*"जब से मांसाहार बढा, नियम-संयम से दूर हुए तब से कोरोना जैसी बीमारियों का हमला ज्यादा होने लगा है ..."* *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

*जयगुरुदेव*
*सतसंग सन्देश / दिनांक 18.जनवरी.2022*

*सतसंग दिनांक: 17.01.2022*
*सतसंग स्थलः आश्रम, उज्जैन, मध्यप्रदेश*
*सतसंग चैनल: Jaigurudevukm*

*"जब से मांसाहार बढा, नियम-संयम से दूर हुए तब से कोरोना जैसी बीमारियों का हमला ज्यादा होने लगा है ..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

उज्जैन वाले संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने पौष पूर्णिमा के अवसर पर दिए सतसंग संदेश में बताया कि,
कोरोना आया था, तो बहुत लोग मरते थे, क्योंकि जानकारी नहीं थी, दवाई नहीं थी। अब लोगों ने खोज लिया।

जितनी सावधानी इस समय बताई जा रही है, उतनी आदमी अगर बरत ले तो रोग का असर कम हो जाता है। होता भी है, नहीं भी होता है।
पूरा संयम-नियम रखो, जो सरकारी नियम है कि दूरी रखो क्योंकि नाक-मुंह से ये कीटाणु, कीड़े, वायरस अंदर प्रवेश करते हैं।

*"कोरोना रोगी के नाक और मुंह से निकलते हैं कीड़े, तो दूरी बना कर ही रखो..."*
वो कीड़े जब अंदर हो जाते हैं, तो पूरे सिस्टम को जाम कर देते हैं। वह कहां से प्रवेश करते हैं? नाक और मुंह से। जब आदमी सांस लेता, वहां से।
रोगी और आप दोनों ढ़क कर रखो बचत के लिए। जब अंदर जाने का रास्ता नाक और मुंह बंद रहेगा तो कीड़े अंदर नहीं जा पाएंगे।
यदि बहुत ज्यादा हो गया तो रोगी के शरीर के रोओं से सब निकलता है, कहीं कोई छू गया हो तो हाथ धो लिया जाए। *छूने से ही बचत हो जाए तब तो और बीमारियों से भी आदमी बचा रह सकता है।*

*"जब से नियम-संयम से दूर हुए, तब से इन बीमारियों का हमला ज्यादा होने लगा..."*
इस समय पर कोरोना बहुत बढ़ रहा है। जब से लोगों का खान-पान बिगड़ा, मांसाहार ज्यादा करने लग गए, नियम और संयम से दूर हुए, तब से इन बीमारियों का हमला बहुत बढ़ गया।
*बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए बता रहा हूं कि आप लोग होशियार रहो।*

*"इस समय कोरोना को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानना चाहिए, कभी भी हमला कर सकता है..."*
आदमी कहता है कि यह हमारे दुश्मन हैं, जान का खतरा है, हमारी जान ले सकते हैं, जिंदगी बर्बाद कर सकते हैं, इनसे हमको होशियार रहना चाहिए।

ऐसे ही इस रोग को इस समय आपको दुश्मन मान लेना चाहिए। कहते हैं कि, दुश्मन के आदमी से भी होशियार रहना चाहिए तो जिनके अंदर कोरोना प्रवेश कर गया, उससे भी दूर रहो, होशियार रहो।

*"कोरोना की दवा पहले बताई जा चुकी है, न पता हो तो सतसंगियों से पूछ लेना..."*
जैसे सामान्य जीवन में लोग जी रहे थे, अचानक आ गया तो होशियारी बहुत लोग बरत रहे हैं। लेकिन किसी को हो भी गया तो दवा पहले बताई गई है, बगैर पैसे की।
बार-बार बताना ठीक नहीं। पूछ लेना, सतसंगियों को मालूम है। *आप उसका इस्तेमाल कर लो, इस्तेमाल करके देखो।*

*"यदि दवा न मिले तो आपको बताई गई देसी दवा शुरू कर लेना..."*
दवा भी ले लो, विश्वास के लिए। दवा न भी मिले गांव के लोग हो, आप देहात में रहते हो, जहां कोई डॉक्टर नहीं, दवाई नहीं तो वह देसी दवा जो बता दी गई है, शुरू कर लेना। *इस समय पर सबको सजग रहने की जरूरत है।*



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