*आशा जब तक आपकी दुनिया से नहीं जाएगी, लौट-लौट कर के इसी मृत्युलोक में आना पड़ेगा।*

*जयगुरुदेव*
*सन्देश / दिनांक 12.10.2021*

*सतसंग स्थल: देवरिया, उत्तरप्रदेश*
*सतसंग दिनांक: 10.दिसम्बर.2021*

*"वक्त के समरथ गुरु ही जीवात्मा को मुक्ति मोक्ष दिलाने का रास्ता यानि तीसरी आंख, शिव नेत्र, दिव्य दृष्टि खोल सकते हैं..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*

अपने आध्यात्मिक सतसंग में अमृत वचनों की वर्षा कर जीवात्माओं को सरोबार करने वाले, इस मृत्युलोक से परे अपने असली घर अपने वतन की याद दिलाने वाले, वहां चलने की प्रेरणा देने वाले, वहां का रास्ता बताने वाले, उस रास्ते पर चलाने वाले, हमारे असली घर असली वतन सतलोक से आये हुए सतपुरुष के साक्षात अवतार, धरती पर मनुष्य शरीर में मौजूद इस समय के पूरे समरथ संत सतगुरु,

उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 10 दिसंबर 2021 को जिला देवरिया, उत्तरप्रदेश में दिए सतसंग और यू-टयूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* में बताया कि,
अगर आप इस शरीर के पाने का मतलब नहीं समझे तो समय आपका निकल जाएगा और फिर जैसे हारा हुए जुआरी की तरह बुढ़ापा है।
*फिर कुछ नहीं हो सकता। जब तक इस शरीर में ताकत है, अपना काम बना लो।*

*"अपना काम क्या है? मनुष्य शरीर पाने का अर्थ क्या है?"*
इस जीवात्मा को नर्कों से बचाओ, इस पर दया करो क्योंकि नर्कों में बड़ी मार पड़ती है, बड़ी सख्त सजा है।
जीवात्मा जो शरीर को चलाने वाली शक्ति है, यह रोती-चिल्लाती है, सौ सौ कोस तक आवाज जाती है, कोई बचाने वाला नहीं है।

*तो आप इस को बचाओ, मुक्ति-मोक्ष दिलाओ।*
इस मृत्यु लोक से, इस दुख के संसार से जीवात्मा मुक्त तब होगी जब अपने देश घर वतन पहुंच जाएगी। देखो! यह मिट्टी-पत्थर का घर, इस भारत देश को, जिस जमीन को जोत रहे हो, उसे अपना घर, देश, जमीन कहते-कहते बहुत लोग चले गए।
रुपया, पैसा, जेवर, जमीन, मकान जिसको आप अपना कहते हो, उसको कोई दूसरा अपना कहेगा। यहां तो कोई चीज आपकी है ही नहीं।

*"आपका घर तो ऐसी जगह है जहां सूरज डूबता नहीं, वहां सुख ही सुख हैं, दु:ख नाम की चीज नहीं है..."*
आपका घर तो ऐसी जगह है जहां कभी सूरज डूबता ही नहीं, जहां कभी अंधेरा होता ही नहीं, जहां दुःख, गंदगी नाम की कोई चीज नहीं, कोई झाड़ू लगाता दिखाई नहीं पड़ता है।
सुख ही सुख है। यहां सारी गंदगी, दु:ख, तकलीफ है, वहां कुछ नहीं। जब तक वहां नहीं पहुंचोगे, तब तक आप फंसे हुये हो।
*आशा जब तक आपकी दुनिया से नहीं जाएगी, लौट-लौट कर के इसी मृत्युलोक में आना पड़ेगा।*

*"आज जो काम कर रहे हो खाना खाना, बच्चे पैदा करना...*
*यही काम पिछले योनियों में भी करते रहे हो।"*
आज जिस काम को करने में लगे हुए हो, खाने में, बच्चा पैदा करने में, यही काम तो पिछले योनि चाहे 
कीड़ा मकोड़ा, पशु पक्षी की हो, में भी करते रहे।
यही अगर करते रह जाओगे तो मनुष्य शरीर पाने का मतलब क्या रह जायेगा?
आप वो ही करते रहे गए तो अंतर क्या रह जाएगा? पशु पक्षी की तरह आप भी संसार से चले जाओगे तो *यह समय आपका निकल जाएगा।*

*"कितने युग बीत गए, आप अपने घर नहीं पहुंच पाए तो अपने घर चलने करो तैयारी..."*
आप अपने घर चलने की करो तैयारी, नहीं तो दुखों के सागर में डूबना ही पड़ेगा।
तो आज आप याद करो। न तो ये आपका घर है, न दुनिया की चीजें आपकी हैं, न यह शरीर आपका है। यहां आपका कुछ नहीं है।
आपका घर तो यहां से बहुत दूर है। वहां से आए हुए बहुत दिन बीत गए। कितने सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग बीत गया और अभी तक आप नहीं पहुंच पाए।
और अगर उस घर को याद नहीं करोगे, वहां जाने की कोई तैयारी और उपाय नहीं करोगे? *तब तो फिर दु:खों के सागर में डूबना ही पड़ेगा।*

*"दु:ख निवारण और सुख प्राप्ति का रास्ता यानि "नामदान " आपको बताऊंगा..."*
दु:ख निवारण का, सुख प्राप्ति का भी रास्ता है। यहां जब तक रहो सुखी रहो, जब समय पूरा हो जाए अपने घर, अपने वतन चले जाओ।
यहां जब तक रहो तब तक आप दिन में दस बार जीयो, दस बार मरो। जब मरने लगोगे तब मरने से डर नहीं लगेगा, तकलीफ आपको नहीं होगी।
*वह तरीका बहुत से लोगों को मालूम है। जिन को नहीं मालूम है, उनको आज बता दिया जाएगा।*

VaktEMurshid


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ