देवियों से झगड़ा मत करो...

जय गुरु देव
जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश

देवियों से झगड़ा मत करो...
देखो! मेरी बात को बड़ी ध्यान से सुनें। घर में लक्ष्मी रहती है। लक्ष्मी समझते हो ? देवी। जब दोनों पति और पत्नि प्रेम से रहेंगे तो लक्ष्मी की वर्षा होगी और दोनो लोग झगड़ा करेंगे तो डायन का निवास होगा। लक्ष्मी चली जायेगी। तो जिस घर में भूतिन प्रवेश हो जाए तो वहां पति और पत्नि में क्या होने वाला है ? 

तो घर में मेल-जोल, मोहब्बत, प्यार से रहो और कोई आदमी अपनी देवियों को मारें नहीं। देवियों के ऊपर हाथ पैर नहीं चलाना चाहिए। यह माया का रूप है, इससे काम ले लो होशियारी और चतुराई से। और यदि तुम काम नहीं ले सके तो समझ लो तुम्हारे लिए आफत खड़ी है। 

ये तो वैसे ही माया, जड़ इन्हें घेरे हुए है, फिर जड़ और चेतन घेर ले तो फिर जीव क्या करेगा ? इसीलिए घर में मेल-जोल से रहो। मुहब्बत प्यार से रहो। तो देवियों से लड़ाई झगड़ा करने से न कुछ मिला, न मिलेगा।

देवियों की हमेशा इज्जत करो...
देवियों की आप इज्जत कीजिए, सम्मान कीजिए, लक्ष्मी समझिये, वीर पैदा कीजिए, धर्मात्मा पैदा कीजिए, त्यागी पैदा कीजिए, सत्यवादी पैदा कीजिए। ये शिक्षायें देना शुरु कर दीजिए, काम बन जाएगा। ये शिक्षायें छूट जायेंगी तो बर्बाद हो जायेंगे आप। सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। ऐसा काम मत करें। बाबाजी सब सीधी साधी आपको शिक्षा दे रहे हैं।

मासिक धर्म के समय परहेज करें...
घर में जब देवियां महीना रहती हैं तो हम लोग छूते नही हैं। क्योंकि घोर बीमारी लग सकती है। उनसे कहा जाता है एकान्त में बैठो और चार दिन तक जब निकल जाते हैं तब ही आने देते हैं। उसके पहले खाने पीने की वस्तुयें छूने नहीं देते हैं। इतना परहेज तो आपको करना ही पड़ेगा। जब से आपने यह परहेज बन्द कर दिया तब से फसाद आपके ऊपर हावी हो गये। यह परहेज आप करोगे फिर आप देखो। 

मुर्गियों के अण्डे जो सेवन करेंगे तो वह बचेंगे नहीं, अवश्य बीमार पड़ जायेंगे। जानवरों में भी कैंसर होता है, उनमें भी तकलीफ होती है, उनमें भी बुखार होता है, उनमें भी कोढ़ होता है और उन्ही को आप सेवन करो तो आप कैसे बच सकते हैं ? 

मैं कोई अनर्गल बात नही करता जो सिद्ध है, सत्य है, जिनमे कोई मिलावट नहीं है वही बात आपको बता रहा हूं। पशु मिल जाये, पक्षी मिल जाये, जो मिल जाय उसी का मांस खाने लगे। मनुष्य जैसी देह पाकर यही मनुष्य हैवानों से भी नीचे चला गया तो फिर क्या किया जायेगा ? 

दवाओं की जो फैक्ट्रियां हैं वे सभी जवाब दे जायेंगी। दवा काम नहीं करती। दवा काम करें मगर ला इलाज मर्ज हो गया क्योंकि इस दवा का उस पर कोई असर नहीं। ये मातायें अपनी छोटी छोटी बच्चियों को छोटेपन में ही ट्रेनिंग देकर मनुष्य बना देती थीं।

नाजायज धन कोढ़ के समान ...
तुमने जो धन इकट्ठा किया वह कोढ़ है। मेहनत और ईमानदारी से इकट्ठा नही किया। ये कोढ़ फूलेगा फलेगा नहीं, तुम्हारे पास का भी खींचकर ले जायेगा। तुम सोचते हो कि हम इसका उपयोग करेंगे तो तुम भोग नहीं सकोगे। हवाई जहाज में बैठे रहोगे, मोटर में बैठे रहोगे अचानक वह दबोच लेगा, तुम्हें बोलने का मौका नही देगा। तुम ये भी नही बता सकोगे कि तुमने कहां कहां इकट्ठा करके रखा है। जब सिर पर चोट पड़ती है तब अकल आती है। कुदरत बौखलाई हुई है। वह ऐसा ठोकर मारेगी कि सबके होश ठिकाने लग जायेंगे।

भजन करोगे तो बरक्कत मिलेगी...
मोटा मिले तो मोटा खाओ, मोटा मिले मोटा पहनो। मेहनत करना अपना फर्ज है, अपना कर्तव्य है, मेहनत करो। उससे उपार्जन करो आप जो कुछ भी कर सकते हो, थोड़ा भगवान का भजन, तो बरक्कत हो जायेगी। जब बरक्कत हो जायेगी तो मजदूरी में पूरा पड़ेगा, खेती में पूरा पड़़ जायेगा, दुकान में पूरा पड़ जायेगा, नौकरी करते होंगे तो उससे पूरा हो जायेगा।

लेकिन भगवान का भजन नहीं करोगे तो बरक्कत आपकी चली जायेगी। कभी पूरा पड़ने वाला नहीं, दूसरे का जबरदस्ती ले लोगे तो बरक्कत नही मिलेगी। परेशानी तो इस बात की है पूरा ही नहीं पड़ता है। जिसके पास नही वही रो रहा है तो रास्ता छूट गया बरक्कत का और बरक्कत घर से ही निकल गई। यह तो बड़ी सौगात थी, नियामत थी बरक्कत घर में बसी रहती, निवास रहता। सब चीजें भरपूर रहती थी। गृहस्थ आश्रम, समाज अच्छी तरह से चलता रहता था, मान-मर्यादा रहती थी। अब वह चली गई, अब क्या मान-मर्यादा है।

खुल्लम खुल्ला दूसरे लोग आकर उसका जबरदस्ती से जोर से जुल्म से ले लें तों यह क्या बरक्कत है ? यह कोई मान मर्यादा नही है तो अब ये हालत हो गई, इसीलिए आप लोग होशियारी से चलो। 

भजन एक छुरी है, यह तीर है, इससे सब काट लो। सब विकार झर जायेंगे। इस रास्ते आपने तमाम तरह के विकार लगा रखे हैं, चिपका रखे हैं, वह धीरे से साफ कर देगा। साफ हो जाओगे तो फिर बरक्कत मिलने लगेगी, वही जीवन आपका सुखमय, शान्तिमय हो जायेगा। यहां सब प्रकार के लोग आये और सब प्रकार के आते हैं। यह नहीं कि मतलब यह कि हर तरह के आदमी नहीं, लेकिन सब लोगों ने सब तरह से अनुभव किया।
जैसे दुनिया में मेहनत करते हो वैसे ही भजन में करते तो काम ही बन जाये...

पहले दो ही जातियां थीं। एक सवर्ण और दूसरी अवर्ण। सवर्ण ज्ञानी और अवर्ण अज्ञानी। 
सवर्ण अवर्ण को ज्ञान की शिक्षायें देते थे। सवर्ण सबको शिक्षा देते थे।

न्याय शान्ति में सब मदद करते थे एक दूसरे का। बड़े छोटे से प्यार करते थे, सब जीवों पर दया करना, सबको आराम देना। अब सबने अपना अपना काम छोड़ दिया, अब एक दूसरे के खून के प्यासे हो गये। इससे आपको क्या मिलेगा, दिन क्या कोई अच्छे आने वाले हैं ? भजन करने से अच्छे दिन आयेंगे। 

मैं सन 56 से राजस्थान मे आ रहा हूं। हमने तो आपको धोखा नही दिया। लेकिन आपने नहीं समझा। हम हमेशा आपको होशियार करते हैं। लेकिन आप न समझो तो मेरा क्या दोष।

काम से आपने जाति बना ली...
जो लकड़ी का काम करते थे बढ़ई हो गये, जो कपड़ा सिलने का काम करते थे वह दर्जी हो गये और झाड़ू लगाने का करते थे भंगी हो गये। पहले तो कोई जाति थी नहीं, कर्म से जाति बना ली। एक पत्नि जब बीमार पड़ती है तो पति को देखना, करना पड़ता है तो पति भंगी नहीं हो गया। छुआछूत तो बुरे कर्मों से करनी थी। सवर्ण और अवर्ण में जो ज्ञानी वह सवर्ण, जो अज्ञानी वह अवर्ण। मनुष्य बुद्धि आ जावेगी तो देवता बन जाओगे।  

जैसे दुनिया में मेहतन मशक्कत करते हो वैसे भगवान भजन में कर दो तो काम ही बन जाये।

देश की आबादी दो अरब की है...
यह दो अरब की आबादी भारत की हो गई, चौरासी चौरासी करोड़ खतम करो। दो अरब की आबादी भारत की हो गई। काश्तकार तुम! अपने घर में दो बच्चों को रखता है, दो मेहमान और जोड़ ले, साल का इंतजाम, पढ़ाई का, बच्चों का, दवा-दारू का, कपड़े का, खाने पीने का सब रख ले अपने पास में कि अब हम को कोई चिन्ता नही है। और दस दिन के बाद चालीस मेहमान तेरे घर पर आ जायं क्या तू उनको कह देगा कि चले जाओ। दो महीना ठहर जायं घर पर तो साल भर का जितना भी रखा सब खतम। 

बजट चौरासी करोड़ का बनाने से पूरा नहीं पड़ेगा...
दो अरब की आबादी हो गयी भारत की। वो जो दिल्ली में बजट बनाकर रख लिया है साल भर का है, छह महीना का है, वो चौरासी करोड़ का बजट बनाया है, लेकिन दो अरब की आबादी है बच्चा। सब खत्म, सब खत्म हो गया। फिर टैक्स लगाओ, फिर महंगाई बढ़ाओ। फिर महंगाई बढ़ाओ, फिर टैक्स लगाओ। अरे भाई! दो अरब का बजट बनाओ, दो अरब का। तो दो अरब का बजट कब बनेगा, जब ये जनगणना होगी तब। और जनगणना जो आपकी सब झूठी, सब फर्जी।
सब बेकार, व्यर्थ यानी जो पैसा लगेगा, काश्तकार को देना। ये जितनी महंगाई, जितने टैक्स लगते हैं, सब हमारे काश्तकारो को देना पड़ता है। और हमारे काश्तकारों की आबादी है एक अरब, साठ करोड़। जब इतनी बड़ी आबादी की जनसंख्या, तो बाजार में सामान खरीदने जाओ तो काश्तकारों तुमको सब देना है, दूसरा कोई नहीं देता।
सब महंगाई की मार काश्तकार पर ही पड़ती है...

दो अरब की जनगणना जब हो जायेगी तब बजट बनेगा तो साल भर का होगा। दो महीने, छः महीने में खत्म होने वाला नहीं, सब पूरा पड़ेगा साल भर। आमदनी होगी, उस आमदनी पर तब बजट। अभी तो कोई आमदनी होने वाली नहीं। तो बच्चा! ये तुमको देना पड़ेगा। 

ये तुम सोचो कि आगे कितनी तकलीफ आने वाली है। वह आप अच्छी तरह से समझ लो और एक पैसा जनगणना में खर्च नही होगा। एक भी नया पैसा खर्च नही होगा। जब हमारे चुने हुए ग्राम प्रधान उनको, डी.एम. आदेश दे दे 370 जिलों में कि हर ग्राम प्रधान अपने गांव की जनगणना, जितने बच्चे बच्चियां, जितने जवान देवियां और पुरुष हैं, इन सबकी कर लो वोटर लिस्ट अपने गांव की बना लो। एक नया भी पैसा हिन्दुस्तान की जनगणना पर खर्च नही होगा। और गांव में लिस्ट टंग जायेगी कि इतनी गांव की आबादी है, कितने मर गये, कितने जिन्दा हैं, आप घटाते चले जाओ। लिस्ट टंगी है बराबर देखते जाओ। इतने चले गये, इतने आ गये। लेकिन जब तक यह नहीं करोगे बच्चा! तब तक देश का भला होने वाला नहीं ।

अभी क्या ? सौ का दौ सौ, तीन सौ, चार सौ यानी सौ का चार सौ में बिकेगा। जो सौ रुपये की चीज वह चार सौ मे बिकेगी, चार रुपये की चीज बीस रुपये में, बीस रुपये की चीज सौ रुपये में। अभी आपको पता नही है, अभी आपको कुछ जानते ही नहीं।

jaigurudev
- bhavishya ki jhalak

baba jaigurudevji maharaj


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