*शरीर के कर्मों को काटने के लिए सेवा करने के बहुत सारे विधान है*

जयगुरुदेव

08.05.2023
प्रेस नोट
उज्जैन (म.प्र.)

*किसी को भी गुरु बना लेने से तकलीफ दूर नहीं होती है*

*शरीर के कर्मों को काटने के लिए सेवा करने के बहुत सारे विधान है*

*आदेश का पालन करना भक्ति कहलाता है*


पूरे गुरु, रूहानी आध्यात्मिक तरक्की करवाने वाले, जो पहले भक्त को अपनी परीक्षा लेने देते हैं, प्रभु से मिलने का रास्ता नामदान बताने वाले, आकाशवाणी सुनाने वाले, मोह माया को ढीला कराने वाले, सेवा के विधान को और सरल कर लागू करने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 12 अगस्त 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

गुरु का स्थान ही खत्म होता जा रहा है। और गुरु अगर लोग करते भी हैं तो प्रवचन में सुन करके, कहने सुनने से तो किसी को भी गुरु कर लेते हैं। तो जिसको जितनी जानकारी होती है उतना ही तो बतलाता है तो रूहानी तरक्की नहीं हो पाती है। रूह जीवात्मा के लिए कुछ नहीं कर पाता है। वह शक्तियां जो लोगों ने अर्जित किया, वह लोगों को नहीं मिल पाती है। एक तो रास्ता नहीं मिलता, उसे मिलने का, उस मालिक की आवाज को सुनने का, दुसरा मोह माया को कोई ढीला नहीं करा पाता है, तकलीफों को दूर नहीं कर पाता है तो आदमी उसी में फंसा रहता है। तो धीरे-धीरे उस मालिक से विश्वास ही खत्म होता जाता है।

*आदेश का पालन करना भक्ति कहलाता है*

महाराज जी ने 4 मार्च 2019 प्रातः लखनऊ में बताया कि भक्ति करो। भक्ति बड़ी प्रमुख होती है। भक्ति का मतलब अक्षरश: आदेश का पालन। क्योंकि सन्त त्रिकालदर्शी होते हैं। आगे और पीछे दोनों का देखते हैं। और जो हो रहा है उसको भी देखते हैं। और जो कुछ आपके भविष्य का था, वह भी आपको बता कर के गए। इसलिए आप उनके वचनों को पकड़ो और आदेश का पालन करो, ध्यान भजन सुमिरन रोज करो। उसमें मन न लगे तो देखो मन कहां जा रहा है। खाने पीने भोग काम क्रोध लोभ की तरफ किधर जा रहा है। तो समझ लो शरीर से वही कर्म बन गए। तो शरीर से सेवा करो। उन कर्मों को काटो। कर्म जब तक नहीं कटेंगे तब तक छुटकारा नहीं मिलेगा।

*शरीर के कर्मों को काटने के लिए सेवा करने के बहुत सारे विधान है*

कर्मों को काटने का विधान बना दिया गया। प्रचार करो, लोगों को समझाओ, शाकाहारी सदाचारी नशा मुक्त बनाओ, नामदान, सतगुरु के बारे में बताओ समझाओ, नामदान दिलाओ, साप्ताहिक सतसंग करो, शाम को इकट्ठा करके सुमिरन ध्यान भजन खुद भी करो और उनको भी कराओ, उनके घरों में चले जाओ, वहीं बैठ कर करो, परिवार वालों को कराओ, नामध्वनि करो कराओ, बहुत सारे काम है। शरीर के कर्मों को काटने के लिए बहुत सारे सेवा के विधान आपके सामने हैं। तो उसमें लग जाओ। उसमें लग जाओगे तो जब कर्म कटेंगे तो मन लगने लगेगा। मन तो एक ही है। मन जहां लगाओगे उधर ही तो जाएगा। सेवा में लगाओगे तो सेवा से कर्म कटेंगे। कर्म को काट लो तो मन भजन में लगने लगेगा। अक्सर लोगों की यही शिकायत रहती है कि मन नहीं लगता है। तो मन को लगाने का जब काम करोगे तब तो मन लगेगा। मेरी प्रार्थना विनती आरजू है आप इस पर ध्यान दो।



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