबा जी ने गंगा तट पर बिना कुम्भ के कुम्भ लगा दिया था।
जिसमें कई दिनों तक लाखों लोगों ने स्नान किया, सत्संग सुना जिसका प्रसारण बी.बी.सी. ने समुद्र पार लंदन से किया तो तहलका मच गया। राजनीतिज्ञ क्षैत्र में इसका असर यह हुआ कि मीडिया पर गुपचुप प्रतिबंध लग गया।
बाबा जी ने कहा था कि जमाना बदलेगा और ऐसा परिवर्तन होगा कि दुनिया चकाचोंध हो जायेगी।
भारत आध्यात्मिक देश है। यहां की विभूतियां विश्व को नचाया करती थी और वक्त आ गया है। बाबा जी ने कहा था कि-
महाबली एक शासक होगा, धर्म मुकुट सिर पर धारेगा। धरा से देगा पाप हटाय, जयगुरुदेव की वाणी।।
जयगुरुदेव |
शेष क्रमशः पोस्ट न. 2 में पढ़ें 👇🏽
- मंत्री, शाकाहारी सदाचारी बालसंघ
sabhar, Yug mahapurush baba jaigurudev ji maharaj bhag 5
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युग महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जी महाराज |
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Jaigurudev