अब त्यागियों की जरूरत है...
अब यह किया कैसे जा सकेगा इसको तो सोचना चाहिए। अब तो देश को सच्चे लोगों की जरूरत है, विवेकशील लोगों की जरूरत है, अब त्यागियों की जरूरत है, वास्तव में देशभक्तों की अब जरूरत है और जनता सेवियों की अब जरूरत है।
अगर ऐसे लोग आ जाएं तो सबको न्याय और सुरक्षा मिल जाए। तकलीफ किसी को नहीं अंग्रेजों के वक्त में यह देखा जा रहा था और देखा गया उनके यहां कहीं चोरी और डकैती हो गई तो फौरन जिले के सब अधिकारी वहां पहुंच गये, चौरी और डकैती नहीं होती थी।
हम लोगों ने तो खुद देखा और पूरा उसका अनुभव किया। लेकिन अब क्या पूछना कुछ नहीं, कोई दिशा, मतलब है समझ और बूझ का रास्ता किसी भी तरह का नहीं, सब बर्बाद हो गया। इसलिए कहा था क्षत्रियों अपनी खानदानियत को अपना लो। लोग क्षत्रियों का नाम लेना बंद कर देंगे। यह कहेंगे कि सब शूद्र हो गये। इसी तरह से ब्राह्मणों को भी ऐसे शब्द से सम्बोधित करेंगे, जो इनसे भी गए गुजरे।
अब प्रजातंत्र में किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं...
तो आप लोग सोच लो अच्छी तरह से कि प्रजातंत्र भारत में अब स्थापित हुआ है। आपने तो कहा था राजतंत्र बहुत ही खराब है। राजतंत्र जुलुम-जोर करता है, वह तो जुलुम जोर कुछ नहीं करता था। न चोरी होती थी, न डकैती होती थी, न कत्ल होता था। लेकिन प्रजातंत्र ऐसा आया कि किसी की जिम्मेदारी नहीं।
बनने को कहते हैं हम मंत्री हैं लेकिन जिम्मेदारी किसी की भी नहीं। कोई जिम्मेदार नहीं। और कोई आपको अपना नहीं बनाता। किसी से कोई गरज नहीं, फिर जब जिम्मेदारी किसी की नही तो न्याय किसको मिले और रक्षा किसकी हो ? तो प्रजातंत्र इस समय 42 साल में उसको लीप पोत के सर्वनाश कर दिया और राजतंत्र को गड्ढे में डाल दिया।
तो तुमने कभी रामायण नहीं पढ़ी कि-
बहुमत तियमत बालमत, बिन नरेश को राज, सुख सम्पदा की कौन कहे, प्राण बचावन बड़ भाग।।
अरे, सम्पदा नष्ट हो जाए, खेती चली जाए दुकान चली जाए, कारखाना चला जाए, सोना चांदी सब चला जाए लेकिन अगर प्राणों की रक्षा आपकी हो जाए तो इस बहुमत में आप अपना भाग समझिए, ये बहुमत है।
व्यवस्था बदलने पर सुख शान्ति मिलेगी...
आप लोग अपनी अपनी जगह पर आओ और जो अपनी प्राचीन जो ऋषियों मुनियों ने बड़ी बड़ी मेहनत की और एक व्यवस्था का निर्माण सुख शान्ति के लिए और आत्म कलयाण के लिए किया था उसी के अंतर्गत चलो, सब भौतिक सामग्रियां सोना, चांदी जवाहरात, कपड़ा खाना अनाज फल और फूल सब आपको प्रदान हो जाएगा।
आप और आपके बाल बच्चों के लिए। और आप नहीं सोचो वह तो आगे आने वाला है। तकलीफ तो आगे आने वाली है। फिर यह तो नहीं कहोगे कि बाबा जी आपने यह क्यों नहीं बताया ? इसलिए मैं तो आपको थोड़ा सा कुछ बताता हूं। तो दशा देश में देशव्यापी हो गई है आपको भी कहने से अहसास होने लगा इस समय बड़ा उलझा हुआ और खतरनाक है।
काऊंटर कर दिए जाते हैं उनको मत करो....
इसलिए परिवर्तन होगा। भारी परिवर्तन होगा। इसको आप अच्छी तरह समझो। मैं अपने अधिकारियों से निवेदन करूंगा कि आप किसी इंसान को मत मारो। जो चोरों के नाम, डकैती के नाम काऊंटर कर दिए जाते हैं, उनको मत मारो। क्योंकि यह अनेकों जनमों की तपस्या और सेवा दान पुण्य के बाद में कभी सौभाग्य से यह मनुष्य शरीर मिल गया और यह अगर बेकार चला गया ? उस आत्म कल्याण के लिए मिला।
और कहीं बेकार चला गया और कहीं तुमने धोखे में कोई हत्या की, विनाश इन्सानियत का कर दिया तो कितना बड़ा वह जुर्म होगा कि तुम इसका अन्दाज नहीं कर सकते हो। उसके लिए उसने दोजख बनाए उसके लिए उसने पूर्ण नर्क बनाए। फिर उसने फरिश्तों को पैदा किया, जमदूतां को और वह किस तरह से फ़रिश्ते सजा देते उसके हुक्म के बाद।
जब यह सुना देते हैं, करोड़ो वर्षों तक इतनी सख्त सजा दी जाती है कि लाखों करोड़ मील तक आवाज जाती है उसके रोने की, फिर मैदान में कोई नहीं दिखाई देता है बचाने वाला। क्या करेगी बादशाहत ? क्या करेंगे सिपाही, क्या करेंगे गोले, क्या करेगा सोना चांदी ? जब उस मैदान में कोई भी दिखाई नहीं देता। बड़े बड़े बादशाह पीटे जा रहे हैं और अभी कितने करोड़ों वर्षों तक पीटे जायेंगे इससे क्या फायदा ?
रास्ता बदल दो...
तो इसलिए इस काम को बन्द करो। रास्ता बदल दो, दृष्टि बदल दो, नियम बदल दो, क्या जरूरत है लकीर के फकीर बने रहो ? इससे काम नहीं होगा। जो रास्ता तुमने पहले से बना लिया उसमें नहीं काम होगा। नया रास्ता बना लो उसी पर तुम चल पड़ो। औरों को भी चला दो, सब बदल जायेंगे, बुरे काम बदल जायेंगे, बुरी आंखें और बुरे काम बदल जायेंगे, अच्छे हो जायेंगे। मेहनत तो आप लोगों को थोड़ी बहुत करनी पड़ेगी क्योंकि आपको भी मेहनत करनी पड़ेगी और मुझे भी। और ये बेचारे भी थोड़ी बहुत मेहनत कर दे तो रहमत तो उसकी होगी। दया तो उसकी होगी।
आगे समय बहुत खराब है...
आगे तुमको बड़ी तकलीफ होगी, आगे समय बड़ा खराब है। वह एक मिनट में मुजरा कर लेगा फिर पीछे कहोगे कि यह क्या हो गया। बाबा जी कुछ दया करो तो क्या होगा ? फिर क्या करेंगे। अच्छा, ऐन वक्त पर क्या करेंगे ? अरे! उधर से आंधी आ रही है आपसे कहा जाए आप अपनी झोंपड़ी ओपड़ी सामान को ठीक कर लो उधर से आंधी आ रही है, तो आप कह रहे कि आने दीजिए।
तो वह झोपड़ी भी ले जाएगी। साज सामान अनाज सब उड़ा ले जाएगी, आप रोओगे। पीछे जब घटना होती है तब कुछ नहीं आप कर सकते हो। जब पहले से सावधान किया जाए तो सावधान हो जाओ। तो मतलब तब बच सकते हो।
पहले से सावधान होना चाहिए...
तो महात्मा आने वाले समय को बताते हैं, सावधान करते हैं। तुम तो समझते नहीं कुछ भी । इस मंच पर बैठकर जो बोलेंगे वह कुछ भी एक बात झूठ होने वाली नहीं, तुम देखते रहो, अनुभव करते रहो।
आपकी आवाज फैल रही है....
एक आदमी चिल्लाता हो उसके साथ एक करोड़, फिर दस करोड़ आदमी चिल्लाते हों तो कोई बात जरूर है। अगर आप नहीं मानोगे तो एक लप्पड़ मारते ही आप साफ हो जाओगे। मैं ऐसा समझता हूं कि पंजाब और हरियाणा में समय दे दूं तो इसकी बौछार बंगाल तक पहुंच जाएगी। इस जमीन में ऐसे कुछ गुण हैं जिसे महात्मा ही समझतेहैं। वैसे आप अपरिचित नहीं हो फिर भी समय दे दूं तो परिचय हो जाएगा।
परिवर्तन की जो अगवानी करता है, उसका नाम होता है...
ये बात मैं आपके कान में डालकर जाता हूं और आप लोग सबके सब तैयारी करो। परिवर्तन की जो अगवानी करता है, स्वागत करता है, उनमें योगदान देता है, उनमें सेवा करता है, उसमें कष्ट सहन करता है, उसका नाम होता है, उसकी कीर्ति होती है, उसको मोक्ष मिलता है, उसका आवागमन छूट जाता है। लोग संसार में उसके गुणगान गाते हैं। लेकिन आप डर जाओगे तो कैसे काम चलेगा ?
कलयुग कर्जा मांगेगा...
इसलिए हमारे नर नारियों, बच्चे बच्चियों, हिन्दू मुसलमानों! सच्ची बात तो यही है कि एक परिवर्तन होना है, और वह परिवर्तन का संकेत क्या है कि कलयुग में कलयुग जाएगा और कलयुग में सतयुग आएगा। अभी तो कलियुग नही गया जब जाने लगेगा तो उसका जो भी आपके ऊपर कर्जा होगा, वह चुपचाप नहीं जाएगा, कर्जा आपसे मांगेगा।
वह कर्जा आपके ऊपर क्या होगा ? कि आपने कितना झूठ बोला, कितना धोखा दिया, बेईमानी की, कितने जानवर मारे, कितने पंछी मारे, कितने आदमी आपने मारे और कितनी आपने चौरियां डकैतियां की। यह सब कर्म कर्जा होते हैं। आपने अपने ऊपर में जमा कर के लाद लिया। अब इतना बोझा, पहाड़ की तरह से बन कर लद गया है कि बस उसके लिए बयान और वर्णन नहीं किया जा सकता।
बीसों करोड़ का वारा न्यारा हो जाएगा...
जब वह जाने लगेगा तो वह कहेगा कि भाई! हमको हमारा कर्जा दे दो, हम तो अब जा रहे हैं। आप कहोगे कि मैं तो नहीं दे पाऊंगा तो वह क्रोधित हो जाएगा गुस्से में और जोर से लप्पड़ मारेगा। इतनी जोर से मारेगा कि बीसों करोड़ आदमी इस मिट्टी में देखते देखते लापता हो जायेंगे, फिर भागेगा। इधर भागेगा जोर से, उधर सतयुग आता होगा तो दोनों की टक्कर हो जाएगी। बीच में जो दब जायेंगे चक्की के पाट में वे चकनाचूर हो जायेंगे।
सभी धर्म पुस्तकों में एक ही बात लिखी है...
मोहम्मद क्यों आये यह मुसलमानों को सोचना है। राम क्यों आये यह हिन्दुओं को सोचना है। ईसा क्यों आये यह ईसाईयों को सोचना है। तीनों मजहबों की किताबों में पुस्तकों में क्या लिखा हुआ है ? हर धर्म के लोग, हर जाति के लोग अपने अपने मानव इन्सानी कामों से दूर हो जाते हैं, मानव धर्म से दूर चले जाते हैं या जानवर या पशुओं जैसा मनुष्यों , इन्सानों का काम होने लगता है तो क्या होता है ? उसको बड़े ध्यान से सुनें।
एक फकीर खुदा का पैगाम लेकर जमीन पर उतरेगा...
धर्म की स्थापना हकीकत को बताने के लिए कोई ना कोई आपके सामने हर समय आया। मुसलमानों की किताबों में लिखा है कि जब मुसलमान भाई मजहब, ईमान अपनी हकीकत से जब दूर हो जायेंगे तो चौदहवीं सदी के अंत में एक फकीर खुदा का पैगाम लेकर जमीन पर उतरेगा और सारी इंसान जाति को इन्सानियत का, हकीकत का पैगाम सुनायेगा।
कुरान में क्या लिखा हुआ है, यह वह फकीर सबको पैगाम खुदा का सुनायेगा। उन किताबों में लिखा हुआ है हजारों वर्ष पहले और ऐसा मालूम होता है कि फकीर हजारों वर्ष पहले की चीज को देखते है। जैसे अभी दिखाई देती हो। उन्होंने लिखा है कि जब वह फकीर खुदा का पैगाम इन्सानों को सुनाने का काम शुरु करेगा उस समय हिन्दुस्तान की गांव गांव की सभी सड़कें काली हो जायेंगी।
हजारों वर्ष पहले जब तारकोल का नाम भी किताबों में नहीं था उस समय फकीर ने लिखा कि गांव गांव की सड़कें काली हो जायेंगी।
क्या कभी आपको इस तरह हकीकत का पता था ? ईसाइयों की किताबो में लिखा है कि मैं उतर आऊंगा जमीन पर, अभी तो मुझको सूली पर चढ़ा दिया है मैं जा रहा हूं बाप के पास और दोबारा फिर आऊंगा। तुम लोग इबादत करते रहना और गरीबों की सेवा करते रहना।
धर्म की स्थापना के लिये अवतार आते हैं...
हिन्दुओं की किताबों में लिखा है कि जब धर्म लोप हो जायेगा, सत्य, प्रेम, न्याय से लोग दूर हो जायेंगे, लोगों के हृदय मे दया नही रहेगी, अपने ऊपर, महात्माओं के ऊपर, किताबों पर कोई विश्वास नहीं रहेगा और भगवान का भी विश्वास खो बैठेंगे, ऐसी अवस्था में भारत की भूमि पर एक महान् आत्मा का जन्म होगा।
कर्म धर्म के दो पलड़े....
कर्म धर्म ये तराजू के दो पलड़े हैं। एक पलड़ें मे तौलाई नही हो सकती। तुम कर्म से गिरे तो धर्म ने ठीक कर दिया, धर्म से गिरे तो कर्म ने ठीक कर दिया। पहले इन दोनों का बराबर जोड़ा चलता था। पति पत्नि का, पिता पुत्र का, राजा प्रजा का, विद्यार्थी अध्यापक का जोड़ा होता है। इस जोड़े को ठीक करें। यही कर्म धर्म आत्मा परमात्मा अच्छे बुरे का तराजू अपने बैलेन्स को पूरा करते थे। परन्तु आज धर्म गया, कर्म गया तो पाप बढ़ गये, विषम भोगों और इन्द्रियों की पूर्ति रह गई।
रामायण गीता आप जानते नहीं किताबों की दुकानों मे अंडे टंगे रहते हैं। अगर तुम दस दिन घास पीसकर पी लो तो देखो कितनी ताकत आती है। लोग कहते हैं कि एक अंडे में एक सेर दूध की ताकत है। परन्तु आप हाथी, बैल बगैरह को देखो ये शाकाहारी हैं इनमें कितनी ताकत है। ये शाकाहारी है। पहले शाकाहार से धर्म का कर्म का और ईश्वर का नाम होता था। मांसाहार ने सारे देश को बर्बाद कर दिया। सारी दुनिया में हाहाकार छा गया, लोग त्राहि त्राहि करने लगे।
देश के उद्योगपतियों को सुविधा देकर अपने उद्योग बढ़ाओ...
ऐ बुद्धिजीवियों, छात्रों! आप इस पर बड़ी गंभीरता से सोचो। अभी समय है, अगर चूक गये तो फिर समय नहीं मिलेगा। फिर ये मत कहना कि मुझे किसी ने आगाह नहीं किया था। तुम विदेशी उद्योगपतियों को सारी सुविधा दे दो और उनसे ये कहो कि तुम अपनी पूंजी लगाकर अपना उद्योग बढ़ाओ। तुमसे कोई पूछताछ नहीं होगी कि तुम कहां से रुपया लाये और तुम इस जन शक्ति का उपयोग कर लो।
फिर ये ही हमारे देश के उद्यागपति इस जनशक्ति को साथ लेकर इतना विकास भी कर देंगे और सारा विदेशी कर्जा मय ब्याज के वापस भी कर देंगे। भारत देश सब देशों से दस बारह ही सालों में सम्पन्न हो जायेगा। विश्व के सारे देश इससे पीछे हो जायेंगे।
तुम्हारा नाम लाखो वर्ष तक होगा
इसलिए हिन्दुस्तान के प्रेमियों! अरे तुम्हारा नाम आज नहीं होगा। राम के वक्त् में केवल दो चार आदमियों का नाम किताबों में आता है। लेकिन तुम्हारा कितनों का नाम, कितने हजारों लाखों वर्षों तक इस पृथ्वी पर चलता रहेगा। यह कलयुग में सतयुग आगवन का ढिढोंरा जो भारत वर्ष में पिट रहा।
आपने न माना तो नई क्रान्ति उत्पन्न होगी...
अगर आपने मेरी बात, प्रार्थना नहीं सुनी तो हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाईयों में एक क्रांति जिसको कहते हैं वैचारिक क्रांति, उसमें आन्दोलन नहीं, हड़ताल नहीं, उसमें तोड़फोड़ नहीं, लेकिन वैचारिक क्रांति में सारी जनता सड़क पर एक जगह खड़ी हो जायेगी और आप अलग हो जाओगे तो क्या होगा ? अगर तुम एक तरफ खड़े हो गये तो क्या कुछ नहीं। यह तो वक्त और समय बतायेगा। इसको कोई रोक नहीं सकता।
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