बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के हस्तलिपि सन्देश- 7

☔ माया से बचते रहो ☔ 

सत्संगी प्रेमी जनों से अनुरोध है कि अपनी सुरत के लिए नाम धन की कमाई करें कोई साधु बनकर अपने आपको न पुजावें। मन मुखी कार्य न करें। 
गृहस्थों के टुकड़े, छः छः अंगुल के दांत। भजन करें तो ऊबरें नही तो फाड़ें आंत।
संतमत में काम काज करते हुए सेवा कर सकते हैं। माया से बचते रहो नही तो ऐसा झमेल मारेगी कि सब अक्ल गुम हो जायेगी।


⧪ जयगुरुदेव 

बाबाजी  ने कहा था कि उस साल से भारी नुकसान होगा। गरीबों की सुनवाई भगवान करेगा या महात्मा दूसरा कोई नहीं छः हजार पर भविष्य में कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा।
बाबा जयगुरुदेव ने कहा भविष्य में जो महंगाई चीजों की आ रही है उसको देखते हुए छः हजार पर किसी को भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा।

बाबा ने जनता से अनुरोध किया और कहा कि त्यागी सदाचारी मद्यपान रहित निरामिष धार्मिक पुरुषों की अब जरूरत है। उन्हीं से देश का आर्थिक मानसिक, आत्मिक शारिरिक, सामाजिक व राजनैतिक लाभ होगा। प्रजातंत्र जनता हाहाकार करती रही व दुखी दरिद्र रही तो और कौन सा समय प्रजातंत्र समाजवादी आयेगा। 

यह समय सुन्दर था पर प्रजातंत्र को हुकूमतकारों ने चरित्रहीन बना दिया। मांस-मछली, अण्डे खाना सिखा दिया, शराब, ताड़ी अफीम गांजा पिलाकर हमारी बु़द्ध पागल कर दी। आन्दोलनों हड़तालों तोड़फोड़ों में फंसाकर ऊंचे-ऊंचे  वादे गरीबी दूर करने के लिए। 

अनेक प्रकार की डमरूयें बजाई दुखी, मजदूर किसान, जनता को देवताओं की कसमें खाकर कहा कि अबकी गरीबी दूर न हो तो आप हमारा साथ आगे न देंगे कुछ लोग आपकी गरीबी दूर नहीं करने देना चाहते हैं हमारी लड़ाई गरीबी दूर करने की है। आप अबकि देख लें कि गरीबी दूर कैसे नहीं होती।
राजाओं का प्रीवीसी पांच करोड़ होता है। बाबा ने कहा कि पांच करोड़ देने न देने से क्या फर्क पड़ता है। 


⧫ बाबा जयगुरुदेव ने कहा एक बीघा खेत में सौ मन गेहूं लायेगा। धन धान्य से पूर्ण पृथ्वी फलेगी।


⧫ पदाधिकारियों से अपील 

भारत  धर्म देश में अधिकारी धार्मिक बनें।
देश के पदाधिकारी अपनी मान-प्रतिष्ठा को जनता में नेक सेवाओं से वापस लायें।
जनता की सेवा सप्रेम बच्चों की तरह करें। प्रजातंत्र की नींव अधिकारियों पर निर्भर है।
देश के जनमानुष को हकीकत में खुशहाल देखना तो पांच बातों को ग्रहण करना पड़ेगा। 
सत्य, अहिंसा, प्रेम दया, सेवा यह पांच बातों को ग्रहण करना पड़ेगा। सत्य, अहिंसा प्रेम दया सेवा यह पांच बातें मानव जीवन का रतन हैं।


एक मजदूर रोज 10 रुपया कमायेगा,  पचास रुपया रोज शराब में पियेगा, आयेगा कहां से ?
एक अधिकारी सौ रुपया रोज पायेगा,  दो सो रुपये रोज शराब में पियेगा, आयेगा कहां से?
बुद्धि जीवी इस पर सोचें।

बच्चों में नैतिकता, घर में खुशहाली चाहते हैं तथा शांति मानव की प्रमुख वस्तु लेना तो- शराब के छोड़ने से एक हजार बुराईयों छूटेंगी।
सतयुग की रूपरेखा आने वाले समय में देखने को मिलेगी, मानव अपनी पवित्र बुद्धि से स्वीकार कर लेगा।


⧪ जनता होशियार 

बाबा जयगुरुदेव ने सर्व मानव को सचेत किया। सुभाष के प्रगट करने वालों से जनता होशियार 
कानपुर 23 जनवरी 1975 
इमरजेन्सी शासनकारियों के उपद्रव षडयंत्र से जनता होशियार सावधान व विचार शील
जो शासन आदि के लोग शासन खो बैठे अपने अनेक  क्रूर बेवकूफी व अज्ञान की क्रिया जुल्मों से अब भी सुभाष के प्रगट होने का षडयंत्र कर रहे हैं। बाबा जयगुरुदेव जोड़े। रुपया देकर रविवार पत्रिका में भी निकलवाया। यह उनकी क्रूर बेवकूफकी व अज्ञान की क्रिया। बाबा जयगुरुदेव असली नाम तुलसीदास चिट्ठी भेजने वाला इसी नाम का जिसके पास चिट्ठी भेजी इसी नाम से। 


मथुरा चिरौली संत आश्रम कृष्णानगर के पते से रजिस्ट्री भेजी एक पत्रिका भेजी, जिसमें काशी के यज्ञ का पूरा हवाला है। 15 फरवरी से 25 फरवरी 1979 तक का काशी से बमभोले चले गए भक्तों के साथ। बाबाजी के शब्द को पत्रिका में रखा सारे देश की जनता धोखेबाजों से सतर्क।

कोई भी सुभाष इलाहाबाद जन्माष्टमी के दिन प्रगट होने नहीं जा रहा है।
सन्तों फकीरों के वचन असत्य नहीं होते। कलयुग की समाप्ति के आसार आगे देखने को मिलेंगे।

जयगुरुदेव 
Hastlipi sandesh




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