*"देवताओं और आपके पूर्वजों ने जो परिवार, देश, समाज और धर्म की जो मर्यादा बनाई हैं* *उनका पालन करो...."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 30.जनवरी.2022*

*सतसंग दिनांक: 01.01.2022*
*सतसंग स्थलः आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: Jaigurudevukm*

*"देवताओं और आपके पूर्वजों ने जो परिवार, देश, समाज और धर्म की जो मर्यादा बनाई हैं*
*उनका पालन करो...."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

विश्व विख्यात संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, कलियुग के इस बढ़ते प्रभाव के बीच धरा पर इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद पूरे समरथ सतगुरु, भक्तों की तकलीफों में मदद करने वाले, उज्जैन के त्रिकाल दर्शी पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने सतसंग सन्देश में बतलाया कि,
संयम और नियम का पालन करना चाहिए। देखो! एक मर्यादा बना दी गई है। परिवार का नियम अलग है और समाज और देश की अलग है।
इसी प्रकार धर्म की अलग है। मर्यादा का पालन करना चाहिए। मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। जो अपने पूर्वज जिनको बहुत से लोग देवता मानते हो, उन्होंने जो मर्यादा बना रखा था उनका पालन करो।

*"जननी सम जानहि पर नारी...."*
पहले लोग दूसरे के धन को जहर की तरह से मानते थे। दूसरे की मां बहन को अपनी मां और बहन की तरह समझते थे। 
देखो! यह भावनाएं अभी आगे बहुत लोगों की खराब होंगी। इससे आपको बचना है। लोगों की नीयत बहुत खराब होगी। आए दिन आपको सुनने को मिलेगा कि बलात्कार, अपहरण और गैंगरेप जिसको कहते हैं यह हो गया।
तनिक देर में आदमी का मन मचल जाएगा और परिणाम में उसका आपको सुनने को मिलेगा क्या हुआ? पीट दिया, लोगों ने हाथ पैर तोड़ दिया, जेल चले गए, अपराध किया तो फांसी की सजा हुई।
*इसलिए समझ लो आप। इससे प्रेमियों! आपको बचना है।*

*"शराब और नशीली गोलियों का सेवन करने से आदमी की बुद्धि जानवर जैसी हो जाती है...."*
बुरा कर्म करने वाले जो लोग हैं, उससे आप बचो। यह सब ज्यादा अपराध क्यों होता है?
शराब औऱ नशीली गोलियों की वजह से। नशीली जड़ी बूटियों, नशीला पदार्थ पीने की वजह से ऐसा होता है। जो धुन सवार हो जाता है आदमी को, बस वही धुन सवार रहता है।
काम की वासना जग गई अगर तो फिर वह मां, बहन, बहू को भी नहीं देखता है। वह तो जैसे जानवर नहीं देखते हैं कि मेरी बहन है, मां है कि कौन है? ऐसे ही वह प्रवृत्ति उनमें आ जाती है।

*"गुरु को समर्पित अपने आप को किये रहोगे तो गुरु आपके मन को रोकेंगे...."*
जैसा मैंने बताया की मांसाहारी लोगों की संगत जो करता है, उसके भजन में बाधा आ जाती है। अब यह है कि गुरु को हमेशा याद रखोगे, गुरु को मस्तक में सवार रखोगे तो आप नहीं फंसोगे।
*चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग।* चंदन ठंडा होता है और यह जहरीले सांप में बहुत गर्मी होती है। उसमें लटके रहते हुए भी चंदन अपनी शीतलता को नहीं छोड़ता है।
आप अगर गुरु को सामने रखोगे। गुरु को समर्पित अपने को किए रहोगे, अपने मन को खास रूप से समर्पित करोगे तो *आपके मन को उधर जाने से गुरु रोकेंगे और आप बचे रहोगे।*

*"सुमिरन, ध्यान और भजन करोगे और सेवा भाव रखोगे तब तो बचत हो सकती है..."*
गुरु खुश कब होंगे?
गुरु के आदेश का पालन यानी सुमिरन, ध्यान और भजन जो गुरु बताते हैं वो करते रहोगे तो ये है गुरु के वचन का पालन।
गुरु के वचन को याद रखोगे। तन, मन से सेवा का भाव रखोगे तब तो बचत हो सकती है, वर्ना बहुत मुश्किल है। आगे दिन ब दिन खराब समय आने वाला है।
कलयुग जाने का समय हो रहा है। सतयुग, कलयुग में आने को तैयार खड़ा है। लिंग पुराण के चालीसवें अध्याय में लिखा है। सूरसागर में लिखा है। जगन्नाथ दास की उडिया किताब में लिखा है।

गुरु महाराज बराबर कहते रहे हैं कि कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा। आना तो है ही *बृथा ना जाय देव ऋषि वाणी, संत वचन पलटे नहीं पलट जाय ब्रह्मांड।* यह कभी गलत नहीं हो सकता है।
कलयुग जब जाएगा तभी सतयुग आएगा। एक कहावत है कि दीपक को जब बुझना होता है तो बहुत तेज जलता है। *यह कलयुग का जाने का समय धीरे धीरे नजदीक आ रहा है।* यह तो तेजी दिखाएगा।

*"खराब समय आने वाला है इसलिए आपको शाकाहारी और नशामुक्त रहना है..."*
आप समझो! खराब समय आने वाला है इसलिए आपको शाकाहारी, नशामुक्त और अपराधों से दूर रहना है।
सेवा भाव ,परोपकार भाव आपको रखना है और सत्य रूपी धर्म का पालन करना है। हिंसा, हत्या से दूर रहना है।
हो सके तो किसी की मदद कर दो। बुरा मत चाहो। आप भजन और भाव भक्ति की ही बातें दुनिया से करो।
*जब यह सत्य है कि कोई भी चीज आपके काम आने वाली नहीं है। यह क्षणिक है, थोड़े सुख के लिए ही है तो इसमें आप क्यों फंसते हो? इससे आप दूर रहो।*

satguru  jaigurudev


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ