भारत अखण्ड राज्य होगा

जयगुरुदेव 

चीन पाकिस्तान को कीटाणु बम दे चुका है
बाबा जयगुरुदेव ने कहा कि चीन ने कीटाणु बम बना लिया है और वह पाकिस्तान को दे चुका है। अबकी बार जो लड़ाई होगी उसमें भी काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। पश्चिम में लड़ाई होगी और उत्तर दक्षिण में भी होगी। चीन से भी बम आयेंगे, पाकिस्तान अमेरिका से भी बड़े बड़े बम आयेंगे। अधिकांश बम भारत में पृथ्वी पर उतार लिये जायेंगे। दो एक जो फूटेंगे वो पहाड़ों पर या समुद्र में और उनसे वही लोग ज्यादा मरेंगे जो लोग मांस, मछली, शराब खाते पीते होंगे।

भारतवर्ष पर जब कीटाणु बम फेंके जायेंगे तो नुकसान तो कुछ न कुछ होगा ही। फिर भी कुदरत की तरफ से ऐसी उल्टी हवा चलेगी कि सभी कीड़े उड़कर लौट जायेंगे और वहां के लोगों का सफाया हो जायेगा। 
बाबा ने आगे बताया कि भारत में अन्न की भारी कमी होगी। भूकम्प आयेंगे पूर्वी पाकिस्तान की तरह नुकसान होगा। मुसलमानों की संख्या काफी घट जायेगी। गर्मी इतनी बड़ेगी की संसार में त्राहि त्राहि मच जायेगी। समुद्रों में भारी तूफान आयेंगे। 
जून 1972 

भारत के ऊपर विदेशी शासन नही हो सकता
भारत अखण्ड राज्य होगा
बाबा जयगुरुदेव ने कहा कि भारत पर किसी विदेशी का शासन नही रहेगा। भारत अखण्ड राज्य होगा। ऐसा सम्भव हो सकता है कि दूसरे देश वाले यहां भारत में गोले बरसा दें जिसमें नई नई बीमारियां फैल जाये और करोड़ों लोग मर जाये। ऐसा भी हो सकता है कि सभी लोग आपस में लड़ जाये और काफी जनसंख्या समाप्त हो जाये या भूचाल आयें और इमारते 40 50 फीट ऊपर आसमान में उछल जायें और लोग दबकर मर जाये। यह सभी कुछ संभव है परन्तु अब भारत के ऊपर किसी दूसरे देश का शासन नहीं हो सकता।

भारत राम और कृष्ण की भूमि है। इस तपोभूमि में रहकर जो लोग आतंक पैदा करेंगे, अन्याय करेंगे, जनता के पैसों को अनैतिक रूपां से जमा कर सुख और आराम की कल्पना करेंगे, मांस, मछली, अण्डा, शराब का सेवन करेंगे उनके लिए आगे ऐसा समय आ रहा है कि आदमी को आदमी उठाने वाला नहीं मिलेगा।

बाबा जी का कहना है कि आगे जो तकलीफें आ रही हैं उन्हें कोई मेट नही सकता। यदि पृथ्वी के कण कण मे सोना बरसा दिया जाये तब भी लोगों को सुख नही मिलेगा। यह तकलीफ व्यक्तिगत रूप से होगी और कर्मानुसार होगी।
सितम्बर 1971

हरिद्वार से धर्म का प्रकाश फैला
गंगा की पावन धाराओ से घिरे हरिद्वार के चमगादढ़ टापू के मैदान में बाबा जयगुरुदेव जी ने महामानव कुम्भ नौ दिनों का 24 नवम्बर से 1 दिसम्बर 1973 तक लगाया। टापू के मैदान व जंगलों में दस लाख नर नारियों व बच्चों ने स्वर्ग से भी बढ़कर आनन्द मनाया। नगर वासियों, पन्डों व साधुओं ने कहा कि बाबा जयगुरुदेव ने बिना पर्व के महाकुम्भ लगा दिया। 

हरिद्वार के इतिहास में इतना बड़ा जन समूह एक व्यक्ति के आवाज पर कभी नही आया था। भारत के हर प्रान्त के प्रेमियों ने इस महामानव यज्ञ में भाग लिया। इसके अतिरिक्त नेपाल, के प्रेमियों ने इस महामानव यज्ञ मे भाग लिया। इसके अतिरिक्त नेपाल , इटली , अमेरिका, ब्रिटेन व जर्मनी के पर्यटकों ने आकर इस सम्मेलन को देखा, सराहना की और चित्र भी लिए। 25 नवम्बर 73 को गंगा के तट हरि की पौड़ी पर बाबा जी ने विधिवत पूजन किया।

घाट के पन्डों ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करवाया। इसके बाद पांच घड़े जिन पर जयगुरुदेव लिखा था और ऊपर दीप जल रहे थे उनको गंगा की धारा मे प्रवाहित किया गया। बाबाजी ने कहा कि घड़े से स्पर्श करते हुई एक एक बूंद जहां तक जाएगी वह काम करेगी। इस रहस्य को कोई जान नही सकता है। यह धारा जहां तक जाएगी धर्म का प्रकाश वहां तक फैलेगा।

बाबाजी ने अपना परिचय देते हुए कहा कि इस किराये के मकान का नाम जो माता पिता ने रक्खा है वह है तुलसीदास। एक छोटा मोटा आश्रम मथुरा में है। मैं चारों तरफ घूम घूम कर धर्म का प्रचार करता हूं। विशेष नाम जयगुरुदेव का प्रचार करता हूं। जयगुरुदेव नाम परमात्मा का है। 

परमात्मा के विधान का प्रचार उन महान आत्माओ के द्वारा हुआ है जिन्होंने अपना ज्ञान नेत्र, दिव्य नेत्र, तीसरा नेत्र खोला और परमात्मा को पाया। यह विधान सनातन है। जब जब हम भूले तब तब कोर्ह न कोई आ कर हमें जगाया। उन तत्वदर्षी महान आत्माओं के द्वारा जगत का निर्माण होता रहा और होता रहेगा। 

घर बार छोड़ने की जरूरत नही है। छोटे बड़े ऊंच नीच जन जन का अधिकार परमात्मा को प्राप्त करने का है। इस जीवात्मा को चाहे जिस तरह से हो उस प्रभु के पास पहुचा देना चाहिए। बाबाजी तो सेवक हैं आप काम ले लीजिए।
इतनी भारी उपस्थिति देखकर ऐसा लगता है कि परिवर्तन अवश्य होगा। 

यहां हम नवीन प्रतिज्ञा करेंगे और उसके लिए हम तत्पर रहेंगे। उपदेश, चरित्र, न्याय, प्यार, लड़ाई, झगड़े होंगे खुरेजी होगी। महात्माओं की मदद लेनी पड़ेगी। गंगा तट पर बैठकर आपको क्या करना है? आप को प्रतिज्ञा करनी होगी। अब वो हो रहा है जो आप को सन 70 71 व 72 मे पर्चो में लिखकर दिया है। सुखों का कार्य शुरु हो जाएगा।

दुखों का भी कार्य शुरु होगा। पापों का घड़ा फूटने वाला है। लाचार होकर बाबा जी की बात तुमको माननी पड़ेगी। कृपा और मेहरवानी उसकी होगी और पैगाम बाबाजी का होगा। विश्व में कोहराम मच जाएगा, तूफान आएगा, खुरेजी होगी और हाय हाय करके चिल्लाने लगेंगे। बाबाजी तभी शांत हो सकते हैं जब सबको न्याय मिले, भोजन कपड़ा मकान मिलने लगे। 

हमको राज्य नही करना है। अभी मैं रसायन को घोंट रहा हूं जो पहली दिसम्बर तक पक कर तैयार हो जाएगी। उस रसायन से तुमको बहुत लाभ बीमारी परेशानी, भूत बाधा मुकदमा आदि में होगा। खेतों में भी तुमको फायदा होगा। एक रोशनी विश्व में फैलने जा रही है। हरिद्वार की यादगार में न जाने कितनी पुस्तकें लोग तैयार करेंगे।

इस चिमगादढ़ टापू में ठंढी के हाथ पैर बांधकर गंगा जी के पुल के उस पार शहर की तरफ भेज दिया गया है। हमारे लाखों प्रेमी पेड़ों के नीचे और मैदान मे पड़े हुए हैं किन्तु उन्हें ठंढी नहीं लगती है। गंगा के उस पार लोग अब भी सी सी कर रहे हैं। 

तुम यह जो कहते हो कि बाबा जी ने रुपया देकर इन लोगों को बुलाया है तो सो सो रुपया देने पर कोई भी बाल बच्चों सहित इस जंगल में नही आएगा। एक आवाज पर लाखों लोग यहां घर बार छोड़कर इतने दिनों से पड़े हुए हैं जो ओस में लेटने को मिल गया। आप को क्या पता कि आत्माओ का विकास हो रहा है। इन्हें नाम का सहारा मिल गया है।

बीस करोड़ लोगों का जन जागरण सन् 1972 के अन्त तक हो गया मगर इसका कोई भी दफ्तर या रजिस्टर नहीं है। बाबा जी को झूठ बोलने से क्या मिलेगा। 15 फरवरी 1973 से लेकर 9 सितम्बर तक 5 करोड़ 23 लाख आदमियों को सन्देश सुना चुका हूं। सन 70 71 और 72 में क्या काम किया होगा यह जानने का समय गया। ऐसा घेर घार कर इनको ले आया हूं कि निकलकर कोई नही जा सकता है। एक समय वो था जब ये किसी के वष में नही थे और अब तो फंस गये हैं। 

अब मचलों मत और अपने घर की तरफ चल पड़ो। उस घर में आनंद ही आनंद है। वहां न मरना है न जीना है, न नौकरी है, न बीमारी है, न गन्दगी है, न अन्धेरा है, न लड़ाई है न झगड़ा है। वहां ये सब कुछ नही है। खीजने और नाराज होने का काम नही है। तुम्हारे अन्तर में उस परमात्मा के जो चरण कमल हैं उनमें रोशनी है, महान प्रकाश है। जैसे सूरज निकलने पर तारा मण्डल छिप जाते हैं उसी प्रकार चरण कमल के दर्शन से सारे विकार समाप्त हो जाते हैं।

जब हम धर्म का प्रचार कर रहे थे तो राजनीतिक लोगों ने कहा कि हम राम को नहीं मानते, देवी देवता को नही मानते। मैंने कहा कि इन सबको हम नही मानते तो क्या हम शराब को मानते हैं? जब लोगों को कष्ट मिलने लगा तो भागने लगे और सामने आ गए। अब तो समूह तैयार हो गया है। इसके बांध को कोन रोक सकता है। काशी में एक लाख गैलन शराब की निकासी प्रतिदिन शहर की है। काशी विद्या का भण्डार माना जाता था और वहां बराबर पंडित, महात्मा रहा करते हैं। इतने महात्मा होते हुए भी वहां की शराब को न छु़ड़ा सके। 
मैंने सोचा कि हरिद्वार मे ये सब न होता हो, बड़े बड़े कन्दराओां में, गुफाओं में, मकानों में, गुफाओं में महात्मा छुपे हुए हैं। ये गेरुआ वस्त्र तो महात्माओं का कफन है। जो संसार से मर चुके होते हैं वही इस वस्त्र को धारण करते हैं। ये वो कफनी है जिसे पहनकर महात्मा उपदेश किया करते थे। और कहते थे कि आओ जीवात्माओं तुम्हें जन्म मरण के चक्कर से बचा लें।

अगर आप सोचते हैं कि सब नास्तिक हो गये तो ऐसी बात नही है। साधू महात्माओं मे लोगों की आस्था अब भी है। आप भी ऋषि मुनियों के शब्दों को भूल गये। हरिद्वार चिमगादढ़ टापू में कुम्भ लगा दिया गया। इस समय कोई पर्व नही है। बिना पर्व के कुम्भ लग गया है। साधुओं महात्माओं आप अपनी कन्दराओं को छोड़कर बाहर निकल आइये। बिना कुम्भ के लाखों लोगों ने स्नान कर लिया। 

आज 26 जनवरी को यह जन समूह बालुका के कण को अपने मुंह में डालकर यह प्रतिज्ञा करता है कि हम तब तक कुम्भ में स्नान करने नहीं आयेंगे जब तक देष में गायों का कटना बन्द नही हो जायेगा। राष्ट्रभाषा हिन्दी और संस्कृत नही हो जायेगी। सभी नर नारी बच्चे बालुका के कण को मुंह में डालकर और हाथ उठाकर प्रतिज्ञा करते हैं।

जयगुरुदेव 

mere malik jaigurudev



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