जयगुरुदेव
हिंसा से बरक्कत चली गई...
ये अनमोल मनुष्य शरीर आपको अच्छे काम के लिये मिला, बुरे काम के लिये नहीं। तो अच्छा काम कीजिए। अगर आज शिक्षा मिलती होती तो देश के अन्दर इतने मतलब यह- ये कत्ल नही होते। इस प्रजातंत्र में अभी तक लोगों ने रास्ता नहीं ढू़ढ़ पाया और इतने कत्ल हो रहे, कोई कुछ नहीं और राजनीतिक लोग खुद कर रहे और कराते हैं और फिर भी उसमें कुछ रास्ता नहीं पाते हैं। इससे मालूम होता है- कुछ नहीं। व्यवस्था ही सब बिगड़ गई।
समाज की व्यवस्था गई, धर्म की व्यवस्था गई, राज की व्यवस्था चली गई। छोटे बड़े की व्यवस्था, परिवार की व्यवस्था बर्बाद। अब तो रास्ता पाना कुछ और है इसलिए आप लोग अच्छे काम में, अच्छे समाज में, अच्छे व्यक्तियों में थोड़ा साथ दे दीजिए और आप शाकाहारी बन जाइये। ठीक है आपने जो कुछ किया अभी तक किया लेकिन अब शाकाहारी बन जाइये ताकि आप अपनी जीवात्मा का उत्थान कुछ कल्याण। चौरासी से, नर्कों से इसको बचा सकें। इसी वजह से तो आपकी बरक्कत चली गई।
जब आप हत्या करने लगे आदमी की, बच्चे की, बच्चियो की , स्त्रियों की, मतलब जानवरों की जब हत्या करने लगे तो अपकी बरक्कत चली गई। तो करोड़पति भी कुछ नहीं, लखपति भी कुछ नहीं, आपको पूरा पड़ता ही नहीं।
ऐसा कोई नशा मत करो जिससे बुद्धि पागल हो जाय...
तो दो चीज है, आप लोग शाकाहारी हो जाओ, सब लोग हिन्दू मुसलमान, छोटे बड़े सब मनुष्य जितने भी हैं सब शाकाहारी बनो। अशुद्ध आहार कोई मत करो, एक बात। बीड़ी तम्बाकू हुक्का पीओ, मैंने तो कभी पिया नहीं लेकिन बीड़ी, तम्बाकू आप पी सकते हैं। जो बच्चे 20 साल के, जिन्होंने अभी तक शुरु नहीं किया है, बीड़ी, तम्बाकू हुक्का बच्चों कभी मत पीओ। यह बुरी आदत मत डालना, जो पीते हों पीते रहो। ऐसा कोई भी हिन्दू मुसलमान, सिख, ईसाई ऐसा कोई भी नशा मत करो कि बुद्धि पागल हो जाए।
जब पागल बुद्धि हो जायेगी, तो मां, बाप, बच्ची को गाली, देवी को गाली, पड़ोस में गाली, बड़े बुजुर्गों को गाली दोगे। तुम मारोगे, पीटोगे और तमक कर चलोगे, तो तुमको बुद्धि का होश नहीं है, गढ्ढा पड़ा पैर उसमें चला गया पैर टूट गया। फिर सिर फट गया, मर गए। क्या फायदा ऐसे नशे से ? न रामायण में कहा, न गीता में , न कुरान में न महात्मा , न फकीर कहते हैं। यह तो कहते हैं कि अच्छा रास्ता चलो साग सब्जी है फल है सौ बार खाइये सौ कपड़े रोज बदलो, अच्छे मकान में, अच्छी झोपड़ी में रहो, मना कौन करता है, गृहस्थ आश्रम में रहो। लेकिन कहते हैं कि यह है बुरी चीज ऐसा मत करो।
व्रत ले लो कि शाकाहारी का पालन करेंगे...
आप लोग सब के सब यह प्रतिज्ञा मन में, मन में बाहर नहीं, ये मन मेंं धारण कर लो कि हम अपने अपने गृहस्थ आश्रम में शाकाहार का पालन करेंगे, अपने मन में। किसी से कहने की जरूरत नहीं है। अपने मन में दृढ़ संकल्प की, हम शाकाहार का व्रत लेते हैं। शाकाहार में क्या है, बीस लोटा दूध पीओ, एक टिन घी खा जाओ, पांच सौ सेब खाओ, अंगूर खाओ, सूखा मेवा खाओ और बोरियों की बोरियां अनाज खा जाओ, और आप एक हजार अच्छे से अच्छे कपड़े बनाकर के शरीर पर डाल लो यह है शाकाहार ।
शाकाहर कर्म में क्या क्या है...
फिर शाकाहार में क्या है? मां पहचानों, बेटी पहचानो, बहन पहचानो, भाई पहचानो, पिता पहचानो, चाचा पहचानो, महात्मा पहचानो, बुजुर्ग पहचानो और फिर उसके बाद अपने से बडा पहचानो। शाकाहार में क्या है? बड़े छोटों से प्रेम करें, छोटे बड़ों का आदर करें यानी सेवा करें।
शाकाहार भोजन और शाकाहार कर्म...
वह शाकाहार भोजन है, यह शाकाहार कर्म है। पानी पिला दिया, दवा दे दी, कपड़ा उठा दिए, किसी को बैठा दिया। ये शाकाहार शारिरिक कर्म। इसको मन में दृढ़ संकल्प लेकर और भूल चूक से कोई गल्ती हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी हमारी। कोई भूल चूक से कोई बुरा काम बन जाए तो तुम्हारी माफी। उसकी माफी हम करा देंगे। भूल चूक में अगर कोई गल्ती हो जाएगी संकल्प लेने के बाद । कोई काम करते हो, परिस्थिति में फंस जाते हो, भूल हो जाती है, तो हम प्रार्थना करके माफी करा देंगे कि भूल चूक में यह जानते नही थे, इनको क्षमा कर दीजिए। तो विश्वास ऐसा है कि उस कर्म को क्षमा कर दिया जाएगा।
शाकाहार आहार के व्रत से इतने लाभ हैं...
अगर इतना ही व्रत आप ले लें कि हम केवल शाकाहार आहार करेंगे तो अगले साल आप देखियेगा। 6 महीने में आप देख लीजिये। व्रत ले लीजिए कि हम शाकाहार व्रत करेंगे। दूध है, अनाज है, फल, सूखे मेवे हैं, घी है यह सब चीजें हैं इसका हम सेवन करेंगे, एक साथ व्रत लीजिए। ये शाकाहार फलाहार है, ये शरीर पोषक पुष्टदायक, मन चंगा रखता है, शरीर पुष्ट होता है, शरीर निरोगी होता है, विकार रहित होता है। लेकिन इसके अतिरिक्त मैं और कुछ नहीं कहना चाहता। इससे भजन भी बनेगा। ध्यान भी बनेगा। मन बस में रहेगा।
फिर यह है कि जब भजन पर, ध्यान पर, सुमिरन पर बैठोगे तो मन जो है वह स्थिर हो जाएगा, रुक जाएगा। फिर संकल्प भी करेगा, फिर भागेगा नहीं। इन्द्रियां चलायमान नहीं आएगा, फिर लोभ नहीं करेगा, फिर भागेगा नहीं । इन्द्रियां चलायमान नहीं होंगी, फिर काम नहीं जगेगा, क्रोध नहीं जगेगा और अहंकार नहीं आएगा, फिर लोभ नहीं जागेगा, फिर मोह नहीं जागेगा । कितना बड़ा लाभ हुआ?
सारे माता पिता चिल्ला रहे हैं...
जब महात्माओं ने योग प्राप्त किया दिव्य नेत्र ज्ञानचक्षु जब खुल गया और उन्होंने सारे ब्रह्माण्ड को जब देखा और सारी जीवात्माओं को जब देखा तो उन्होंने यह खोज की, ऋषियों ने की। यह जब मनुष्य शरीर मिलने का समय चौरासी लक्ष योनियों की आत्माओं का आता है तो अन्त में सर्व प्रथम गऊ और बैल की यानि दी जाती है। बैल और गऊ योनि के मरने के बाद गऊयें स्त्रियां तन पाती हैं और बैल पुरुष तन पाते हैं। इसलिए ऋषियों ने कहा था गऊ और बैल को भोजन चारा देना, काम उससे लेना, लेकिन उसको मारना नहीं। वह आत्मायें जब मनुष्य शरीर में आयेंगी तो बहुत अच्छा काम करेंगी। लेकिन आपने यह बात कभी सोची, समझी नहीं। उनको कत्ल करना शुरु कर दिया और वह प्रेत योनि में चली गई, वहां रोती चिल्लाती हैं। प्रेत यानि का समय जब समाप्त हुआ तो मनुष्य तन में आईं और मनुष्य तन में आकर बच्चे-बच्चियां जब काम नहीं करते हैं, आज्ञा नहीं मानते हैं और सेवा ? तो सारा समाज, सारा देश चिल्ला रहा, सारा परिवार, सारे माता पिता चिल्ला रहे।
लोग आकर रोते हैं...
लोग आकर रोते हैं कि बच्चे नहीं मानते, बच्चियां नही मानती। लेकिन किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हुआ। महात्माओं ने कहा था कि गाय बैल की सेवा करना। ये जब अपनी मौत से मरेंगे तो गायें लड़कियां बनेंगी और बैल लड़के बनेंगे। ये बच्चे बच्चियां समझदार होंगे, ये सेवा करेंगे लेकिन तुमने गायों को मारा, बैलों को काटा उनकी अकाल मृत्यु हुई। वे रूहें प्रेत बनीं, तड़पीं और भटकीं और समय पूरा करने पर जब मनुष्य शरीर में आई तो ये ही लड़कें लड़कियां चिड़चिड़े झगड़ालू और किसी की बात न मानने वाले हुए। अब तुम रोते हो।
- bhavisya ki jhalak
jaigurudev.....
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