*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 20.जनवरी.2022*
*सतसंग दिनांक: 17.01.2022*
*सतसंग स्थलः आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: Jaigurudevukm*
*"बहुत से ऐसे पाप हैं, जिनका पता भी नहीं रहता कि यह पाप है और यह हमको लग जाएगा..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
विश्व विख्यात संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद त्रिकालदर्शी पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने पौष पूर्णिमा के अवसर पर दिए गये सतसंग में बताया कि,
जीव हत्या बहुत बड़ा पाप है। जीव हत्या का पाप पूरे विश्व में इस समय पर सोलह आना में चौदह आना यानी अस्सी प्रतिशत लोगों को ये पाप लग चुका है।
बहुत से ऐसे पाप हैं जिनका पता भी नहीं रहता कि यह पाप है? और यह हमको लग जाएगा। हर कोई पापी नहीं है। कहा गया है कि *और कोई करें अपराध और पाव फल भोग। अति बिचित्र भगवन्त गति जान न जाने जोग।।*
हर कोई पापी नहीं होता है। लेकिन सजा वह भी पा जाता है क्योंकि कहीं न कहीं से दूसरे के पाप कर्म आ जाते हैं।
*बहुत से पाप कर्म ऐसे हैं कि पता भी नहीं रहता कि यह पाप है और यह आपको लग जाएगा।*
*"शराब और मांस की वजह से मानवता खत्म हो जाती है और राक्षसी प्रवृत्ति आ जाती हैं..."*
*जड़ क्या है?* यही जीव हत्या, जीव हत्या का पाप और बुद्धि भ्रष्ट होना है।
*बुद्धि क्यों भ्रष्ट होती है? ज्ञान क्यों खत्म होता है? मानवता क्यों खत्म होती है?*
पशुता भी नहीं रह जाती है। पशुओं का भी कोई सिद्धांत, खानपान और विहार-आहार होता है। वह भी नहीं रह जाता है, राक्षसी प्रवृत्ति आ जाती है।
पागल जैसे कोई हो जाता है। पागलपन में आदमी को कुछ नहीं पता चलता। न पशु जैसा व्यवहार पता चलता है न आदमी जैसा व्यवहार करना जान पाता है।
अलग व्यवहार, विचित्र गति उसकी हो जाती है।
*यह सब किस से होता है?*
मांस, शराब और नशे की गोलियां खाने पीने की वजह से होता है। बुद्धि भ्रष्ट होती है। इसलिए इससे दूर रहना चाहिए और इसमें इनवाॅल्व नहीं होना चाहिए।
*"मांस मछली, अंडा, शराब जब पेट में जाता है तो इनसे बने खून की वजह से तरह तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं..."*
अभी तक आपसे गलती बन गई, मांस मछली अंडा खाया आपने। जिस में भी जीव हत्या होती है वह पाप लगता है।
यह गंदी चीज है। जब पेट में जाती है तो उसका असर खून में आता है। इससे बीमारियां बढ़ती हैं। बुद्धि के ऊपर असर पड़ता है तो बुद्धि भ्रष्ट होती है, ज्ञान खत्म होता है।
अभी तक जो गलती बन गई, अब मत करना। मांस मछली, अंडा या शराब जैसा तेज नशा, कोई भी खाने-पीने वाला हो, गोली हो कोई उसका सेवन मत करना।
बाकी हजम कर सको तो सौ गिलास दूध पी लो, हमारी तरफ से पूरी छूट है। आपके पास है तो अच्छा खाओ। अच्छे घर में रहो, हमारी तरफ से कोई दिक्कत नहीं है।
*"आप किसी भी जाति-धर्म के हो, अमीर-गरीब हो, अनपढ़-पढ़े लिखे हो, हमको परहेज नहीं है।*
*हमको तो आपकी जीवात्मा से प्रेम है..."*
हमको तो आपके शरीर से और शरीर को चलाने वाली जीवात्मा से प्रेम है। इसलिए शरीर आपका स्वस्थ रहे। आप संयम नियम का पालन करो।
हम यह चाहते हैं कि आपका शरीर रहते-रहते आपकी आत्मा अपने वतन, अपने घर, अपने मालिक के पास पहुंच जाये। यह नर्क और चौरासी में न जाये।
*यह नर्कों की यात्रा से बच जाए। यह मां के पेट में नौ महीने लटकने से बच जाए। यह जन्म और मरण की पीड़ा, शरीर धारण करते समय और छोड़ते समय जो तकलीफ होती है, उस तकलीफ से यह बच जाए।*
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Jaigurudev |
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