जैसे बेटा कर्जा लेकर न चुका सके तो बाप चुकाता है, सन्त भी अपने जीवों द्वारा कर्मों (की सजा) को न भोग पाने पर खुद भोगते हैं-- बाबा उमाकान्त जी महाराज

जयगुरुदेव

13.11.2022
टीवी न्यूज़
उज्जैन (म.प्र.) 

जैसे बेटा कर्जा लेकर न चुका सके तो बाप चुकाता है, सन्त भी अपने जीवों द्वारा कर्मों (की सजा) को न भोग पाने पर खुद भोगते हैं

निजधाम वासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 सितंबर 2020 प्रातः गाजियाबाद (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 

जो मनुष्य शरीर में आते हैं सबको कर्मों की सजा भोगनी पड़ती है। जैसे बेटे के तय किये सौदे को बाप मानता है ऐसे ही समरथ सन्त भी अपने अपनाए हुए जीवों के कर्मों को न भोग पाने पर खुद भोगते हैं। जो महात्मा सन्त आए उन्होंने कर्म कर्जे को अदा करने, तकलीफों से बचाने के लिए नियम-कानून बनाए, तरह-तरह का उपाय युक्ति निकाले। आपने अभी तक इन्हीं दुनियावी फायदों की बातों पर विश्वास किया है लेकिन आत्मा को आप समझ, देख नहीं पाए। वह संकट में, बंधन में इस शरीर के अंदर वह पड़ी हुई है। उसे मुक्त कराओ तब असली शान्ति मिलेगी। कलयुग में इस समय साधु बन जाने पर भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। यह शरीर छोड़ना ही पड़ेगा। तैयारी करो।

स्क्रॉल

कुदरत का थप्पड़-लप्पड़ जब लगता है तो कोई मददगार नहीं होता है सिवाय वक्त के सतगुरु के।
कुदरत के बनाए नियम-कानून का पालन करने पर सुख का अनुभव होता है।
कुदरती कहर जब बढ़ेगा, व्यवस्था बिगड़ेगी तब नदी, तालाबों का ही पानी पीने के काम आएगा, इसे स्वच्छ रखो।
कुदरती कहर से बचने के लिए शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त बनो और बनाओ।
कोई तारीफ करे तो गहराई से सोचो कि यह अपने किस स्वार्थ में तारीफ कर रहा है।





बाबा उमाकान्त जी महाराज


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